RANCHI:वॉर कोई समाधान नहीं लेकिन बातचीत में भी विशेष विकल्प नजर नहीं आ रहा। भारत -पाकिस्तान के बीच फैले आतंकवाद के सफाए के लिए युद्ध भले ही एकमात्र विकल्प ना हो लेकिन हार्ड स्टेप अब जरूरी है और शहादत पर राजनीति करने वालों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मिलेनियल्स अपने जनप्रतिनिधियों से दो टूक सवाल पूछ रहे-आखिर कैसे होगा आतंकवाद का सफाया। मिलेनियल्स का वोट लेना है तो इसका जवाब सभी पार्टियों को तलाशना होगा। कानून की पढ़ाई करने वालों के साथ सुबोध लॉ क्लासेज में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की राजनी-टी में कई महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आए। सवाल कई हैं, जिनके जवाब कई दशकों से ढूंढे जा रहे हैं.पुलवामा में सीआरपीएफ पर शर्मनाक तरीके से हमले के बाद पूरा देश आक्रोश में सुलग रहा है। 44 जवानों की शहादत पर हर भारतीय इंसाफ मांग रहा है। आतंकवाद का सफाया हर हाल में हो यह बात हर जुबान पर है लेकिन कैसे ? यह बड़ा सवाल हर कोई अपनी चुनी सरकार से पूछना चाह रहा है। वर्तमान सरकार हो या भविष्य में कोई भी पार्टी जो सत्ता पर काबिज होगी उनके पास आतंकवाद के सफाए का विकल्प क्या है। क्या युद्ध ही एकमात्र विकल्प बचा है। इस तरह के कई पेचीदा सवाल हैं जिनके जवाब इस बार जनप्रतिनिधियों को तलाशने होंगे। मिलेनियल्स इन सवालों के साथ वोट मांगने आने वाले नेताओं की बाट जोह रहे हैं। विगत 50 सालों से जिस दहशत के साए में हिन्दुस्तान जी रहा है उसका निपटारा कैसे होगा।

नापाक हरकतों को सपोर्ट कर रहा पाक

पुलवामा हमले में जैश-ए-मुहम्मद आतंकवादी संगठन का हाथ है, जिसे पाकिस्तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई से खाद-पानी मिलता है। जाहिर है कि कश्मीर घाटी में पिछले कुछ समय से जारी तनाव का पाकिस्तान ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना चाहता है। एक तरफ वह संयुक्त राष्ट्र के मंच से कश्मीर मसले को उठा रहा है और खुलेआम कह रहा है कि कश्मीर मसले का हल हुए बगैर भारत-पाकिस्तान के बीच शांति और सामान्य रिश्तों की बहाली नहीं हो सकती, वहीं दूसरी ओर कश्मीर घाटी में आतंकवादियों की घुसपैठ कराकर तथा नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन की उकसाने वाली कार्रवाई कर भारत पर दबाव बनाना चाहता है।

लगातार हो एयर स्ट्राइक

आज का यूथ यह मानता है कि वॉर से समाधान नहीं निकल पाएगा, लेकिन वह यह भी कह रहा है कि बातचीत के मंच तक पहले पाकिस्तान आए। इसके लिए जरूरी है कि पाकिस्तान के खिलाफ हार्ड स्टेप लिए जाएं, उसे इंटरनेशनल फ्लोर पर अलग थलग कर दिया जाए और उसे मिलने वाली सारी विदेशी सहायता तत्काल प्रभाव से बंद हो। इतना ही नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक जैसे हमलों से उसे बौखलाने पर विवश कर दिया जाए। पाकिस्तान और उसकी सरपरस्ती में फैल रहा आतंकवाद यह समझ जाए कि हमला होगा तो जवाब भी उसी भाषा में दिया जाएगा। वह एक मारेंगे तो हम भी 10 का सिर लेकर आएंगे। यूथ के इन विचारों और सवालों से आगामी चुनाव में नेताओं को रूबरू होना होगा।

