- ज्ञानेंद्र सिंह विश्व शांति के लिए पिछले 12 सालों से साइकिल पर रहे हैं देशभर में यात्रा

- अभी तक 22,220 किलोमीटर चला चुके हैं साइकिल

<- ज्ञानेंद्र सिंह विश्व शांति के लिए पिछले क्ख् सालों से साइकिल पर रहे हैं देशभर में यात्रा

- अभी तक ख्ख्,ख्ख्0 किलोमीटर चला चुके हैं साइकिल

Meerut meerut@inext.co.in

Meerut : ज्ञानेंद्र सिंह अपने परिवार को छोड़कर पूरे विश्व में शांति स्थापित करने के संदेश के साथ पूरे देश में साइकिल पर सफर कर रहे हैं। अपने पांचवे पड़ाव के इस इस सफर में उन्होंने डिग्री और इंटर कॉलेज के स्टूडेंट्स को शांति स्थापित करने का ज्ञान बांटा।

रामेश्वरम से मुंबई तक

उत्तराखंड राज्य के उधमसिंह जिले के निवासी ज्ञानेंद्र वर्ष ख्00ख् से अभी पांच यात्राएं देशभर के अलग-अलग हिस्से की कर चुके हैं। अपनी पांचवी यात्रा के दौरान 7ब्ब्भ् किलोमीटर का सफर साइकिल से तय किया। वो इस दौरान रामेश्वरम से चले और मदुरई, कन्याकुमारी, कोचीन, मंगलौर, मैसूर, बंगलूरू, चेन्नई, गुंटूर, विजयवाड़ा, पुणे, रालेगण सिद्धि, नासिक और मुंबई पहुंचे थे। ये यात्रा उन्होंने क्राइम कंट्रोल और व‌र्ल्ड पीस को लेकर की थी।

यहां भी की यात्राएं

उनकी पहली यात्रा ख्00ख् में कम्यूनल हार्मनी और व‌र्ल्ड पीस को लेकर फ्000 किलोमीटर की यात्रा की थी। दूसरी यात्रा ख्0क्क् में प्रोटेक्शन ऑफ इंवायरनमेंट और क्रिकेट व‌र्ल्ड कप टीम इंडिया को विश करने के लिए ख्भ्00 किलोमीटर की यात्रा म् राज्यों में की थी। तीसरी यात्रा नवंबर क्क् में नेशलन यूनिटी और व‌र्ल्ड पीस को लेकर भ्क्क्भ् किलोमीटर की थी। वहीं चौथी यात्रा उन्होंने मार्च क्ख् में शुरू की थी। इस दौरान उन्होंने ब्क्म्0 किलोमीटर की यात्रा की थी।

अब जाएंगे यहां

उन्होंने बताया अब कुछ दिनों तक अपनी मां के साथ अपने गांव में रहेंगे। उसके बाद उनकी छठी यात्रा शुरू हो जाएगी। इस बार करीब क्भ् से ख्0 हजार किलोमीटर तक का सफर तय करने का मन बना रहे हैं। जिसमें दो से तीन साल तक समय लग सकता है। इस बार उन्होंने नागपुर से रायपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता, रांची, गया, पटना, लखनऊ, दिल्ली से अपने गांव के करीब रामनगर तक की यात्रा करेंगे।

हजारों बच्चों को दिया संदेश

ज्ञानेंद्र सिंह बताते हैं कि इस दौरान उन्होंने अलग-अगल कॉलेज और स्कूलों में 8फ् लेक्चरर दिए हैं, जिनमें से ख्फ् स्कूल और म्0 डिग्री कॉलेज के हैं। असर होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं अपना काम कर रहा हूं। फल को मैंने ऊपर वाले पर छोड़ दिया है। मैं अनशन भी किया है। मेरा आखिरी अनशन फ्8 दिनों का था।