सबसे निचला स्तर

उत्पादन व आपूर्ति बढ़ते जाने की आशंका में कच्चे तेल (क्रूड) के दाम लुढ़ककर बेहद नीचे आ गए। सोमवार को यूरोपीय बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 36.05 डॉलर प्रति बैरल बोला गया। यह मई, 2004 के बाद ब्रेंट का सबसे निचला स्तर है। यही हाल यूएस क्रूड का रहा, जो 34.12 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर रहा। कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों में आ रही गिरावट भारत के लिए किसी खुशखबरी से कम नहीं है, क्योंकि इसकी वजह से पेट्रोल-डीजल और सस्ते हो सकते हैं। क्रूड की आपूर्ति पहले से ही खासी बढ़ी हुई है। ऊपर से इसके और बढ़ने जाने की पूरी आशंका है, क्योंकि अमेरिका ने भी अपने कच्चे तेल के निर्यात पर 40 साल से लगी पाबंदी हटा ली है।

कटौती करने से इन्कार

इसके अलावा उसके भंडारों में कच्चा तेल बढ़ रहा है। ईरान और रूस भी अपना क्रूड उत्पादन बढ़ाते चले जा रहे हैं, जबकि निर्यातक देशों के संगठन ओपेक ने पहले ही उत्पादन में कटौती करने से इन्कार कर दिया है। नतीजतन कच्चा तेल लुढ़कता चला जा रहा है। साल 2014 के मध्य में क्रूड के दाम 100 डॉलर से ऊपर थे। इस हिसाब से अब कच्चा तेल 60 फीसद से ज्यादा सस्ता हो चुका है। अलबत्ता भारत सरकार ने उत्पाद शुल्क बढ़ाकर क्रूड के सस्ते दामों का पूरा फायदा आम लोगों तक नहीं पहुंचने दिया।

inextlive from Business News Desk

Business News inextlive from Business News Desk