jamshedpur@inext.co.in

JAMSHEDPUR: दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से मिलेनियल्स स्पिक के तहत राजनीटी का आयोजन मंगलवार को साकची पलंग मार्केट में किया गया. इसमें युवाओं ने सरकारी दफ्तरों में करप्शन के मुद्दे पर चर्चा की. चर्चा की शुरुआत करते हुए चिन्ना राव ने कहा कि आजादी के 71 वर्ष बाद भी देश के विकास में करप्शन सबसे बड़ी बाधा है. करप्शन सिस्टम में इस तरह घुल गया है कि इससे छुटकारा पाना भी मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि तकनीक के इस जमाने में भी सरकारी दफ्तरों में बगैर घूस दिए काम कराना मुश्किल हो गया है, जबकि करप्शन रोकने के लिए से नो टू करप्शन, एंटी करप्शन टीम, विजिलेंस सहित तमाम टीमें लगी हुई हैं. लेकिन घूसखोरों के आगे यह सभी टीमें बौनी साबित हो रही हैं.

करप्शन में आगे अपना देश
चर्चा को आगे बढ़ाते हुए सुब्रतो सरकार ने कहा कि हाल ही में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया एवं लोकल सर्कल्स द्वारा कराए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण के आंकड़ों पर आधारित 'इंडिया करप्शन सर्वे-2018' नामक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पिछले साल देश 56 प्रतिशत लोगों को अपना काम करवाने के लिए रिश्वत का सहारा लेना पड़ा है. पिछले साल भी संस्था ने सर्वेक्षण कराया था जिसमें यह आंकड़ा 45 प्रतिशत था, जो इस साल 11 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 56 प्रतिशत तक पहुंच गया है. इससे देख सकते सरकार सरकारी दफ्तरों से करप्शन कम करने में फैल होती नजर आ रही है, इसे रोकने में सरकार द्वारा सारी की सारी टीम रिश्वतखोरी रोकने में फैल साबित हो रही है. शहर में ही आए दिन रिश्वतखोरी के मामले सामने आते रहते हैं.

भ्रष्टाचार का कारण रिश्वतखोरी
चर्चा के दौरान मिलेनियल्स ने कहा देश में भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण रिश्वतखोरी भी है. रिश्वतखोरी को सरल शब्दों में समझें तो यह ऊपर की कमाई और घूस है. रिश्वत लेना और देना फैशन बनता जा रहा है. बेधड़क रिश्वत का काला कारोबार आसानी से फूल- फल रहा है. आए दिन अखबारों में अधिकारी-कर्मचाररियों के रिश्वत लेते कारनामे उजागर हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज हर डिपार्टमेंट रिश्वतखोरी के रंग में रंग चुका है. लोगों में रिश्वत देकर काम निकालवाने की प्रवृत्ति घर करती जा रही है.

हर काम के लिए पैसा
मिलेनियल्स ने कहा कुछ लोग करोड़ों की रिश्वत देकर लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं. जनमानस में धारणा बैठ गई है कि रिश्वत देने से हर जटिल काम सरल हो जाता है. इसलिए आज मंदिर में दर्शन के लिए, स्कूल अस्पताल में एडमिशन के लिए, ट्रेन में रिजर्वेशन के लिए, राशन कार्ड, लाइसेंस, पासपोर्ट बनवाने के लिए, नौकरी के लिए, रेड लाइट पर चालान से बचने के लिए, सरकारी ठेका लेने जैसे कई कामों के लिए रिश्वत दी और ली जा रही है.

रिश्वत लेने का सिलसिला बहुत पुराना
मिलेनियल्स ने कहा सरकारी दफ्तरों में रिश्वत लेने का सिलसिला बहुत पुराना है. जब तक मुट्ठी गरम नहीं की जाती, तब तक फाइल एक मेज से दूसरे मेज तक सरकती नहीं है. भारत में इस मर्ज के उपचार के लिए कई छोटे-मोटे ऑपरेशन किए गए, पर अब तक पूर्ण सफलता हाथ नहीं लग पाई है, क्योंकि अधिकांश लोगों का सोचना है कि कोई ओर खजाना लूटे इससे अच्छा तो पहले हम ही लूट लें. रिश्वत लेते और देते वक्त लोग यह भूल जाते हैं कि वे ऐसा करके खुद के साथ अन्याय तो कर ही रहे हैं साथ ही किसी भले आदमी का हक भी मार रहे हैं.

सत्ताधारियों की जिम्मेदारी
युवाओं ने कहा लोगों में यह गलत धारणा है कि मेरे अकेले के रिश्वत लेने और देने से कौन सा देश बदल जाएगा हमें ईमानदार बनने की सर्वप्रथम शुरुआत स्वयं से करनी होगी, क्योंकि इस समस्या का हल सरकार से ज्यादा खुद लोगों के पास है. जनता को सोचना होगा कि वे एक ईमानदार देश के नागरिक होने का गौरव प्राप्त करना चाहते हैं या एक भ्रष्टाचार के कीचड़ में धंसे देश का कलंक भुगतना चाहते हैं. सत्ताधीशों की जिम्मेदारी है कि वे भ्रष्टाचार मिटाने के ठोस कदम उठाएं और रिश्वतखोरी के खिलाफ बने कानून को असरदार बनाएं.

