RANCHI:शहर की दो लाइफलाइन खतरे के निशान से नीचे चली गई हैं। एक तरफ जहां हरमू नदी लापता होती जा रही है वहीं दूसरी तरफ कांके डैम भी वेंटिलेटर पर आ गया है। डैम की सतह पर गाद और गंदगी फैल गई है। नतीजन, पानी कम होता जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ डैम के किनारों पर अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण और अधिकारियों की लापरवाही के कारण शहर की आधी आबादी कई दिनों तक प्यासी रह जाती है। लोगों को पीने का पानी तक नहीं मिल पाता। लोग परेशान हैं लेकिन ना तो नगर निगम को इसका ध्यान है ना ही पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ही इसके प्रति गंभीर है।

पानी में बह गए 85 करोड़

चार वर्ष पहले सरकार गठन के तुरंत बाद सीएम रघुवर दास ने हरमू नदी के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण की नींव रखी थी। नगर विकास विभाग के अफसरों ने आम जनता के टैक्स से लिए गए 85 करोड़ रुपए की बंदरबांट कर ली। अब हरमू क्षेत्र में सक्रिय जमीन माफिया और रसूखदारों ने भी देखा कि जब अफसर खुले हाथ से पैसे लुटा रहे हैं तो उन्होंने भी फायदा उठाते हुए नदी की जमीन की लूट शुरू कर दी।

करम चौक पर धार रोकी, जमीन पर कब्जा

क्षेत्र में करम चौक पर नदी के उद्गम स्थल पर पहले तो नदी की धार बंद की गई। इसके बाद नदी के दोनों तरफ की जमीन को बेचना शुरू किया। नदी क्षेत्र की जमीन में लगाई गई मार्किंग पिलर को हटा कर दलालों ने जमीन बेच दी। कई रसूखदारों ने जमीन पर बाउंड्री या मकान बनाकर कब्जा कर लिया है। सौंदर्यीकरण का काम कर रही ईगल इंफ्रा ने कब्जा करने वालों को न रोकने की कोशिश की न जिला प्रशासन या नगर विकास विभाग ने इस पर रोक लगाई। स्थानीय लोगों ने नगर विकास विभाग के अफसरों पर ही जमीन दलालों से मिलीभगत कर नदी की जमीन बेचने का आरोप लगाया है।

नाले के पानी से भर रहा कांके डैम

शहर का कांके डैम लापरवाही और अनदेखी का दंश झेल रहा है। बरसात के मौसम में शहर भर से पानी के साथ कूड़े और कचरे को डैम में लाकर भर दिया गया। डैम के किनारे जाने पर पता चलता है कि हर दिन पानी अपने साथ शहर का कूड़ा लेकर आता है। रातू रोड, पिस्का मोड़, इंद्रपुरी, कांके रोड के लाखों घरों से निकलने वाला कूड़ा अलग-अलग नालों से होकर डैम में मिल रहा है। कांके डैम से शहर के तीन लाख लोगों को पीने का पानी मिलता है। ऐसे में पानी में हर दिन घुल रहे जहर की ओर किसी का ध्यान नहीं है।

करोड़ों डुबाकर अब डैम भी डूबो रहे अफसर

2008 में नाले के पानी को ट्रीट करने के लिए करोड़ों की लागत से सीवरेज-ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया था। आज भी प्लांट की पाइप व अन्य हिस्से डैम के किनारे बेकार पड़े हैं। प्लांट के खराब होने के बाद उसे बनाने की कोशिश नहीं की गई। अब पानी प्लांट के ठीक बगल से होकर बिना ट्रीटमेंट के डैम में मिल रहा है। रांची के छह बड़े नाले सीधे तौर पर कांके डैम में आ कर मिल रहे हैं।

गंदगी से भरा है डैम का कैचमेंट एरिया

कांके डैम का कैचमेंट एरिया भी गंदगी से भरा है। सालों से वहां सफाई नहीं हुई है। घरों का कचरा, प्लास्टिक आदि का अंबार लगा है। जैसे-जैसे डैम का जलस्तर बढ़ता है, यह कचरा भी पानी में मिलता जाता है। कई बार निर्देश दिए गए हैं, लेकिन कभी भी डैम के किनारों की सफाई नहीं करायी गयी है।