सिटी में आस्था से मनाई गई संत कबीर दास की जयंती

तथागत संदेश अभियान की ओर से हुआ भव्य आयोजन

ALLAHABAD: कबीर के दोहे आज भी समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित करते हैं। उनके द्वारा समाज को एकता में बांधे रखने का सूत्र आज के समय में भी हमारे लिए अनुकरणीय है। सोमवार को कबीर जयंती के अवसर पर सिटी में विभिन्न स्थानों पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया। जहां लोगों ने कबीर के विचारों और उनके जीवन दर्शन पर विस्तार से चर्चा की। सोहबतियाबाग स्थित तथागत संदेश अभियान की ओर से भी संत कबीर दास की 618वीं जयंती पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान अभियान के अध्यक्ष बहादुरराम ने संत कबीर दास के जीवन कृत्य पर विस्तार से चर्चा की। इस अवसर पर अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।

एक सूत्र में समाज को पिरोया

तथागत संदेश अभियान के अध्यक्ष ने कबीर के जीवन दर्शन पर चर्चा की। कहा कि तेरहवीं, चौदहवीं शताब्दी में कबीर कबीर की प्रासंगिकता असमानता विरोध की थी। कबीर का निर्गुण भक्ति आन्दोलन प्रकृति में यदि कहीं ज्यादा उग्र, साहसिक और आक्रामक है, तो इसका कारण संक्रांति का काल था। कबीर का शास्त्र निरपेक्ष विचारधारा व पौराणिक विचारधारा पर सशक्त हस्तक्षेप है। जो मुक्तिकामी आम जन के सरोकारों से जुड़ा हुआ था। कबीर की कविता धर्म के ठेकेदारों से प्रश्न पूछती है, जो किसी अमानवीयता के विरुद्ध साहसिक हस्तक्षेप है। तत्कालीन भारतीय समाज दो अलग-अलग धर्म समुदायों में आपसी टकराव और सामंजस्य से विकसित ऐसा समाज था, जिसकी अपनी अलग-अलग समस्या और संकीर्णताएं भी थीं। इस अवसर पर गुरू प्रसाद मदन ने भी कबीर के भक्ति आन्दोलन पर चर्चा की। कार्यक्रम में चन्द्रशेष यादव, सीता राम, जगदीश राम, शीतला प्रसाद, राधे दूबे, महेन्द्र दुबे समेत अन्य लोग मौजूद रहे।