मेरी बात
लोगों में यह गलत धारणा है कि मेरे अकेले के रिश्वत लेने और देने से कौन सा देश बदल जाएगा, लेकिन हमें ईमानदार बनने की सर्वप्रथम शुरुआत स्वयं से करनी होगी. इस समस्या का हल सरकार से ज्यादा खुद लोगों के पास है. जनता को सोचना होगा कि वे एक ईमानदार देश के नागरिक होने का गौरव प्राप्त करना चाहते हैं या एक भ्रष्टाचार के कीचड़ में धंसे देश का कलंक भुगतना चाहते हैं. सत्ताधीशों की जिम्मेदारी है कि वे भ्रष्टाचार मिटाने के ठोस कदम उठाएं और रिश्वतखोरी के खिलाफ बने कानून को असरदार बनाए.

सुब्रतो सरकार

कड़क मुद्दा
हाल ही में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया एवं लोकल सर्कल्स द्वारा कराए गए एक ऑनलाइन सर्वेक्षण के आंकड़ों पर आधारित 'इंडिया करप्शन सर्वे 2018' नामक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि इस साल देश 56 प्रतिशत लोगों को अपना काम करवाने के लिए रिश्वत का सहारा लेना पड़ा है. पिछले साल भी संस्था ने सर्वेक्षण कराया था, जिसमें यह आंकड़ा 45 प्रतिशत था. इस साल 11 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 56 प्रतिशत तक पहुंच गया है. इससे देख सकते सरकार सरकारी दफ्तरों से करप्शन कम करने में फैल होती नजर आ रही है.

चिन्ना राव

कुछ लोग करोड़ों की रिश्वत देकर लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं. जनमानस में धारणा बैठ गई है कि रिश्वत देने से हर जटिल काम सरल हो जाता है. आने वाली सरकार से यही उम्मीद रहेगी कि सरकारी दफ्तरों से रिश्वतखोरी तथा करप्शन खत्म करे. लोकसभा चुनाव में यह एक अहम मुद्दा रहेगा.

सन्नी सिंह

आजादी के 71 वर्ष बाद भी देश के विकास में करप्शन बड़ी बाधा बना हुआ है. करप्शन सिस्टम में इस तरह घुल गया है कि इससे छुटकारा पाना भी मुश्किल हो गया है. इसके लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाना होगा.

विमल कुमार

तकनीक के इस जमाने में भी सरकारी दफ्तरों में बगैर घूस दिए काम कराना मुश्किल हो गया है. जबकि करप्शन रोकने के लिए से नो टू करप्शन, एंटी करप्शन टीम, विजिलेंस सहित तमाम टीमें लगी हुई हैं, लेकिन घूसखोरों के आगे यह सभी टीमें बौनी साबित हो रही है.

मोहम्मद रिजवान

सरकार द्वारा करप्शन को रोकने के लिए बनाई गई सारी की सारी टीम रिश्वतखोरी रोकने में फैल साबित हो रही है. शहर में ही आए दिन रिश्वतखोरी के मामले आते रहते है. इसके लिए सरकार को कड़ा रूख अपनाना होगा, जिससे करप्शन पूरी तरह से खत्म हो जाए.

मोहम्मद असफाक

देश में भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण रिश्वतखोरी भी है. रिश्वतखोरी को सरल शब्दों में समझें तो यह ऊपर की कमाई और घूस है. रिश्वत लेना और देना फैशन बनता जा रहा है. बेधड़क रिश्वत का काला कारोबार आसानी से फूल- फल रहा है. इसे रोकने में सरकार फैल नजर आ रही है.

अरुण बारिक

आए दिन अखबारों में अधिकारी या मंत्री के रिश्वत लेते कारनामे उजागर हो रहे हैं. आज देखे तो प्रत्येक क्षेत्र रिश्वतखोरी के रंग में रंग चुका है. लोगों में रिश्वत देकर काम निकालवाने की प्रवृत्ति घर करती जा रही है. आम जनता की जिम्मेदारी है की वे रिश्वत देने से बचें तथा इसकी कंप्लेन करें.

अमित

सरकारी दफ्तरों में रिश्वत लेने का सिलसिला बहुत पुराना है. जब तक मुट्ठी गरम नहीं की जाती, तब तक फाइल एक मेज से दूसरे मेज तक सरकती नहीं है. भारत में इस मर्ज के उपचार के लिए कई छोटे-मोटे ऑपरेशन किए गए, पर अब तक पूर्ण सफलता हाथ नहीं लग पाई है.

चंद्रभान प्रसाद

अधिकांश लोगों का सोचना है कि कोई ओर खजाना लूटे इससे अच्छा तो पहले हम ही लूट लें. रिश्वत लेते और देते वक्त लोग यह भूल जाते हैं कि वे ऐसा करके खुद के साथ अन्याय तो कर ही रहे हैं साथ ही किसी भले आदमी का हक भी मार रहे हैं. इसके कारण देश का विकास तेजी से नहीं हो पा रहा है.

सुधीर

सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ
सरकारी दफ्तरों से करप्शन को कम करने के लिए, सभी लगभग कार्य ऑनलाइन कर दिए गए हैं, फिर भी लोगो को दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ते ही हैं. साथ-साथ रिश्वतखोरी का भी सामना करना पड़ता है. ऑनलाइन कार्य से गरीब लोगो को तथा कम पढ़े-लिखे लोगों को परेशानी होती है और वे काम करवाने के लिए घूस देने पर मजबूर हो जाते हैं. आज सभी सरकारी दफ्तरों बेहिसाब करप्शन बढ़ने से आम लोग परेशान हैं. मिलेनियल्स का कहना है सरकार सरकारी बाबूओं के भ्रष्टाचार को कम करने में असफल है,