-घर से उठी चार लाश तो निकल पड़ी सबकी चीख

अनीता के सामने पति और बेटियों की लाश थी. सुहाग और संतान के दुनिया में नहीं रहने के गम से बेसुध रही. घर की दूसरी मंजिल पर मौजूद महिलाएं उसे ढांढ़स बंधा रही थीं लेकिन खुद उनकी आंखें नम थीं. घर के बाहर भीड़ थी तो पर सब खामोश थे. बस आंखे ही सवालों का जवाब मांग रही थीं. हो भी क्यों न, जिस घर से बाप और तीन मासूम बेटियों की अर्थी उठी उसके माहौल की कल्पना से ही रूंह कांप उठना स्वभाविक है. शाम को जैसे ही पोस्टमार्टम के बाद डेडबॉडी घर पहुंची तो वहां मौजूद सभी चित्कार कर उठे. जिस घर से बेटियों के डोली उठने की मां ने कल्पना की थी, उस घर से बेटियों को अर्थी पर विदा करना उसके लिए आसान नहीं था.

नम आंखे बता रही थी घर का पता

जिसे भी घटना की जानकारी मिल रही थी वह दीपक के घर पहुंचने में तनिक भी देर नहीं कर रहा था. जन प्रतिनिधियों से लेकर हर आम ओ खास परिवार को ढांढ़स बंधाने पहुंचा. मिसिर पोखरा में दीपक का घर ढूंढ़ने में भी किसी को पूछने की जरूरत नहीं हुई, सन्नाटे की भीड़ को चीरते हुए लोग वहां तक पहुंच जा रहे थे. ऐहतियातन पुलिस की तैनाती की गयी थी. जिस रूम में दीपक ने जहर खाया उस रूम को सील कर दो होमगार्ड की तैनाती कर दी गई थी.