JAMSHEDPUR: दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित मिलेनियल्स स्पीक में शहर के युवा अपनी-अपनी राय रखकर लोकसभा चुनाव के मुद्दे उठा रहे हैं। मंगलवार को राजनी-टी कार्यक्रम काशीडीह स्थित ठाकुर प्यारा सिंह मैदान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में 'क्या एजूकेशन सेनेरियों लोकसभा का चुनावी मुद्दा रहेगा' विषय उपस्थित मिलेनियल्स ने खुलकर अपनी राय रखी।

एजुकेशन सिस्टम में हो बदलाव
चर्चा के दौरान मिलेनियल्स ने एजूकेशन सिस्टम में बदलाव की बात कही। उन्होंने कहा कि प्राइवेट एजुकेशन इतनी मंहगी होती जा रही है कि यह आम आदमी के बस के बाहर की बात हो रही है। वहीं सरकारी स्कूलों की स्थित इतनी खराब है कि वहां कोई अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना नहीं चाहता है। देश के सामने एक बड़ी बिडंबना ही है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं। मिलेनियल्स ने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्राइवेट एजूकेशन सेंटर पर सरकार द्वारा नकेल नहीं कसने से उनके हौसले बुलंद होते चले जा रहे हैं। इससे आम अदमी की लाइफ कठिन होती जा रही है। मिलेनियल्स ने कहा कि देश को क्वालिटी एजूकेशन की ओर ध्यान देना होगा। देश में अच्छे इंजीनियर और डाक्टर तैयार होने के बाद भी हम शोध के क्षेत्र में कुछ खास प्रगति नहीं कर पाये हैं। आईआईटी और आईआईएम को छोड़ दें बहुत से कम ही ऐसे राज्य हैं, जहां पर कोई व‌र्ल्ड क्लास की प्रायोगशाला है, जहां पर विभिन्न विषयों का अध्यन और शोध कार्य किया जा सके। मिलेनियल्स ने कहा कि एजूकेशन सिस्टम हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है, इसलिए लोकसभा चुनाव में एजूकेशन सिस्टम में सुधार एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहेगा।

योग्य टीचर की हो बहाली
परिचर्चा के दौरान मिलेनियल्स ने कहा कि आज स्कूलों में योग्य टीचरों की कमी है। आरक्षण के चलते युवाओं का भविष्य गलत हाथों में सरकारें सौंप रही है। जबकि वहीं योग्य टीचर प्राइवेट कॉलेज में कम पैसे पाकर भी बच्चों को अच्छी शिक्षा दे रहे हैं। देश की साक्षरता में वृद्धि हुई है। साथ ही देश की महिला साक्षरता में भी अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। कल तक जहां बेटियों की पढ़ाई कक्षा आठ और मैट्रिक के बाद रोक दी जाती थी, वहीं अब महिला शिक्षा का विकास हुआ है। चर्चा के दौरान मिलेनियल्स बोले कि बीते 10 से 20 सालों में देश में बच्चों को महज शिक्षित करने की जो होड़ चली थी, आज हम सब उसी का परिणाम देख रहे हैं। हमारे पास डिग्री तो है लेकिन हम काम करना नहीं जानते हैं।

प्राइवेट संस्थानों पर लगे लगाम
राजनी-टी परिचर्चा में मिलेनियल्स ने सलाह दी कि सरकार को प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर अंकुश लगाना होगा। उन्होंने बताया कि प्राइवेट संस्थानों में शिक्षा के नाम पर छात्र-छात्राओं को डिग्रियां बांटने का काम किया जा रहा है। आ‌ई्रटीआई पास करने वाले छात्रों को फीता का ज्ञान नहीं है। मिलेनियल्स ने कहा कि प्राइवेट संस्थान भ्रष्टाचार बढ़ाने में सहायक हैं। सरकार अगर इन संस्थनों पर नकेल नहीं कसती है तो ऐसे संस्थानों से निकले वाले छात्रों को कोई कंपनी सेलेक्ट नहीं करेगी। इसलिए सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह समय-समय पर यह देखे की सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में किस क्वालिटी की शिक्षा युवाओं को दी जा रही है। मिलेनियल्स इस बात पर भी सहमत थे कि सरकारी स्कूलों के विलय को रोका जाए, जिससे गरीब बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिल सके।

