-फ्लाईओवर हादसे ने प्रशासन की आपदा राहत की तैयारियों की ली परीक्षा

-हादसे के बाद सिर्फ सीटी बजाने तक ही सीमित रह गया था सिविल डिफेंस

-600 से ज्यादा वालेंटियर्स हैं शहर में मगर नाकाफी है उनकी ट्रेनिंग

कैंट फ्लाईओवर हादसे ने सेतु निगम की कलई तो खोली ही, प्रशासन की आपदा राहत की तैयारियों की भी परीक्षा ले ली। तैयारियां नाकाफी दिखीं तो पुलिस के जवानों के साथ ही सिविल डिफेंस के कार्यकर्ता भी मौके पर भीड़ तक को नियंत्रित नहीं कर सके। घटना के बाद सवाल उठा कि क्या सिविल डिफेंस या ऐसे संगठन इतने ट्रेंड हैं कि हादसों के समय इनके कंधों पर जिम्मेदारी डाली जा सके।

नहीं रोक पाए भीड़

सिविल डिफेंस के वॉलेंटियर्स को आपात स्थितियों में प्रशासन की मदद का जिम्मा सौंपा जाता है। इसके लिए उन्हें आई कार्ड और रिफ्लेक्टर जैकेट भी दिए गए हैं। अमूमन भीड़भाड़ या मेले वाली जगहों पर इन्हें कतारें लगवाने, भीड़ को संभालने और धक्का-मुक्की रोकने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। मगर 15 मई को फ्लाईओवर की बीम गिरने वाली जगह पर संगठन के 100 से ज्यादा वॉलेंटियर्स कुछ खास नहीं कर सके। यह न तो भीड़ को हादसे वाली जगह पर जाने से रोक पाए, न ही उन्हें व्यवस्थित कर सके। भीड़ के शोर और दबी गाडि़यों के पास सेल्फी खींचने वालों की वजह से बचाव कार्य में बाधा आई।

शारीरिक रूप से भी फिट नहीं सिविल डिफेंस में वार्डेन, पोस्ट वार्डेन और वॉलेंटियर्स का प्रशासन हर तीन साल में चयन करता है। नए लोगों के आगे न आने की स्थिति में लगभग हर बार पुराने लोगों का रिन्युअल कर दिया जाता है। नियमित ट्रेनिंग या व्यायाम सेशंस न होने की वजह से ज्यादातर वालेंटियर और पदाधिकारी शारीरिक रूप से फिट नहीं हैं। ऐसे में किसी हादसे या आयोजनस्थल पर यह ज्यादा मेहनत करने की स्थिति में भी नहीं होते।

एनडीआरएफ के साथ कराएंगे ट्रेनिंग

एडीएम सिटी वीरेंद्र पांडेय ने भी माना कि हादसे के दिन सिविल डिफेंस का काम उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। उन्होंने कहा कि हादसे के दिन वॉलेंटियर्स घटनास्थल पर न बचाव कार्य में सहायता कर पाए, न ही भीड़ को सही तरीके से नियंत्रित कर सके। एडीएम सिटी ने बताया कि जल्द ही रोस्टर बनाकर सभी वॉलेंटियर्स और पदाधिकारियों की एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड के साथ ट्रेनिंग कराई जाएगी। इसके साथ ही इनका फिटनेस टेस्ट भी लिया जाएगा। हालांकि सिविल डिफेंस के चीफ वार्डेन विनोद गुप्ता बताते हैं कि समय-समय पर वॉलेंटियर्स की लखनऊ मुख्यालय के अलावा वाराणसी में भी ट्रेनिंग कराई जाती है।

56 साल पहले हुई थी स्थापना

चीन युद्ध के बाद 1962 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने विदेशों में चलने वाले नागरिक सुरक्षा संगठनों की तर्ज पर सिविल डिफेंस की स्थापना की थी। इनका काम तब हवाई हमलों से जनता को बचने की ट्रेनिंग देना और जागरूक करना था। इन्हें यह भी सिखाया जाता है कि लोगों की भीड़ को किस तरह से संभाला जाए और हमलों की स्थिति में उन्हें कैसे नियंत्रित किया जाए। स्थापना के 56 साल बाद अब संगठन के नए सिरे से गठन और ट्रेनिंग की जरूरत है।

वर्जन

सिविल डिफेंस को और मजबूत करने और नए लोगों को लाने की जरूरत महसूस की जा रही है। जल्द ही इनकी एनडीआरएफ और अन्य फोर्सेज के साथ ट्रेनिंग कराई जाएगी।

वीरेंद्र पांडेय, एडीएम सिटी

एक नजर

600

से ज्यादा वॉलेंटियर्स हैं सिविल डिफेंस के बनारस में

2000

से ज्यादा लोगों को दी गई है फायर फाइटिंग की ट्रेनिंग

- 6 डिवीजनों में बंटा हुआ है वाराणसी जिला

- 10 पोस्ट एक डिविजन में और 10 सेक्टर एक पोस्ट में होते हैं

- हादसा, आपदा या आपात स्थितियों में मदद करना होता है इनकी जिम्मेदारी

- 3 साल पर होता है रिन्युअल और नए लोगों की भर्ती