-महिला और बाल अपराध के पीडि़तों को महीने भर में मिलेगा मुआवजा

-जिले में 208 नए मामले चिह्नित, 105 को दिया जा चुका है मुआवजा

महिला और बाल अपराध के पीडि़तों को राहत देने के लिए जिला प्रशासन ने अपने तौर-तरीकों में बदलाव किया है। छेड़खानी, दुष्कर्म, पॉक्सो और एसिड अटैक जैसे मामलों के पीडि़तों को अब महीने भर के अंदर सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता मुहैया करा दी जाएगी। डीएम ने नोडल अफसरों को ऐसे मामलों को बेहद गंभीरता से लेने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि किसी भी मामले में मुआवजा एक महीने के भीतर दे दिया जाए।

जांच में होती है मुश्किल

रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष के तहत पीडि़ताओं को मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। 2017 में योगी सरकार ने शपथ ग्रहण करते ही इस कोष के वितरण और पीडि़ताओं को न्याय दिलाने को प्राथमिकता पर रखने के आदेश दिए थे। हालांकि जमीनी स्तर पर पीडि़ताओं को चिह्नित करने में काफी मुश्किलें आती हैं। कई बार थानों से इनका पूरा ब्योरा नहीं मिल पाता है तो कई बार उनका पता ढूंढने व अन्य सत्यापन में परेशानी का सामना करना पड़ता है।

अब 208 की बारी

कोष के नोडल अफसर एसपी ट्रैफिक सुरेशचंद्र रावत ने बताया कि मुआवजे का वितरण काफी धीमा था। हालांकि पिछले चार साल में चिह्नित की गई 105 पीडि़ताओं और बच्चों को मुआवजा दिया गया है। अगले चरण में 208 नए नाम भी सेल के पास आ चुके हैं। इनका वेरीफिकेशन कर जल्द इन्हें भी मुआवजा दिया जाएगा।

तीन लाख तक मुआवजा

नोडल अफसर ने बताया कि मुआवजा वितरण के लिए डेढ़ करोड़ रुपये शासन ने दिए हैं। उन्होंने बताया कि महिला अपराध के मामलों में एसिड अटैक पर तीन लाख रुपये, दुष्कर्म और धारा 377 पर डेढ़ लाख रुपये और छेड़खानी या मारपीट के मामलों पर 50 हजार से एक लाख रुपये मुआवजे का प्रावधान है। बच्चों से जुड़े अपराधों में एक से डेढ़ लाख रुपये तक मुआवजा दिया जाता है।

वर्जन

105 पुराने मामलों में मुआवजा दिया जा चुका है। नए मामलों की फाइलें तेजी से जुटाई जा रही हैं। इनका सत्यापन कर इन्हें जल्द मुआवजा वितरित करा दिया जाएगा।

सुरेशचंद्र रावत, नोडल अफसर, रानी लक्ष्मीबाई महिला एवं बाल सम्मान कोष