सरबजीत को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे वालों में भाजपा कॉंग्रेस और राज्य में सत्ता संभाले शिरोमणि अकाली दल के बड़े नेताओं की भीड़ लगी है.

सरबजीत का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जा रहा है. पंजाब सरकार ने उन्हें शहीद घोषित कर दिया है और उनकी मौत पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है .

एक तंग सी गली में स्थित सरबजीत सिंह के घर में बहुत भीड़ है.

उनका शरीर गुरुवार देर रात उनके गाँव भिखीविंड स्थित घर पहुँचा था, इसलिए बहुत ज्यादा लोग उनके घर नहीं पहुँच पाए थे लेकिन शुक्रवार को जैसे ही दिन की शुरुआत हुई, बड़ी संख्या में लोग सरबजीत सिंह के घर पहुँचना शुरू हो चुके थे.

उनके शरीर को घर के एक कमरे में रखा गया है और गाँव के लोग कतार में आकर श्रद्धांजली दे रहे हैं.

उनका शरीर एक शीशे के बक्से में रखा गया है औऱ लोग शीशे के अंदर उनके चेहरे को थोड़ी देर निहारते हैं, अपना सिर झुकाते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं.

भिखीविंड भारत-पाक सीमा पर स्थित एक छोटा सा कस्बा है जिसकी जनसंख्या एक लाख के करीब है.

यहाँ भारी तादाद में सुरक्षाबल मौजूद हैं. माना जा रहा है कि राजनेता एक के बाद एक यहाँ आना शुरू होंगे.

उनको श्रद्धांजलि देने के लिए एक स्कूल में बंदोबस्त किया गया है और श्रद्धांजलि समारोह के बाद उनका शरीर पास में ही बने श्मशान घाट ले जाया जाएगा.

सरबजीत के परिवार वाले बहुत सदमें में हैं, और खासकर बड़ी बहन दलबीर कौर जो काफ़ी गुस्से में हैं. उन्होंने मांग की है कि भारत को पाकिस्तान के साथ सारे रिश्ते खत्म कर देने चाहिए. उन्होंने मांग की है कि सभी पाकिस्तानी कलाकारों को भारत से बाहर किया जाए.

सतपाल सिंह सरबजीत सिंह के बहुत पुराने दोस्त हैं. वो एक ढाबा चलाते हैं. जवानी के दिनों में सतपाल और सरबजीत इकट्ठे पहलवानी किया करते थे.

बेहद दुखी मन से वो कहते हैं, “22 साल से हमें उम्मीद थी कि मेरा दोस्त चलकर वापस आएगा, लेकिन उनका शव एक ताबूत में, लोगों के कंधों पर वापस आया है.”

बछेत्तर सिंह सरबजीत सिंह के भतीजे हैं. वो पाकिस्तान से बहुत नाराज़ हैं. उन्होंने मांग की है कि भारत पाकिस्तान के साथ अपने सभी रिश्ते खत्म करे.

भिखीविंड में सभी स्कूल, संस्थान बंद हैं.

यहाँ कस्बे में सरबजीत सिंह को एक हीरो का दर्जा प्राप्त हो गया है. यहाँ ज़्यादातर लोग ऐसे हैं जिन्होंने सरबजीत सिंह के बारे में सिर्फ कहानियाँ सुनी हैं. आज इन सभी की आँखों में आँसू हैं.

कई बच्चों के हाथों में सरबजीत सिंह की तस्वीरे हैं. वो नारा लगा रहे हैं, “सरबजीत सिंह अमर रहें.”

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