मिले एक टॉप क्लास संस्थान
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मिलेनियल्स ने कहा कि सरकार शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर रही है और उसका विकास कर रही है, लेकिन वहां पढ़नेवाले छात्र-छात्राओं का विकास नहीं हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले में 6 कस्तूरबा गांधी विद्यालय संचालित हैं, जिनमें हर साल करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं। इन विद्यालयों की कोई भी छात्रा कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल नहीं कर पा रही है, क्योंकि सरकार इनका सही तरीके से संचालन नहीं कर पा रही है। सरकार को चाहिये कि इन विद्यालयों में व‌र्ल्ड क्लास की फसिलिटी दी जाये।

सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ
राजनी-टी में चर्चा के दौरान एक मिलेनियल्स ने कहा कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली से रोजगार में वृद्धि हुई है। जो बात अन्य मिलेनियल्स को नहीं पची। बात का खंडन करते हुए एक युवा ने कहा कि आधुनिक शिक्षा के चलते ही हम बेरोजगारी चरम सीमा तक पहुंच चुकी है। आज देश में हर युवा शिक्षित होकर सरकारी नौकरी के पीछे लग जाता है। युवा अपनी उम्र के 30 से 35 साल सरकारी नौकरी के पीछे बर्बाद कर देते है। जिसके बाद उनका भविष्य गर्त में ही चला जाता है। मिलेनियल्स ने कहा कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली पेक्ट्रिकल से ज्यादा कल्पनाओं में चलती है। जिससे हम टेक्निकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कोई खास प्रगति नहीं कर सके। जबकि आज पूरा विश्व टेक्निकल शिक्षा की बात कर रहा है।

मेरी बात
सरकार एजूकेशन क्षेत्र के विकास के लिए अरबों रुपये खर्च कर रही है लेकिन सरकार का फोकस रिचर्स की ओर शायद नहीं है। इसीलिए आईआईटी, एनआईटी और एम्स से निकले वाले डाक्टर इंजीनियर विदेशों में जाकर शोध करते हैं, जिनका श्रेय भारत को नहीं बल्कि यूरोपियन कंट्री को मिल रहा है। मेरा सरकार से यही कहना है कि स्कूलों और कॉलेज को सुविधा दी जानी चाहिये, लेकिन सुविधा के नाम पर शिक्षा का ह्रास नहीं होना चाहिये। देश अगर वाकई में तरक्की करना चाहता है, तो उसे देश में रिसर्च को बढ़ावा देना चाहिये। सरकारी स्कूलों में पढ़े लोग आज आईएएस बन रहे लेकिन इन्ही स्कूलों में वह अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेज रहे है। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा।

सम्राट सिंह

कड़क मुद्दा
हमारे देश में अभी भी वहीं इतिहास, भूगोल, नागरिक शास्त्र जैसे मानविकी विषयों पर शिक्षा पद्धति चल रही है। जबकि दुनिया के अनेकों देशों में टेक्निकल शिक्षा के विकास पर तेजी से काम चल रहा है। आज भी हम ऐसी शिक्षा नहीं ला पाए, जिससे किसी यूरोपियन कंट्री के छात्र यहां आकर शिक्षा ग्रहण करें। हमने व‌र्ल्ड लेबल के आईआईटी, आईएमएम और जेएनयू जैसे संस्थान विकसित किए है लेकिन ऐसे संस्थानों को प्रत्येक राज्य में विकसित करने की जरूरत है।

रंजन सिंह

शक्षा में बेहतर सुधार के लिए सरकार को अच्छे बिना आरक्षण योग्य टीचरों का चयन करना होगा। जिले के ग्रामीण इलाकों में ऐसे टीचर तैनात है जिन्हें हिन्दी का ही ज्ञान नहीं है। प्राइवेट शिक्षा इतनी मंहगी है कि आम आदमी की पहुंच से दूर है सरकार को चाहिये कि सरकारी विद्यालयों की एजूकेशन की क्वालिटी को मेंटेंन करें। इसकी नियमित देख रेख भी होनी चाहिये

