राजधानी की तंग गलियों में न जाने कब जिंदगी की शाम हो जाए!
वाजिब है डर
रात के अंधेरे में और सन्नाटे के साए में अकेले आने-जाने से लोगों को डरना वाजिब है। क्रिमिनल लोडेड पिस्टल या चाकू जैसे धारदार हथियार से लैस होते हैं। इनकी संख्या दो-तीन से भी अधिक होती है। क्रिमिनल तो ऐसे मौकों की तलाश में ही होते हैं। हर सन्नाटे वाले इलाके में क्रिमिनल्स ने अपना ठिकाना बना रखा है। आपराधिक वारदातों को अंजाम देते ही क्रिमिनल आसानी से फरार हो जाते हैं.
स्टेशन पर गुजरती है रात
लोगों के मन में खौफ इस कदर बैठा है कि बाहर से लेट नाइट की ट्रेनों से पटना पहुंचने पर वो अपने घर भी नहीं जाते। लगेज के साथ वो रात स्टेशन पर गुजार देते हैं। चूंकि इन्हें रात में चलने वाले ऑटो वालों पर भी भरोसा नहीं है। इसका कारण भी है। राजधानी की सड़कों पर सन्नाटे में ऑटो के अंदर ही लूट की कई वारदातें हुई हैं। इस तरह के बढ़ते आपराधिक वारदातों के बाद ही पटना पुलिस की ओर से ऑटो पर पुलिस कोड लिखा गया था। लेकिन आज भी कई ऐसे ऑटो रोड पर दौड़ रहे हैं, जिस पर पुलिस कोड नहीं है.
रात तो छोडि़ए दिन में भी
आशियाना-दीघा रोड, बारी पथ, दिनकर गोलंबर सहित राजधानी में कई ऐसे इलाके हैं। जहां रात को तो छोड़ दिजीए, दिन के उजाले में भी क्रिमिनल आपराधिक वारदातों को धड़ल्ले से अंजाम देते हैं और फरार हो जाते हैं। एक महीने पहले ही रामनगरी इलाके में बाइक सवार अपराधियों ने महिलाओं से पिस्टल का डर दिखा उनकी ज्वेलरी लूट ली थी। हाल म में ही कदमकुआं इलाके में बाइक सवार लुटेरे लगातार लोगों का मोबाइल फोन लूट कर फरार हो गए हैं.
क्यों बढ़ा है अपराधियों का मन
बीते एक साल में पटना, पटना सिटी, फुलवारी शरीफ, दानापुर, और बिहटा जैसे इलाकों में क्रिमिनल काफी तेजी से एक्टिव हुए हैं। जिसके वजह से लोगों के मन में एक डर बैठ गया है। इसका सबसे बड़ा कारण है पटना की पुलिस। दरअसल, डीआईजी, एसएसपी और सिटी एसपी लाख एक्टिव हों, लेकिन बात जब थानों की पुलिस की आती है। इनकी कमजोरी सामने आ जाती है। चूंकि ग्राउंड लेवल पर काम तो थानों की पुलिस को ही करना होता है। पेट्रोलिंग में बरती गई ढील ने क्रिमिनल को एक्टिव कर दिया.
इन स्थानों पर लगता है डर
पोस्टल पार्क
न्यू बाइपास
मीठापुर
जक्कनपुर
गर्दनीबाग
कांटी फैक्ट्री रोड
कुम्हरार
ट्रांसपोर्ट नगर
भंवर पोखर
गांधी चौक
राजीव नगर रेलवे क्रॉसिंग
आशियाना-दीघा रोड
शगुना मोड़-खगौल रोड
वाजिब है डर
रात के अंधेरे में और सन्नाटे के साए में अकेले आने-जाने से लोगों को डरना वाजिब है। क्रिमिनल लोडेड पिस्टल या चाकू जैसे धारदार हथियार से लैस होते हैं। इनकी संख्या दो-तीन से भी अधिक होती है। क्रिमिनल तो ऐसे मौकों की तलाश में ही होते हैं। हर सन्नाटे वाले इलाके में क्रिमिनल्स ने अपना ठिकाना बना रखा है। आपराधिक वारदातों को अंजाम देते ही क्रिमिनल आसानी से फरार हो जाते हैं।
स्टेशन पर गुजरती है रात
लोगों के मन में खौफ इस कदर बैठा है कि बाहर से लेट नाइट की ट्रेनों से पटना पहुंचने पर वो अपने घर भी नहीं जाते। लगेज के साथ वो रात स्टेशन पर गुजार देते हैं। चूंकि इन्हें रात में चलने वाले ऑटो वालों पर भी भरोसा नहीं है। इसका कारण भी है। राजधानी की सड़कों पर सन्नाटे में ऑटो के अंदर ही लूट की कई वारदातें हुई हैं। इस तरह के बढ़ते आपराधिक वारदातों के बाद ही पटना पुलिस की ओर से ऑटो पर पुलिस कोड लिखा गया था। लेकिन आज भी कई ऐसे ऑटो रोड पर दौड़ रहे हैं, जिस पर पुलिस कोड नहीं है।
रात तो छोडि़ए दिन में भी
आशियाना-दीघा रोड, बारी पथ, दिनकर गोलंबर सहित राजधानी में कई ऐसे इलाके हैं। जहां रात को तो छोड़ दिजीए, दिन के उजाले में भी क्रिमिनल आपराधिक वारदातों को धड़ल्ले से अंजाम देते हैं और फरार हो जाते हैं। एक महीने पहले ही रामनगरी इलाके में बाइक सवार अपराधियों ने महिलाओं से पिस्टल का डर दिखा उनकी ज्वेलरी लूट ली थी। हाल म में ही कदमकुआं इलाके में बाइक सवार लुटेरे लगातार लोगों का मोबाइल फोन लूट कर फरार हो गए हैं।
क्यों बढ़ा है अपराधियों का मन
बीते एक साल में पटना, पटना सिटी, फुलवारी शरीफ, दानापुर, और बिहटा जैसे इलाकों में क्रिमिनल काफी तेजी से एक्टिव हुए हैं। जिसके वजह से लोगों के मन में एक डर बैठ गया है। इसका सबसे बड़ा कारण है पटना की पुलिस। दरअसल, डीआईजी, एसएसपी और सिटी एसपी लाख एक्टिव हों, लेकिन बात जब थानों की पुलिस की आती है। इनकी कमजोरी सामने आ जाती है। चूंकि ग्राउंड लेवल पर काम तो थानों की पुलिस को ही करना होता है। पेट्रोलिंग में बरती गई ढील ने क्रिमिनल को एक्टिव कर दिया।
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