बेहद खतरनाक है यह तरीका

इलाहाबाद साइबर सेल की मानें तो अगर कोई एटीएम पिन चोरी कर ले तो वह आसानी से एटीएम नंबर और पिन नंबर की मदद से इंटरनेट शॉपिंग कर सकता है। लेकिन अब यह पुरानी बात हो चुकी है। आजकल के साइबर क्रिमिनल्स दो कदम आगे हैं। वे सीधे बैंक से या किसी अन्य तरीके से किसी के बैंक एकाउंट की पूरी डिटेल पता कर लेते हैं। फिर आसानी से टोल फ्री नंबर से नया पिन नंबर जानने की कोशिश करते हैं। वहां से पिन नंबर लेने के बाद शुरू हो जाता है उनका कारनामा। नया पिन नंबर के साथ ही साइबर क्रिमिनल्स मास्टर पिन नंबर बनाते हैं। एक बार यह मास्टर पासवर्ड बन जाए तो आप सोच भी नहीं कर सकते कि क्या हो सकता है।

122 एकाउंट की डिटेल

साफ्टवेयर इंजीनियर धनंजय को साइबर क्राइम के आरोप में पुलिस ने पकड़ कर जेल भेज दिया। साइबर सेल के प्रभारी ज्ञानेन्द्र राय ने बताया कि धनंजय बहुत ही शातिर है। उसने पूछताछ के दौरान बहुत सारी जानकारी नहीं थी। उसके रूम से पुलिस को दो डायरी मिली। जिसमें एक डायरी में धनंजय ने 98 लोगों के बैंक एकाउंट की पूरी डिटेल तैयार करके रखी है। उसके पास से एक और डायरी मिली जिसमें अलग-अलग 24 बैंक एकाउंट नंबर है। मतलब साफ है। उसके टारगेट में अभी 122 बैंक एकाउंट थे जिसे वह कभी भी हाथ साफ कर सकता था।

रहस्य बना रह गया जीतेन्द्र केस

जीतेन्द्र केस पुलिस के लिए अभी भी रहस्य बना हुआ है। पुलिस कांस्टेबल जीतेन्द्र के बैंक एकाउंट से रुपए ट्रांजेक्शन करने का आरोप धनंजय पर है। धनंजय ने बड़े ही शातिराना अंदाज से अपने काम को अंजाम दिया है। अलोपीबाग एटीएम से जीतेन्द्र ने अंतिम बार अपना पैसा निकला था। उसी के नेक्स्ट डे से उसके बैंक एकाउंट से रुपए ट्रांजेक्शन हुआ। जब साइबर सेल ने एटीएम का वीडियो फुटेज देखा तो उसके भी होश उड़ गए। क्योंकि वीडियो फुटेज में कहीं भी जीतेन्द्र के पीछे कोई व्यक्ति नहीं लगा था। ऐसे में फिर धनंजय को जीतेन्द्र का बैंक एकाउंट और उसका एटीएम का पिन या पासवर्ड कैसे मिल गया अभी तक यह रहस्य बना हुआ है।

Duplicate card भी बना लेते हैं

साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्रा की मानें तो साइबर एक्सपर्ट बहुत एलर्ट हो गए हैं। मेट्रो सिटीज में वे बड़ी आसानी से काम कर रहे हैं। इसके लिए वे न तो चोरी करते हैं और ना ही एटीएम कार्ड यूज करने वाले का पीछा करते हैं। बल्कि उन्होंने आसान तरीका अपना लिया है। एटीएम कार्ड स्वैपर पर एक फेक कवर लगाते हैं। जिसमें चिप लगा होता है। जैसे ही कोई उस कवर के अंदर पैसा निकलाने के लिए एटीएम कार्ड स्वैप करता है उसकी पूरी डिटेल चिप में कॉपी हो जाती है। इस तरह से बड़ी आसानी से साइबर क्रिमिनल्स बाद में उस चिप की मदद से डुप्लीकेट एटीएम कार्ड बनाकर अपने कारनामों को अंजाम देते हैं। यही नहीं एटीएम के पिन नंबर के लिए जहां टाइपिंग पैड होता है, उसके ऊपर भी चिप वाला कवर लगा देते हैं। चिप के ऊपर टाइप करने से उसका पासवर्ड सेव हो जाता है, जिससे यह भी आसानी से पता चल जाता है कि उस एटीएम का पासवर्ड क्या है। इस तरह से साइबर एक्सपर्ट आसानी से बैंक डिटेल पता करके इंटरनेट शॉपिंग कर रहे हैं।