113 साल पहले हुई थी लूकरगंज बारवारी की स्थापना

1.50 रुपए पहली बार बारवारी की स्थापना का खर्च

15 लाख रुपए इस बार बारवारी का बना है बजट

07 लाख रुपए पंडाल तैयार करने में हो रहा खर्च

70 हजार रुपए मूर्ति पर किया गया है खर्च

15 कारीगर पिछले एक महीने से पंडाल तैयार करने में जुटे हैं

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-1907 में डॉ। एके मिश्रा के घर से हुई थी लूकरगंज बारवारी दुर्गा पूजा की शुरुआत

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PRAYAGRAJ: दुर्गा पूजा की तैयारियां फाइनल स्टेज में हैं। सभी बारवारियां पंडाल डेकोरेशन में कोई कमी नहीं रखना चाहती हैं। बढते समय के साथ इसका बजट भी बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में है लूकरगंज बारवारी दुर्गा पूजा कमेटी। इसकी शुरुआत आज से करीब 113 साल पहले हुई थी। तब इसका बजट महज डेढ़ रुपए थे। वहीं इस बार लूकरगंज बारवारी दुर्गा पूजा कमेटी ने इस बार 15 लाख का बजट रखा है।

डॉ। एके मिश्रा के घर से शुरुआत

लूकरगंज बारवारी के वाइस प्रेसीडेंट सपन कुमार पाल ने बताया कि 1907 में लूकरगंज एरिया में रहने वाले डॉ। एके मिश्रा के घर से शुरुआत हुई थी। उस समय दुर्गा पूजा पंडाल को पूरा खर्च महज एक रुपए 50 पैसे ही आया था। दुर्गा पूजा का स्थान लूकरगंज में ही बदलता गया और उसका बजट भी बढ़ता गया। 1978 में बारवारी की ओर से आयोजित हुई दुर्गा पूजा का खर्च 8000 रुपए आया था। उसके बाद लगातार भव्यता के साथ ही बजट भी बढ़ता चला गया।

तारापीठ मंदिर है थीम

इस बार दुर्गा पूजा पंडाल की थीम कलकत्ता के दक्षिणेश्वर के पास स्थित तारापीठ मंदिर के तर्ज पर तैयार किया जा रहा है। अंदर की डेकोरेशन भी इसी थीम पर तैयार हो रही है। इससे लोगों को बंगाल का ट्रेडिशनल लुक देखने को मिलेगा। पंडाल की लंबाई 170 और चौड़ाई 70 फिट रखी गई है। इस बार पंडाल के ऊपरी हिस्से को टीनशेड से कवर किया गया है। इससे बरसात होने पर कोई प्रॉब्लम नहीं होगी। इस बार मूर्ति को प्रयागराज में ही तैयार कराया जा रहा है, जिसका खर्च 70 हजार रुपए आ रहा है।

तीन दिन होगी विशेष पूजा

दुर्गा पूजा पंडाल में सप्तमी, अष्टमी और नवमी के अवसर पर विशेष पूजा का आयोजन होगा। इसके लिए तैयारियां तेजी से पूरी हो रही हैं। सेकेट्री देवव्रत डे ने बताया कि तीनों दिन पंडाल में सभी भक्तों के लिए प्रसाद की व्यवस्था होगी।

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दुनी नाच में जींस-पैंट नॉट अलाउड

पंडाल के अंदर मां दुर्गा की आराधना के लिए वेस्ट बंगाल के ट्रेडिशनल डांस की प्रस्तुतियां भी होंगी। इस मौके पर तीनों दिन दुनी नाच भी होगा। इसमें वहीं लोग हिस्सा ले सकते है, जो ट्रेडिशनल कपड़ों में पंडाल में आए हों। जींस, पैंट, शर्ट, ट्राउजर आदि प्रकार के वेस्टन ड्रेस में आने वालों को इसमें शामिल होने का मौका नहीं मिलेगा। उन्होंने कहां की दुर्गा पूजा ट्रेडिशन के साथ ही भक्ति भावना से होने वाला आयोजन है। ऐसे में इसमें वेस्टर्न आउटफिट अलाउड नहीं होगा।