-दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के दर्द-ए-दवा कैंपेन में बोले डॉक्टर्स और केमिस्ट

-सब एक सुर में बोले-सरकार का प्रयास सराहनीय, मरीजों को मिलेगी राहत

>BAREILLY : डिस्ट्रिक्ट के डॉक्टर्स मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखने और केमिस्ट जेनेरिक दवाएं बेचने को तैयार हैं। डॉक्टर्स और केमिस्ट दोनों ने केन्द्र सरकार के प्रयास को सराहनीय बताया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की इस पहल से मरीजों पर जहां महंगे इलाज की मार कम होगी। वहीं, उन मरीजों को इलाज मिल सकेगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने दर्द-ए-दवा कैंपेन में डॉक्टर्स और डिस्ट्रिक्ट बरेली केमिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ सीधी बात की। इसमें डॉक्टर्स और केमिस्ट ने अपनी-अपनी राय रखी।

इलाज चुनना मरीजों का हक

दर्द-ए-दवा कैंपेन डॉक्टर्स ने कहा कि इलाज चुनना मरीजों का अधिकार है। यह मरीज और उनके तीमारदारों पर निर्भर करता है कि वे किस डॉक्टर से इलाज कराना चाहते हैं। वह जेनेरिक दवा खाना चाहते हैं या ब्रांडेड दवा। मेडिकल स्टोर संचालकों ने कहा कि ड्रग एक्ट में बदलाव होना चाहिए। क्योंकि यह काफी पुराना हो गया है। वहीं, कुछ मेडिकल स्टोर संचालकों ने कहा कि जेनेरिक दवाएं लिखे जाने फैसले का समर्थन किया। वहीं, कुछ ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि मेडिकल स्टोर संचालक मनचाहे दामों पर बेचेगा, जिससे मरीजों को परेशानी होगी। इस मौके पर मुकेश अग्रवाल, लख्मीचन्द्र और दीपक पांडे आदि मौजूद रहे।

यह बोलीं डीआई

ड्रग इंस्पेक्टर उर्मिला वर्मा ने बताया कि अब तक तीन लोगों ने मेडिसिन स्टोर खोलने के लिए आवेदन किया है। विभाग ने उन्हें अनुमति दे दी है। उन्होंने बताया मरीज को सस्ती दवाएं मिलें, इसके लिए विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। उन्होंने बताया कि दवाएं जेनेरिक दवाएं नहीं देने की शिकायत पर विभाग कोई चूक नहीं करेगा। तत्काल कार्रवाई करेगा।

यह बोले डॉक्टर

डॉ। प्रमेन्द्र महेश्वरी ने कहा कि सरकार ने जो फैसला लिया है, आईएमए उसका तहेदिल से स्वागत करती है। इससे गरीब तबगे के लोगों को राहत मिलेगी। लेकिन सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है। सरकार को पहले जेनेरिक मेडिसिन के प्रोडक्शन को बढ़ाना था। उसके बाद यह कदम उठाना था। इसके साथ ही जेनेरिक दवाएं देने में मेडिकल स्टोर संचालकों को परेशानी होगी। क्योंकि, हर मेडिकल स्टोर पर फार्मेसिस्ट नहीं है।

डॉक्टर्स पर्चे पर जो भी दवाएं लिखते हैं, उन्हें साफ-साफ लिखना चाहिए। ताकि मरीज भी आसानी से पढ़ सके। इससे मरीज आसानी होगी।

राजेश जसोरिया, महानगर युवा अध्यक्ष व्यापार मंडल

सरकार की पहल अच्छी है। लेकिन, एक ओर मरीजों को जहां राहत मिलेगी। वहीं, दूसरी ओर उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि, मेडिकल स्टोर संचालक मनचाहे दामों पर दवाएं बेचेंगे।

विजय मूलचंदानी, मीडिया प्रभारी केमिस्ट ऐसोसिएशन

मैं लंबे समय से दवाएं बेच रहा हूं। लेकिन, मैं अभी भी मेडिकल स्टोर पर आने वाले 30 प्रतिशत पर्चे डॉक्टर ही हेडराइटिंग के चलते नहीं पढ़ पाता हूं। वहीं, सरकार ने अधूरी तैयारियों के बीच यह कदम उठाया है।

रितेश मोहन, सेकेट्री, डिस्ट्रिक्ट बरेली केमिस्ट एसोसिएशन

कई दवाएं ऐसी हैं, जो जेनेरिक में नहीं आती हैं। ऐसे में डॉक्टर्स को मजबूरी में ब्रांडेड दवाएं लिखनी पड़ेगी। सरकार को पूरी तैयारी करके यह कदम उठाना चाहिए।

नगेन्द्र पाल सक्सेना, चेयरमैन डिस्ट्रिक्ट बरेली केमिस्ट एसोसिएशन

सरकार को जेनेरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाओं के रेट पर कंट्रोल करना चाहिए। इससे जहां मरीजों को राहत मिलेगी। वहीं, उन्हें बेहतर दवाएं भी मिलेगीं।

मनोज कालरा, कोषाध्यक्ष डिस्ट्रिक्ट बरेली केमिस्ट एसोसिएशन

जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं के मुकाबले काफी सस्ती हैं। इससे मरीजों को कम दामों पर बेहतर इलाज मिल रहा है। सरकार को जेनेरिक दवाओं के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए और प्रयास करने चाहिए।

विवेक कुमार, जेनेरिक दवाएं विक्रेता