- सबसे अधिक डग्गामारी दिल्ली और जयपुर रूट पर

- आरटीओ विभाग कार्रवाई के नाम पर कर रहा मजाक

BAREILLY : डग्गामार वाहन सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर लोगों की जिंदगियों को खतरे में डाल रहे हैं। मगर जिम्मेदार हैं कि उन्हें लोगों की जान की कोई परवाह नहीं। एक के बाद एक रोड एक्सीडेंट्स में जान गंवा रहे लोगों की चीखें भी विभाग की कुंभकर्णी नींद नहीं खोल पा रही हैं। बीते कुछ समय में सिटी में डग्गामार वाहनों के चलते कई बड़े हादसे हो चुके हैं, लेकिन विभाग के द्वारा कार्रवाई के नाम पर हो रहे मजाक की वजह से उन पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। यही नहीं डग्गामार वाहनों पर लगाम लगाने के लिए रोडवेज भी कई बार आरटीओ और पुलिस विभाग को डग्गामार वाहनों की लिस्ट और फोटो सौंप चुका है, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। सूत्रों के मुताबिक डग्गामार वाहन से आरटीओ विभाग को पर मंथ पांच करोड़ से अधिक की कमाई हो रही है।

भ् करोड़ से अधिक कमाई

सूत्रों के मुताबिक डग्गामार वाहनों से आरटीओ विभाग की कमाई महीने की भ् करोड़ रुपए से अधिक है। डग्गामार वाहनों से जो भी वसूली होती है। वह अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच डिस्टिब्यूट होती है। एमवी एक्ट के अकॉर्डिग डग्गामार वाहनों के खिलाफ भ्,000 रुपए जुर्माना और रजिस्ट्रेशन निरस्त कर देना चाहिए। मगर आरटीओ विभाग द्वारा चेकिंग के दौरान पकड़े जाने पर मामूली जुर्माना वसूल कर गाडि़यों को सड़कों पर फर्राटा भरने के लिए छोड़ दिया जाता है। ताकि बार-बार कार्रवाई कर पैसे की उगाही की जा सके। डग्गामार वाहनों में ओवरलोडिंग भी काफी हद तक की जाती है। सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक अधिकारियों की ओर से फ्00 से लेकर ख्क्,00 रुपए तक की वसूली की जाती है।

करीब ख्0,000 डग्गामार वाहन

एक अनुमान के मुताबिक ख्0,000 से अधिक वाहन ऐसे हैं, जो डग्गामार की श्रेणी में आते है। सबसे अधिक डग्गामारी दिल्ली और जयपुर रूट्स पर देखने को मिलती है। दिल्ली रूट पर क्00 से अधिक प्राइवेट बसें मानकों को ताक पर रखकर चल रही हैं। जयपुर रूट पर क्ख् डग्गामार बसें चलती हैं। इसके अलावा पलिया, बीसलपुर, पीलीभीत, शाहजहांपुर जैसे विभिन्न रूट्स पर भी डग्गामार वाहनों का मकड़जाल फैला हुआ है। ये वाहन किसी भी नियम-शर्तों को फॉलो किए बिना चलाए जाते हैं। सीट की अपेक्षा कहीं अधिक पैसेंजर्स को ठूस दिया जाता है। गाड़ी के कागज भी पूरे नहीं होते हैं। गाड़ी के टायर और बॉडी इतनी कमजोर होती हैं कि किसी भी वक्त जबाब दे जाए। इन सब लापरवाहियों का ही नतीजा सिटी में होने एक्सीडेंट्स हैं।

कई बार हो चुका है हंगामा

कुछ महीने पहले पीलीभीत बाईपास रोड पर ट्रक ड्राइवर और ऑफिसर्स के बीच जमकर हाथापाई हुई थी। व्यापारियों ने वसूली का जमकर विरोध किया था। वहीं ट्रांसपोर्ट यूनियन और व्यापारियों ने आरटीओ विभाग जाकर वाहनों के खिलाफ एक्शन लेने की बात कही थी। लोगों ने ख्00 डग्गामार वाहनों की लिस्ट भी विभाग को सौंपी थी।