अजय कुमार

टेक्नोलॉजी के विकास होने से एजूकेशन सिस्टम सरल हुआ है, लेकिन बेसिक स्तर पर सरकार को छात्रों को अच्छी शिक्षा देने की व्यवस्था करनी चाहिये। हर साल एजूकेशन के लिए अरबों का बजट खर्च होने के बाद भी एजूकेशन सिस्टम में कोई बड़ा बदलाव नहीं हो पा रहा है। जो सरकार इस दिशा में काम करेगी लोकसभा में उसी को वोट देंगे।

शुशांत नामता

देश में क्वालिटी एजूकेशन पहले से खराब हुई है वहीं बेरोजगारी का प्रतिशत बढ़ता ही चला ही जा रहा है। जहां पहले एक गांव में एक ही इंजीनियर होता था वहां शिक्षा के प्राइवेट सेक्टर ने इंजीनियर तो पैदा कर दिए है लेकिन वहीं इंजीनियर आज 10 हजार रुपये की नौकरी के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। मेरी सरकार से यहीं मांग है कि रोजगार दीजिए। युवाओं के जीवन को सही रास्ता दीजिये।

शुभम मार्कम

प्राइवेट शिक्षा के क्षेत्र में लगातार मंहगाई की मार के चलते प्राइवेट शिक्षा आम आदमी से दूर होती जा रही है। सरकार के लाखों प्रयास के बाद प्राइवेट स्कूलों के रवैये में कोई बदलाव नहीं हो रहा है। स्कूलों में फीस के साथ कॉपी किताबों और ड्रेस के नाम पर उगाही कर रहे है जिसकी शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इस दिशा में काम करने वाले लोगों को ही वोट दिया जाएगा।

अमन यादव

शिक्षा क्षेत्र में बने नियम कानूनों का पूरी तरह से पालन नहीं हो पा रहा है। शहर के कॉलजों में अनुशासन की कमी के चलते युवाओं को भविष्य बेकार हो रहा है। सरकार शिक्षा के विकास के लिए करोड़ों रुपये की लागत से बिल्डिंग और सुविधाएं दे रही है। लेकिन इस ओर सरकार का ध्यान न होने से शिक्षा का विकास न होकर गर्त में जा रहा है। आने वाली सरकार उसी की होगी जो एजूकेशन सिस्टम का दुरस्त करेगा। इस बार के अंतरिम बजट में सरकार ने चुप्पी साधी है। सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र को बजट नहीं दिया गया है।

अंकित मोदी

शहर में सरकारी शिक्षा की स्थित किसी से छिपी नहीं है, करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी युवाओं के हाथों में डिग्री ही आ रही है। सरकारी स्कूलों की शिखा व्यवस्था अच्छी न होने का फायदा प्राइवेट संस्थान उठा रहे है। जिसका खामियाजा मध्य वर्ग के लोगों को उठाना पड़ रहा है। सरकार को शिक्षा के विकास के लिए कुछ कठोर कदम उठाने होंगे जिससे शिक्षा का विकास हो सकेगा।

शैलेश जायसवाल

सरकार ने शिक्षा के विकास के लिए अनेक कार्यक्रम चलाये गए । सर्वशिक्षा अभियान के तहत छह साल से 14 साल के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा के माध्यम से प्राथमिक शिक्षा से जोड़ा गया। महिलाओं को साक्षर करने के लिए ब्लॉक स्तर पर सरकारी बालिका विद्यालय की स्थापना हो या जमशेदपुर में वूमेंस यूनीवर्सिटी की स्थापना जैसे अभूतपूर्व कार्य हुए है। देश की बढ़ती हुई जनसंख्या देश के विकास कार्य को खाने का काम कर रही है। हमें चीन जैसी पद्धतियों का उपयोग करना चाहिये।

संजय सिंह

महिला शिक्षा के लिए सरकार ने अच्छा काम किया। शहर में वूमेंस यूनीवर्सिटी हो या ग्रेजुएट कॉलेज और को एजूकेशन के माध्यम से महिला साक्षरता में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही अब युवाओं को रोजगार परक शिक्षा देने की जरूरत है। जिस दिशा में सरकार को काम करना होगा। आज हमारे देश की कंपनियां टेक्निकल और प्रशिक्षित लोगों को रोजगार देने में असफल हो रही है। सरकार को इस दिशा में काम करना होगा जिससे एक मजबूत भारत बन सकेगा।

शुभी भारद्वाज