- रूरल एरियाज में डॉक्टर नहीं होने से शहर के हॉस्पिटल्स में बढ़ रही है मरीजों की भीड़

- कमिश्नर ने जताई थी नाराजगी, स्पेशलिस्ट्स डॉक्टर्स की है खासी कमी

ALLAHABAD: लाखों-करोड़ों खर्च कर जिले के रूरल एरियाज में बनाई गई सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टर्स मौजूद नहीं होने से उनके हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। इससे मरीज तो परेशान हैं, साथ ही शहरी एरियाज के सरकारी हॉस्पिटल्स में भी भीड़ बढ़ती जा रही है। कुछ दिनों पहले खुद कमिश्नर ने इस हालात पर नाराजगी जाहिर की थी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में मरीजों की परेशानियां और बढ़ सकती हैं।

कैसे पूरी होगी ये कमी

मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सीएचसी-पीएचसी में तीन सौ डॉक्टर्स की जरूरत है लेकिन वर्तमान में महज ख्ख्क् ही मौजूद हैं। इनमें से दस डॉक्टर पढ़ाई करने के लिए तीन साल की लंबी लीव पर गए हैं। ऐसे हालात में डॉक्टर्स की कमी को पूरा करना हेल्थ डिपार्टमेंट के लिए मुश्किल होता जा रहा है। डॉक्टर्स में सबसे ज्यादा जरूरत हार्ट, लंग्स, आर्थो और न्यूरो स्पेशलिस्ट्स की है, जिनको पीएमएस की सरकारी सर्विस में लाना आसान नहीं है। पिछले कई सालों से इस कमी की भरपाई करने में लगे हेल्थ डिपार्टमेंट को अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है।

नियमों में बदलाव करने की मांग

हेल्थ डिपार्टमेंट खुद चाहता है, अच्छे डॉक्टर्स सर्विस ज्वॉइन करें। इसके लिए शुरुआत में ही ब्0 से भ्0 हजार रुपए पर मंथ की सैलरी भी दी जाती है। बावजूद इसके डॉक्टर्स आने को तैयार नहीं हैं। वह नियमों में बदलाव चाहते हैं। उनकी मानें तो इनीशियल स्टेज में पांच साल रूरल में काम करने में उन्हें राहत मिलनी चाहिए। हालांकि गवर्नमेंट ने नए नियमों के चलते उन्हें होम टाउन के आसपास के रूरल एरिया में अप्वाइंट करना शुरू कर दिया है लेकिन यह कदम भी डॉक्टर्स को आकर्षित करने में नाकाफी साबित हो रहा है।

ये लीजिए, बिना डॉक्टर आठ नई सीएचसी-पीएचसी

पहले से हालात कम नाजुक थे कि अब गवर्नमेंट ने हेल्थ डिपार्टमेंट को अधिक मुसीबत में डाल दिया है। नए आदेश में डिपार्टमेंट को जिले में चार-चार नई सीएचसी-पीएचसी खोलने के लिए कहा गया है। जगह और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए तो गवर्नमेंट फंड दे रही है लेकिन डॉक्टर कहां से आएंगे, इसका जवाब डिपार्टमेंट के पास नहीं है। इनको चलाने के लिए ख्8 नए डॉक्टर्स की जरूरत होगी। उधर, बीयूएमएस, बीएचएमएस और बीएएमएस की भर्ती पर रोक लगने के ऑप्शन पहले से ज्यादा भी कम हो गए हैं।

साढ़े तीन हजार मरीजों की हो गई ओपीडी

रूरल में डॉक्टर्स की कमी का असर अब शहरी सरकारी हॉस्पिटल्स में दिखने लगा है। बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल की ओपीडी में आजकल रोजाना तीन से साढ़े तीन हजार मरीज पहुंच रहे हैं। जिन्हें अटेंड करना बेहद मुश्किल हो रहा है। लास्ट वीक खुद कमिश्नर बादल चटर्जी ने इस हालात पर चिंता जताते हुए सीएचसी-पीएचसी में डॉक्टर्स की मौजूदगी बढ़ाने के निर्देश दिए थे। उन्हें इन सेंटर्स से डॉक्टर्स के नदारद रहने की शिकायत भी मिली थी।

- रूरल में डॉक्टर्स की कमी लंबे समय से बनी हुई है। उनकी भर्ती के लिए इंटरव्यू जारी हैं। उम्मीद है जल्द ही नए डॉक्टर्स हमें मिल जाएंगे। टीम भेजकर सीएचसी-पीएचसी की जांच भी की जा रही है। जो डॉक्टर ड्यूटी से नदारद हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। पदमाकर सिंह, सीएमओ, हेल्थ डिपार्टमेंट