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JAMSHEDPUR : स्टील सिटी के गांधी पार्क मानगो में बुद्धवार को मिलेनियल्स स्पीक जेनलर इलेक्शन-2019 के तहत 'राजनी-टी' में युवाओं ने 'शिक्षा के क्षेत्र में पांच वर्ष के काम और देश की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था' पर बेबाक राय रखी. मिलेनियल्स ने कहा कि पिछले पांच वर्ष में एजूकेशन सिस्टम में खास बदलाव नहीं देखने को मिले है. परीक्षाओं में सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से चेकिंग और क्वालिटी एजूकेशन के क्षेत्र में काम का श्रीगणेश किया गया हैं. युवाओं ने कहा कि सरकार कौशल विकास के अंतर्गत युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको रोजगार मुहैया कराने का काम किया है.

स्किल ट्रेनिंग की समयावधि बढ़े
युवाओं ने कहा कि सरकार को चाहिये कौशल केंद्र से दिए जाने वाले कोर्स की अवधि कम से कम 6 माह होना चाहिए. युवाओं ने कहा कि तीन माह के दौरान युवाओं को बेसिक की अच्छी जानकारी हो पाती है. ऐसे में सरकार अगर कोर्स को छह माह से एक साल कर दे तो वह अच्छा एक्सपीरियंस मिल सकता है. मिलेनियल्स ने कहा कि हॉल में ही कौशल विकास केंद्र से ट्रेनिंग लेकर चेन्नई गए कुछ युवाओं द्वारा काम न कर पाने के चलते उन्हें वहां से लौट कर आना पड़ा था. युवा बोले कि सरकार को एक विभाग की स्थापना करना चाहिये जो इस तरह के युवाओं को हर तीन माह में हाल देखे कि युवा काम कर रहे है या नहीं. युवाओं ने कहा कि इस तरह अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा. युवा बोले कि एजूकेशन सिस्टम में जो भी सुधार हुए है वह काफी नहीं है, उनमें अनेक सुधारों की जरूरत है. मिलेनियल्स बोले कि देश में क्वालिटी एजूकेशन को बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक टीचर का पैनल बनाया जाए जो जिले के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों के टीचरों की जांच कर उनकी गुणवत्ता चेक किया जाना चाहिये.

प्राइवेट शिक्षण संस्थानों में नहीं लगा लगाम
चर्चा के दौरान युवाओं ने कहा कि पिछले पांच सालों में प्राइवेट शिक्षण संस्थानों पर कोई लगाम नहीं लगी है. जिसके परिणाम स्वरूप केजी से लेकर इंटरमीडिएट स्कूलों में मनमानी फीस वसूली जा रही है. नई सरकारों ने देश में प्राइवेट विश्वविद्यालय खोलने की अनुमति देकर शिक्षा की क्वालिटी को और बद्त्तर करने का काम किया है. जिससे जहां एक ओर छात्र लाखों रुपये लगाकर बीटेक, बीसीए, बीबीए और एमबीए जैसे कोर्स कर रहे है. लेकिन जॉब न मिलने से लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी युवाओं के हाथ निराशा ही आ रही है. युवा बोले कि हमारा एजूकेशन सिस्टम ठीक है जहां पर एक सिलेबस पढ़ने को ही डिग्री देना माना जाता है. प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाने से ज्यादा खाने पीने पर जोर दिया जा रहा है. सरकारी स्कूलों में पढ़ाई न होने से आज कोई भी राजनेता, अधिकारी और व्यापारी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नहीं भेजते है. जबकि देश में जितने भी अधिकारी नेताओं में 70 प्रतिशत लोग सरकारी स्कूलों से ही पढ़कर आये है. युवाओं ने इसके लिए अधिकारियों और नेताओं को अपने बच्चों इन सरकारी विद्यालयों में भेजने का काम करना होगा जिससे इस परंपरा को बदला जा सके. युवाओं ने कहा कि कॉलेज में छात्रों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं है इस पर सरकार को फोक्स करना चाहिये.

चीन की अर्थव्यवस्था से सीखने की जरूरत
मिलेनियल्स ने कहा कि जब भी सुधार की बात आती है तो अधिकारी जनसंख्या वृद्धि की बात कर पीछा छुड़ाते है. युवाओं ने कहा कि देश को चीन की अर्थव्यवस्था से सीखने की जरूरत है. दुनियां की सबसे अधिक जनसंख्या होने पर भी आज चीन का बाजार दुनिया में फैला हुआ है. युवाओं ने शिक्षा को रोजगार से जोड़ने की सलाह दी. युवाओं ने कहा कि चीन और जापान में जूनियर कक्षाओं से ही छात्रों को टेक्निकल शिक्षा दी जाती है. जिससे इंटरमीडिएट तक वहां छात्र अच्छे इंजीनियर के रूप में विकसित हो जाते है.

परंपरागत शिक्षा व्यस्था से निकलें बाहर
युवाओं ने कहा कि देश आज भी परंपरागत शिक्षा व्यवस्था का दामन थामे हुए है. जिससे बाहर निकलने की जरूरत है. युवाओं ने कहा कि देश की शिक्षा व्यवस्था को आरक्षण के माध्यम से बांटने की जो कोशिश की गई है वहीं छात्रों के उत्साह को गिराने का काम करती है. उन्होंने कहा कि देश में आरक्षण व्यवस्था खत्म कर अनुभव और टैलेंट के हिसाब से छात्रों को रोजगार देना चाहिए. युवाओं ने कहा कि देश में काम न मिलने के चलते आज गल्फ कंट्री में जाकर लोग काम कर रहे है. युवाओं ने कहा कि युवा देश में ही काम करना चाहते है लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी है जिससे रोजगार देने की काबिलियत न होने से युवाओं को बाहर जाकर काम करना पड़ रहा हैं.