-संत समागम के बीच कल्पवासी लगा रही अध्यात्म की डुबकी

FATEHPUR: सर्द हवाओं व ठिठुरन के बीच गंगा किनारे भक्ति के रूप में आस्था हिलोर मार रही है। कल्पवासी घर गृहस्थी का जंजाल भूल भगवत भजन में लीन है। गुरुवार को सुबह से शाम तक भक्ति की धूनी रमाए कल्पवासी ईश्वर की आराधना में जुटे रहे। गंगा किनारे बढ़ रही संतों की भीड़ के बीच कल्प वासी नित नए अध्यात्म के गोते लगा रहे है।

कल्पवास में पहुंचे करीब फ्00 भक्त गंगा किनारे ईश्वर की कृपा पाने के लिए भक्ति भावना में लीन है। इन भक्तों की भौतिक आवश्यकताओं में कोई कमी न आए इसके लिए ओम घाट के कर्ताधर्ता संत विज्ञानानन्द महराज ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। कल्पवासी अपने साथ जो विस्तर लाए है उनमें यदि उन्हें ठंड का अहसास हो रहा है तो उन्हें आश्रम की तरफ से कम्बल आदि दिए जा रहे हैं। पूजा भोजन, नाश्ता की उत्तम व्यवस्था के बीच समाज के लोग भी कल्पवासियों की सेवा के लिए पहुंच रहे है।

भोर पहर से ही हर हर गंगे की गूज से गंगा का किनारा गूंज उठा। पहले ध्यान, फिर गंगा स्नान के क्रम के बाद संतों के साथ कल्पवासियों ने भगवान शिव का अभिषेक कर भगवत चर्चा छेड़ दी। प्रवचन के दौरान संत अनन्तानंद जी महराज ने भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को सुनाई गयी राम चरित मानस की कथा का प्रसंग सुनाया। बोले 'वारि मथे घृत होत न, सिकता ते बरु तेल, बिनु हरि भजन न भवतरि यह सिद्धान्त अपेल' कहने का आशय कि कलयुग में सिर्फ हरि भजन की शक्ति से ही इस भव रुपी संसार से मुक्ति पाई जा सकती है।

संत विज्ञानानंद महाराज और रामानंद महराज ने कल्पवासियों को जीवन में ईश भजन का महत्व और उसका लाभ बताया। संत श्री ने कहा कि सत्संग के लिए अनेक संतों को आमंत्रित किया गया है। जिनका कल्पवास क्षेत्र में आना शुरू हो गया है।