देश में बहुत जल्द लोक सभा चुनाव होने वाले हैं। इसे लेकर अभी से ही लोग अपनी उत्सुकता जाहिर कर कर रहे हैं। पुरुषों के साथ ही इस बार महिलाएं भी अपने वोट को लेकर कहीं ज्यादा जिम्मेदार नजर आ रही हैं। वुमंस डे के मौके पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और रेडियो सिटी द्वारा ऑर्गनाइज राजनी-टी के मंच पर विशेष चर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें गोरखपुर की वो महिलाएं पहुंचीं जिनकी सिटी में एक अलग पहचान है। इन महिलाओं ने अलग-अलग क्षेत्रों में अलग पहचान बनाई है। दैनिक जागरण कार्यालय में आर्गनाइज इस प्रोग्राम में महिलाओं ने बेबाकी से महिला सुरक्षा, शिक्षा, आरक्षण और बेरोजगारी पर अपनी बात रखी। प्रोग्राम का संचालन कर रहीं आरजे प्रीति ने कई ज्वलंत मुद्दों को महिलाओं के सामने रखा और उनसे उनकी राय जानी।

महिलाओं को होना होगा हाईटेक

राजनी-टी की शुरुआत हुई तो सबसे पहले राज्य महिला आयोग उपाध्यक्ष अंजू चौधरी ने कहा कि देश बदल रहा है। देश को तेजी से डिजिटल बनाने का काम भी हो रहा है। तेजी से बदलते इस युग में बहुत जरूरी है कि महिलाएं भी अब हाईटेक हों। क्योंकि हाईटेक बनने का मुख्य मकसद समय के साथ चलना और किसी भी काम को और आसानी से अंजाम तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि महिलाएं जो कि देश की आधी आबादी हैं, वे अगर हाइटेक होती हैं तो इसका देश को भी फायदा होगा। इसके साथ ही महिलाओं को अपने हक के लिए जूझना भी नहीं पड़ेगा।

शिक्षित होना बेहद जरूरी

मेडिकल कॉलेज की एचओडी रीना श्रीवास्तव ने भी इसी क्रम में अहम मुद्दों को उठाया। उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी है कि पहले महिलाएं शिक्षित हों तब ही उनका विकास होगा। सरकार द्वारा योजनाएं तो तमाम लाई गई हैं जिससे महिलाओं को फायदा मिलेगा। लेकिन इसकी जानकारी कम ही महिलाओं को हो पाती है। क्योंकि महिलाएं घर के ही काम-काज में रह जाती हैं इसलिए उनके लिए मिलने वाली योजनाओं की जानकारी उन्हें नहीं मिल पाती। इसलिए सबसे पहले ये जरूरी है कि सभी महिलाएं शिक्षित हों और इसके लिए जितना भी प्रयास हो उसे किया जाए।

महिलाओं को नहीं कर सकते इग्नोर

डीडीयू की प्रो। विनीता पाठक ने कहा कि सरकार ने योजनाएं तो बहुत लाई हैं लेकिन ये सही ढंग से लागू हों और हर नागरिक को जानकारी हो जाए ये बहुत ही मुश्किल काम है। जिस दिन देश के सभी लोग अपना अधिकार जान लेंगे उस दिन देश की तरक्की को कोई रोक नहीं पाएगा। लेकिन होता ये है कि योजनाओं को घर-घर पहुंचाने वाले जिम्मेदार ही इसे दबाने में लग जाते हैं। योजना के मद में मिले धन का बंदरबांट होने लगता है। जिससे योजनाएं तो जरूरतमंदों तक पहुंचती हैं लेकिन लाभ पाने वालों की संख्या बेहद कम होती है। उन्होंने कहा कि पॉलिटिक्स में बहुत कम ही संख्या में महिलाएं कदम रख पाती हैं। पॉलिटिक्स में महिलाओं की संख्या ज्यादा हो इसके लिए जरूरी है कि उन्हें राजनीति में आरक्षण प्रदान किया जाए।

मेरी बात

आज भी महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे निकलने के बाद भी शाम होते ही घर का खाना बनाने की चिंता सताती है। आज भी महिलाओं को शिक्षित होने के बाद भी एक दायरे में बंधकर ही रहना पड़ता है। जबकि उनकी एक अलग पहचान हो चुकी है। इसके लिए जरूरी है कि पुरुषों को भी महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी।

- अल्का जायसवाल, एनजीओ वर्कर

कड़क मुद्दा

चर्चा के दौरान सबसे कड़क मुद्दा ये

उठा कि सरकार द्वारा योजानएं तो बहुत लाई जाती हैं लेकिन इसकी जानकारी बहुत कम लोगों तक पहुंच पाती है। जिससे आज भी सबसे ज्यादा महिलाएं अपने अधिकार से वंचित हैं। जिस दिन योजनाएं देश के हर कोने में पहुंच जाएंगी उस दिन देश के विकास को कोई रोक नहीं पाएगा।

सतमोला खाओ, कुछ भी पचाओ

चर्चा के दौरान ही ये मुद्दा बेबाकी से महिलाओं ने उठाया कि देश की महिलाओं की राजनीति में बहुत कम संख्या है। जबकि देश की ये आधी आबादी है। इसलिए सबसे जरूरी है कि राजनीति में महिलाओं को भी लाने के लिए उन्हें आरक्षण दिया जाए। जिससे पुरुषों के साथ ही महिलाएं भी देश के विकास में अपनी भागीदारी करें।

कोट्स

देश की सरकारों ने महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए योजनाएं तो बहुत लाई लेकिन इसकी जानकारी के लिए जागरुकता नहीं फैलाई है। इसलिए जरूरी है कि योजनाएं घर-घर पहुंचे तो इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाए जाएं।

- रेखा गुप्ता, चेयरमैन, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज