उन्होंने एन्वायरमेंट के प्रति लोगों को मोटिवेट करने के लिए साइक्लिंग को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उनका कहना है कि एन्वायरमेंट चेंज होने का सबसे बड़ा रीजन पॉल्यूशन है और साइकिल का यूज कर इसे कुछ हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि साइकिल के लिए न तो पेट्रोल चाहिए और न ही डीजल। बस हवा भरो और काम पर चलो।
साइकिल से आते हैं ऑफिस
अर्जुन अवार्डी और कई इंटरनेशनल एथलेटिक्स इवेंट के गोल्ड मेडल विनर  बगीचा सिंह ट्रेनिंग सेंटर डेली साइकिल से आते हैं। इतना ही नहीं हफ्ते में तीन से चार दिन ऑफिस आने के लिए भी साइकिल का इस्तेमाल करते हैं। शुरू में बगीचा सिंह के साइक्लिंग के इस जुनून को उनके कॉलिग्स ने सीरियसली नहीं लिया, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें इसके फायदे का अहसास होने लगा। इसके बाद वे भी वीक में तीन से चार दिन साइकिल से ऑफिस आने लगे।
कैडेट पर पड़ा पॉजेटिव असर
बगीचा सिंह बताते हैं उनके यहां डिफरेंट सेक्शन में 500 से ज्यादा कैडेट हैं। एथलेटिक्स में ही 60 से ज्यादा बच्चे ट्रेनिंग के लिए आते हैं। ट्रेनिंग सेशन में मुझे साइकिल से आते देख कर कैडेट पर पॉजिटिव असर पड़ा। आस-पास के एरिया में रहने वाले कैडेट, जो पहले बाइक से ट्रेनिंग के लिए आते थे, वे साइकिल से आने लगे।
जनवरी से शुरू हुआ अभियान
टाटा स्पोट्र्स डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स द्वारा साइकिल यूज करने का सिलसिला जनवरी 2012 से शुरू हुआ। जब पहली बार स्पोट्र्स डिपार्टमेंट के एथलेटिक्स ट्रेनिंग सेंटर के कोच और प्रोक्योरमेंट डिपार्टमेंट के हेड बगीचा सिंह न सिर्फ ट्रेनिंग बल्कि ऑफिस भी साइकिल से आने लगे। उन्हें देख कर धीरे-धीरे दूसरे स्टॉफ भी साइकिल का यूज
करने लगे।
Cycling के हैं कई फायदे

बगीचा सिंह ने बताया कि साइक्लिंग के कई फायदे हैं। इससे एन्वायरमेंट सेव करने में मदद तो मिलती ही है, हेल्थ और वेल्थ पर भी पॉजिटिव असर पड़ता है। साइक्लिंग से महंगाई जैसी डायन को भी कुछ हद तक काबू कर सकते हैं।  
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सोसाइटी को पॉजिटिव मैसेज देने के लिए मैंने डेली रूटीन में साइकिल को अपनाया। शुरू में तो सभी ने मेरे बारे में कई तरह की बातें कहीं, लेकिन धीरे-धीरे उन्हें भी साइक्लिंग के फायदे का अहसास हुआ। अब मेरे कलिग्स और ट्रेनिंग सेंटर के बच्चों ने भी साइकिल का यूज करना शुरू कर दिया है।
बगीचा सिंह, कोच, टाटा स्टील एथलेटिक्स एकेडमी

पहले मैं बाइक से ट्रेनिंग के लिए आता था। सर को साइकिल से आते देख कर मोटिवेट हुआ और मैं भी साइकल से ही ट्रेनिंग सेंटर आना स्टार्ट कर दिया। इससे पाकेट मनी सेव होने के साथ-साथ एक्सरसाइज भी हो जाता है।
विकास कुमार शर्मा, कैडेट, गोलमुरी

सर हमेशा हमलोगों को सोसाइटी के लिए कुछ करने के लिए मोटिवेट करते हैं। उनके मोटिवेशन की वजह से ही हमलोग साइकिल से ट्रेनिंग सेंटर आने लगे।
इंदल राव, कैडेट, कदमा

कीमत बढऩे की वजह से पेट्रोल का खर्च बढ़ गया था। जब मैंने देखा सर खुद ही साइकिल से ऑफिस के साथ-साथ ट्रेनिंग के लिए आ सकते हैं तो मैं क्यों नहीं। साइकिल से आने से पाकेट मनी सेव हो जाती है.                  

शुभम, कैडेट, एग्रिको