मामला राजनीतिक तो सेना कैसे समाधान

दोनों मुल्कों के बीच विवाद के मूल में कश्मीर का मसला है जिसके बारे में देश-दुनिया की आम समझ है कि यह एक राजनीतिक मसला है और इसका समाधान राजनीतिक पहल से ही निकलेगा। भारत और पाकिस्तान की जो सेना अभी तक कश्मीर पर दखल को लेकर आमने सामने संघर्ष करती रही है, उसके आला अफसर भी यह स्पष्ट तौर पर मानने और कहने लगे हैं कि यह एक राजनीतिक मसला है।

टेरर का इंटरनेशनल बिजनेस कैसे बंद हो

यह उच्च तकनीक वाले हथियारों के अंतरराष्ट्रीय कारोबार से जुड़ा मामला है। भारत और पाकिस्तान दोनों ही मुल्कों को हथियारों का बहुत बड़ा खरीदार माना जाता है, लिहाजा हथियार बनाने वाली कई विदेशी कंपनियों के हित दोनों देशों से जुड़े हैं। भारतीय सेना, सुरक्षा एजेंसियों, विदेश सेवा और रक्षा महकमे के कई पूर्व अफसर इन कंपनियों के परोक्ष मददगार साबित होते रहें हैं और कमोबेश हर डील के पीछे चाहे वह बोफोर्स हो, राफेल हो सभी में घोटाले का आरोप सामने आ चुका है। ये कंपनियां ऐसे लोगों को उनके रिटायरमेंट के बाद अनौपचारिक तौर पर अपना सलाहकार नियुक्त कर लेती हैं।

चीन का सपोर्ट, रुपए की होगी बौछार

जानकारों का मानना है कि चीन का हित पाकिस्तान के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध की स्थिति में कौन किसके साथ रहेगा। यह सच है कि पाकिस्तान लगातार भारत को उकसाने वाली हरकतें कर रहा है। सीमा पर उसकी सैन्य हलचलों में तेजी आ गई है। जाहिर है कि वह भारत को युद्ध के लिए आमंत्रण दे रहा है। वह चाहता है कि युद्ध हो ताकि चीन और सऊदी अरब जैसे देश उस पर पैसों की बौछार कर दें। ये देश ही नहीं, बल्कि अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश भी पाकिस्तान को उसके हर संकट के समय आर्थिक मदद करते रहे हैं। एक तरह से इन देशों की मदद से ही पाकिस्तान का पालन-पोषण हो रहा है।

मेरी बात

देश को सोशलिज्म से ज्यादा कैपिटलिज्म की जरूरत है। हर व्यक्ति आर्थिक रूप से इतना मजबूत हो कि कोई भी गैरकानूनी ताकत या प्रभाव हमारे देश पर बेअसर हो जाए। सिविलियंस दोनों साइड से मारे जाते हैं इसलिए वॉर समाधान नहीं है लेकिन हिंसा बर्दाश्त करना भी हिंसा को बढ़ावा देना है।

प्राणजली सिंह

कड़क मुद्दा

युद्ध से पहले देश के दुश्मनों को तलाशकर उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाना चाहिए। आखिर 350 किलो आरडीएक्स देश के भीतर कैसे आ गया, आतंकियों को देश से कितना फंडिंग हो रहा है, कौन कर रहा है। पहले इन्हें तलाशकर खत्म करना होगा उसके बाद ही बाहरी दुश्मनों से निजात पाया जा सकता है।

वेंकटेश कुमार

वर्जन

मेरे पिता अजय प्रसाद भी फौज में सूबेदार हैं। सेना का हिस्सा होने के नाते हमलोग शायद युद्ध की स्थिति का मार्मिक अंदाजा बेहतर तरीके से लगा सकते हैं। लेकिन यु्द्ध विकल्प या समाधान है ही नहीं। चाइना और अमेरिका खुद को तकनीकी रूप से इतना शक्तिशाली बना चुके हैं कि उनके सामने खड़ा होना किसी भी मुल्क के लिए संभव नहीं है। ऐसे में यह जरूरी है कि खुद का विकास और इंटरनेशनल मंच पर देश का प्रभाव शक्तिशाली तरीके से रहे, तभी आतंकवाद जैसी समस्या का समाधान निकल सकता है।

