बीएचयू सिंहद्वार पर शनिवार की शाम दो छात्र संगठनों के सदस्य आमने-सामने आ गए। दोनों ओर से जमकर नारेबाजी व नोकझोंक हुई। मामला मारपीट तक पहुंचता इससे पहले ही पुलिस ने स्थिति संभाल ली।

सिंहद्वार पर अरबन नक्सलवाद के विरोध में एक छात्र संगठन के सदस्यों ने प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि नक्सलियों पर कठोर कार्रवाई के लिए पोटा कानून को पुन: अधिनियमित किया जाए। यूएपीए व एनएसए एक्ट को प्रभावी बनाया जाए। छात्रों ने यह भी मांग रखी की सरकार एक एसआईटी का गठन कर शिक्षण संस्थाओं में पनप रहे शहरी नक्सलियो की जांच करे। इसमें सुधांशू, आशीष, अरूण कुमार चौबे, दीपक श्रीवास्तव आदि थे। दूसरी ओर सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई के लिए प्रतिरोध मार्च व सभा का आयोजन बीएचयू के सिंहद्वार पर किया गया। इस संगठन की मांग थी कि यूएपीए सहित सभी जन विरोधी कानूनों को रद किया जाए साथ ही राजनीतिक बंदियों को रिहाई मिले। इस दौरान एआईपीडब्ल्यूए, एआईएसए, एसएपसी, आल इंडिया सेक्युलर फोरम, परिवर्तनकामी विद्यार्थी मोर्चा, भगत ंिसह आंबेडकर विचार मंच, भगत सिंह छात्र मोर्चा आदि के श्री प्रकाश राय, डॉ। आरिफ, वंदना, अनुपम, नीतीश, शशिकांत, कुसुम, विवेक, इप्शिता, दीपक, रणधीर सिंह, चंदन, सौरभ यादव आदि सदस्य मौजूद थे।

अचानक दोनों गुट आए सामने

इस बीच एक समय ऐसा भी आया कि दोनों छात्र गुट आमने-सामने आ गए। बात झड़प से बढ़ते हुए मारपीट तक जा पहुंची। इस बीच पुलिस ने बीचबचाव कर मामला शांत करा दिया। इसके बाद पुलिस ने अपनी सुरक्षा में प्रतिरोध मार्च को सिंहद्वार से रविदास गेट होते हुए पुन: सिंहद्वार तक पूरा कराया। प्रतिरोध मार्च के विरोध वाले प्रदर्शन कारी छात्र गुट से एक सदस्य ने लंका थाने में शिकायत दर्ज कराई।