क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : शहर में एक बार फिर बालू संकट गहराता जा रहा है. बालू नहीं मिलने के कारण लोगों को घर बनाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सिटी में चल रही विकास संबंधी तमाम योजनाओं पर भी ब्रेक लग गया है. शहर में बन रहे झारखंड हाईकोर्ट, विधानसभा, कांटाटोली फ्लाईओवर जैसे महत्वपूर्ण निर्माण कार्य भी बालू संकट के कारण प्रभावित हो रहे हैं. कांटाटोली फ्लाईओवर निर्माण में लगातार हो रही देरी के कारण लोगों को भारी समस्या हो रही है. काफी मुश्किल और सेटिंग से अगर बालू का जुगाड़ हो भी रहा है तो उसका रेट आसमान छूने लगा है.

घाटों से बालू उत्खनन बंद

लोकसभा चुनाव के कारण देश में आचार संहिता लागू होने के बाद झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) आरएफपी के तहत चयनित एजेंसी के साथ 19 मई तक एग्रीमेंट नहीं कर सकता, जिसके कारण 60 बालू घाटों में उत्खनन बंद हो गया है. बालू संकट से निपटने के लिए जेएसएमडीसी ने पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के 60 बालू घाटों में माइनिंग, ट्रांसपोर्टेशन, स्टॉकिंग और लोडिंग के लिए एजेंसी चयन भी कर ली गई है, लेकिन आचार संहिता लागू होने तक एग्रीमेंट फाइनल नहीं हो सकता है.

अवैध बालू शहर में, डबल हुआ रेट

बालू घाटों से उत्खन्न बंद होने के बाद स्थानीय दबंग एक्टिव हो गए हैं. अवैध तरीके से बालू का खनन कराया जा रहा है और इसे मार्केट में डबल रेट पर बेच दिया जा रहा है. एक माह पहले हाईवा से बालू का रेट 10 हजार के करीब था, जो आज बढ़कर 18 हजार तक वसूला जा रहा है. आम लोग इससे खासे परेशान हैं.

एनजीटी के आदेश का संकट

राज्य सरकार ने सारे बालू घाटों पर जेएसएमडीसी को अधिकार दे दिया है. जेएसएमडीसी द्वारा अप्रैल से घाटों से बालू उत्खनन की तैयारी की जा रही थी. इसी दौरान एनजीटी का आदेश आने के बाद अब सारे बालू घाटों के लिए इआइए, इएमपी एवं जनसुनवाई अनिवार्य है. राज्य में पांच हेक्टेयर से अधिक एरिया वाले घाटों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के कारण छह से सात माह के पहले बालू उत्खनन नहीं हो सकता. पांच से 25 हेक्टेयर तक के बालू घाटों की पर्यावरणीय स्वीकृति में इन्वॉयरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट (इआइए), इन्वॉयरमेंटल मैनेजमेंट प्लान (इएमपी) और जनसुनवाई अनिवार्य कर दिया गया है.

अवधि विस्तार का भी प्रावधान नहीं

दूसरी ओर, पूर्व में नीलामी द्वारा संचालित बालू घाटों की अवधि 31 मार्च को समाप्त हो गई है. सभी बालू घाट जेएसएमडीसी के अधिकार क्षेत्र में हैं. नीलामी से हासिल किये गये बालू घाटों को अवधि विस्तार भी देने का प्रावधान नहीं है.

बढ़ाई जा रही स्टॉक लाइसेंस की अवधि

फिलहाल संकट से निपटने के लिए स्टॉक लाइसेंस की अवधि बढ़ाई जा रही है, ताकि एक से दो महीने तक बालू की कमी को पूरा किया जा सके. इसके बाद 19 मई को जेएसएमडीसी द्वारा आचार संहिता समाप्त होते ही रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) के तहत चयनित एजेंसी से एग्रीमेंट कर लिया जाएगा.