अतीश रंजन

मेरे पिता शंकर साह आर्मी से रिटायर हैं। पुलवामा में आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए। युद्ध होगा तो दोनों तरफ से सैकड़ों जवानों की जानें जाएंगी लेकिन आतंकवाद उसके बाद भी सिर उठाएगा क्योंकि उसे तीसरी शक्तियों से भी संरक्षण प्राप्त है। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाकर ब्लैक लिस्ट में डालना चाहिए। सारी सुविधाएं बंद की जानी चाहिए। पहले भी कई युद्ध हुए लेकिन कोई समाधान नहीं निकला तो एक और युद्ध समाधान कैसे हो सकता है।

सौरभ कुमार )

रुट कॉज ऑफ टेररिज्म को समझना और उसका समाधान तलाशना जरूरी है। आखिरकार इस आतंकवाद को किसका संरक्षण प्राप्त हो रहा है। जिस देश के पास खुद के नागरिकों को देने के लिए खाना नहीं है, कपड़े नहीं हैं उस देश के पास आतंकवादियों की ट्रेनिंग, हथियार पर खर्चने के लिए करोड़ों रुपए कहां से आ रहे हैं। गरीबों और गरीबी का फायदा उठाकर फैलाए जा रहे आतंकवाद का सफाया होना चाहिए।

सोनम सुगंधा

इंटरनेशनल कानून सख्त होने चाहिए और हर देश को इसका पालन करना जरूरी होना चाहिए। प्रिवेंशन इज ऑलवेज बेटर दैन क्योर का फाम‌रू्रला हर स्थान पर लागू होता है इसलिए आतंकवाद को क्योर करने से पहले उसे पनपने ही न दें, ऐसे विकल्प तलाशने होंगे। चौतरफा दबाव हो तो हाफिज सईद से लेकर अजहर मसूद, दाऊद हर देश के दुश्मन को उसके ठिकाने पर तबाह किया जा सकता है।

तुहिना सिन्हा

वॉर कभी भी साल्युशन नहीं हो सकते इससे केवल दोनों देशों को नुकसान उठाना होगा। भारी क्षति होगी, गरीबी होगी, जान-माल का नुकसान होगा, जिससे उबरने में कई साल लग जाएंगे। इसलिए यह जरूरी है कि मंच पर दोनों देशों के बुद्धिजीवी बैठकर मसले का समाधान निकालें। बातचीत ही हर समस्या का हल है।

आदिल अली

डायलॉग का टाइम अब निकल गया है। पाकिस्तान कभी एलओसी क्रॉस करता है तो कभी आतंकियों को भेजता है ऐसे में कितनी बातचीत होगी। युद्ध भले न हो लेकिन स्ट्राइक तो लगातार होते रहना चाहिए। उनलोगों को यह महसूस होना चाहिए कि अगर वे लोग हिंसा पर ही उतारू हैं तो भारत भी अब और ज्यादा बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। वह मरने -मारने पर उतारू हैं तो देश के लिए हमलोग भी किसी भी हद तक जा सकते हैं।

अपराजिता सिंह

अब एविडेंस की नहीं एक्शन की जरूरत है। पिछले कई सालों से हमलोग टेररिज्म से जूझ रहे हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी कई बार साबित किया गया कि सारे आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान का सपोर्ट है, संरक्षण है। आईएसआई और पाकिस्तानी सेना की सरपरस्ती में आतंकवाद पनप रहा है। इसलिए अब जरूरी है कि गुर्गो की जगह मोहरे मार गिराए जाएं। लादेन की तर्ज पर ऑपरेशन हो और हाफिज सईद को मार गिराया जाए।

विकास कुमार

वॉर इज द ओनली साल्युशन ऑफ द प्रॉब्लम। लेकिन यह वॉर लीगल होना चाहिए। कानूनी तौर पर पाकिस्तान और आतंकवाद को सपोर्ट करने वाले सभी देशों को प्रतिबंधित करना होगा। समूचे विश्व को एक मंच पर आना होगा क्योंकि यह समस्या सबके देश की है। वॉर हो लेकिन हथियारों की लड़ाई से बेहतर है कि सारे आतंकवादी सपोर्टिव देशों को कानूनी शिकंजे में कसकर रखा जाए। यह लड़ाई भी कानूनी होगी और जीत भी दमदार।

सुबोध कुमार, संचालक