प्राइवेट स्कूल की शिक्षिका की घर में निर्मम तरीके से धारदार हथियार से गोदकर की गई हत्या

लंका थाना क्षेत्र के नरोत्तमपुर इलाके का मामला, फारेंसिक टीम ने इकट्ठा किए सबूत, दो टीमें गठित

VARANASI:

शादी को दस साल हो गए थे। एक बेटी भी है, जो दिव्यांग है। मां प्राइवेट स्कूल में टीचिंग कर बेटी को पाल रही थी। पिता बेटी पालने में साथ तो नहीं दे पाया, अलबत्ता दो साल से पत्‍‌नी से तलाक के लिए अदालतों के चक्कर काट रहा था। जब इसमें सफल नहीं हो पाया तो छोटे भाई के साथ मिलकर पत्‍‌नी को चाकूओं से गोदकर हलाक कर दिया। कुछ इसी तरह के आरोप लगा रहे थे नातिन को गोद में लेकर बार-बार अचेत हो रहे उस शिक्षिका के पिता, जिसकी सोमवार दोपहर में लंका थाना के नरोत्तमपुर में घर के अंदर ही चाकू से गोदकर और सिर कूंचकर हत्या कर दी गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस संग फारेंसिक टीम ने रूम के अंदर से साक्ष्य जुटाए। पिता की तहरीर व बयान के आधार पर पुलिस ने पति व देवर समेत अन्य ससुराल वालों के खिलाफ केस दर्ज किया है। दो टीमें आरोपियों की खोज के लिए गठित की गई हैं।

बच्चे पढ़ने आए तो हुई जानकारी

लंका थाना के नगवां निवासी सुबोध ठाकुर की बेटी निवेदिता की शादी नरोत्तमपुर के शैलेंद्र सिंह के साथ 10 वर्ष पूर्व हुई थी। इनकी आठ साल की दिव्यांग बेटी खुशी है। सोमवार सुबह कुछ बच्चे ट्यूशन पढ़ने निवेदिता के घर पहुंचे तो बहुत देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद भी नहीं खुला। बच्चे पड़ोसियों के यहां पहुंचे तो उन्होंने पुलिस को फोन कर दिया। सूचना पर पहुंचे भेलूपुर सीओ अनिल कुमार व लंका इंस्पेक्टर भारत भूषण तिवारी ने दरवाजा खुलवाया तो अंदर निवेदिता की खून से लथपथ लाश नजर आई। लाश के हाथ और सिर में कई चोट के निशान थे। गर्दन पर धारदार हथियार से गोदने के निशान थे। तकिया खून से सना था और जगह-जगह सिर के नोचे गए बाल बिखरे पड़े थे। पूरे कमरे में खून से सने पैरों के निशान देख साफ पता चल रहा था निवेदिता ने मरने से पहले हत्यारों से जमकर लोहा लिया था। निवेदिता के हत्या के वक्त चीखों की आवाज बाहर न निकले, इसके लिए हत्यारों ने म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया था।

ध्यान देते तो बच जाती जान

निवेदिता के पिता सुबोध ठाकुर ने बताया कि पति ने कोर्ट में तलाक की अपील की तो वह खारिज हो गया। कोर्ट ने खर्च देने का आदेश दिया तो वह हाईकोर्ट चला गया। वहां भी उसकी मेडिएशन की अपील खारिज हो गई। इसके बाद उसने मारने की धमकी दी तो इसकी जानकारी पीएम के संसदीय कार्यालय, क्षेत्रीय विधायक समेत लंका थाना व पुलिस अधिकारियों को लेटर भेज कर दी गई, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। यदि ध्यान दिया गया होता तो उसकी जान बचाई जा सकती थी।