RANCHI : चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडब्ल्यूसी) ने शिशु सदन से 22 बच्चों को अपने संरक्षण में ले लिया है, लेकिन इनकी माताओं का पता नहीं ढूंढा जा सका है। अब सवाल है कि जब माताओं का पता ही नहीं चल रहा तो ये बच्चे आखिर कहां से आ गए? इन सभी एंगलों से सीडब्ल्यूसी की टीम पूरे मामले की गहराई से छानबीन कर रही है।

हो रही है तलाश

चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की अध्यक्ष रूपा कुमारी के मुताबिक, इन बच्चों की मां की खोज हर स्तर पर की जा रही है। इस बाबत रजिस्टर व दस्तावेजों को भी खंगाला जा रहा है। अगर जरूरत पड़ी तो अन्य जिलों की बाल कल्याण समिति समेत बच्चों के कल्याण के लिए काम कर रही एनजीओ की भी मदद ली जाएगी।

हो जाएगा सोशल बायकॉट

सीडब्ल्यूसी की आरंभिक छानबीन में जो बातें सामने आई है उसके मुताबिक, कुंवारी मां को लोक-लाज का भय दिखाया जाता था। उन्हें कहा जाता था कि वे अगर अपने बच्चे को लेकर घर जाएगी तो समाज के ताने-बाने सुनने होंगे। सोशल बायकॉट की भी धौंस दिखाई जाती थी। इस तरह से झांसे में लेकर उन पीडि़त कुंवारी मां को पैरेंट्स के साथ घर भेज दिया जाता था और उन्हें इस संबंध में चुप रहने के लिए कहा जाता था।

कोई बन जाता सिस्टर तो कोई दाई

जब बाहर से कोई अधिकारी मिशनरीज में जांच करने के लिए आते थे तो पीडि़ता को सिस्टर बना दिया जाता था और कुछ को वहां काम करनेवाली दाई बना दिया जाता था। फिर, उसका धर्म परिवर्तन भी करा दिया जाता था और हाथ में क्रूस थमा दी जाती थी, ताकि उन्हें किसी तरह का कोई शक पैदा नहीं हो।

पैसे लेकर बच्चों को बेच डाला

मिशनरीज ऑफ चैरिटी के निर्मल हृदय से चार बच्चों के बेचे जाने का मामला मानव तस्करी में तब्दील हो चुका है। यहां के कुंवारी मां के बच्चों को झारखंड ही नहीं बल्कि उत्तरप्रदेश, केरल, कोलकाता सहित कई राज्यों में बच्चों को भेजने और बेचने की बात सामने आ रही है। रांची बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), जिला समाज कल्याण अधिकारी (डीएसडब्ल्यूओ) और पुलिस सहित समाज कल्याण के अन्य अधिकारियों की आरंभिक जांच में यह बात सामने आई है।

300 बच्चे-बच्चियां हैं लापता

निर्मल हृदय में रहीं पीडि़ताओं से जन्मे और शिशु भवन में रखे गए लगभग 300 बच्चे लापता हैं। सीडब्ल्यूसी की प्रारंभिक पूछताछ में इस बात का भी खुलासा हो रहा है कि इन बच्चों को बाल श्रम के लिए झारखंड के कई अधिकारियों के रिश्तेदारों के यहां लगाया गया है, जहां अब वे बाल श्रमिक से श्रमिक बन गए हैं। इतना ही नहीं, खूफिया रिपोर्ट की मानें तो अधिकांश बच्चों को बेच दिया गया है। इनमें से कई बच्चे ऐसे भी हैं, जिन्हें मिशनरी संस्थाओं के हवाले करते हुए पादरी बनाए जाने के लिए भेज दिया गया। कई का धमरंतरण भी करा दिया गया है।