- दून के 55 स्कूल्स कभी भी बन सकते हैं स्टूडेंट्स की सुरक्षा के लिए खतरा

- वेडनसडे को ऋषिकेश के एक स्कूल का बाउंड्री गिरने से हुई थी एक स्टूडेंट की मौत

- एजुकेशन डिपार्टमेंट नहीं सुधार रहा स्कूल बिल्डिंग्स की हालत, हादसों का कर रहा इंतजार

देहरादून,

दून में कई गवर्नमेंट स्कूल्स की बिल्डिंग स्टूडेंट्स की जान के लिए खतरा बनी हुई हैं। दून में ऐसे 55 स्कूल्स बिल्डिंग को चिन्हित किया जा चुका है, जो बुरी तरह डैमेज हैं। वेडनसडे को ऋषिकेश के एक स्कूल की बाउंड्री गिरने के कारण उसकी चपेट में आए एक स्टूडेंट की मौत हो गई थी जबकि दो घायल हो गए थे, इस हादसे के बाद एक बार फिर एजुकेशन डिपार्टमेंट की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। हालांकि, एजुकेशन डिपार्टमेंट के अफसरों का दावा है कि जल्द ही जर्जर स्कूलों का रेनोवेशन किया जाएगा, इसके लिए प्रपोजल तैयार किया गया है।

कई बार की गई कंप्लेन

थर्सडे को ऋषिकेश स्थित राजकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय नंबर एक की दीवार अचानक ढह जाने से एक स्टूडेंट् समेत तीन लोग मलबे की चपेट में आ गए। इनमें से स्टूडेंट की मौत हो गई। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि स्कूल की जर्जर हालत को देखते हुए कई बार कंप्लेन की गई थी, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। इधर एजुकेशन डिपार्टमेंट का दावा है कि स्कूल के मेंटेनेंस और दूसरे कार्यो के लिए बजट प्रपोजल तैयार किया जा चुका था, लेकिन इसी बीच हादसा हो गया। सवाल उठता है कि क्या एजुकेशन डिपार्टमेंट को हादसे का ही इंतजार था।

हादसों के बाद होता है होमवर्क

दून में 189 हाईस्कूल और इंटर कॉलेजेज 1200 से ज्यादा बेसिक और जूनियर स्कूल हैं। इनमें से 55 को जर्जर स्कूलों की श्रेणी में चिन्हित किया गया है। भवन जर्जर होने का खामियाजा जुलाई 2019 में भी विकासनगर स्थित राजकीय प्राइमरी स्कूल कुंजा में स्कूल की दो छात्राओं को भुगतना पड़ा था, छत पर चढ़ने वाली सीढ़ी टूटने से दोनों छात्राएं गंभीर रूप से घायल हो गईं और अब ऋषिकेश के स्कूल की दीवार गिरने से एक छात्र की मौत हो गई। इस घटना के बाद शिक्षा विभाग फिर जर्जर सरकारी स्कूलों के हालातों को लेकर होमवर्क करने लगा है, लेकिन सवाल ये है कि कब तक घटना होने के बाद विभाग होमवर्क करेगा।

हेरिटेज स्कूल का भी बुरा हाल

गवर्नमेंट स्कूलों के हालात किसी से भी छिपे नहीं है, इसके कई उदाहरण देहरादून में ही नजर आ जाएंगे। 9 दशक पुराने हिन्दू नेशनल इंटर कॉलेज की बिल्डिंग खतरनाक हो चुकी है, जो कभी भी किसी हादसे का शिकार हो सकती है। लक्ष्मण चौक स्थित हिन्दू नेशनल इंटर कॉलेज के गेट से भले ही सब ठीक-ठाक नजर आता हो, लेकिन स्कूल के अंदर दाखिल होते ही यहां खतरे का अंदाजा आसानी से हो जाता है। क्लासरूम इतने डरावने हैं कि यहां कुछ देर रुकने की भी हिम्मत नहीं होती। स्कूल की हालत देखकर लगता है, कि वर्षो से इसके मेंटेनेंस की किसी ने सुध नहीं ली। इस स्कूल की शुरुआत 1930 में हुई थी, मदन मोहन मालवीय ने स्कूल की नींव रखी थी। गवर्नमेंट स्कूलों की बदहाली के लिए तो शिक्षा विभाग पूरी तरह जिम्मेदार है ही लेकिन अशासकीय स्कूलों के मामले में विभागीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ देते हैं। विभागीय अधिकारियों का तर्क है कि अशासकीय स्कूलों की व्यवस्था स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को करनी होती है, इसमें विभाग कुछ नहीं कर सकता। लेकिन, सवाल यह खड़ा होता है कि ऐसे जर्जर स्कूलों में कोई हादसा हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। इतना ही नहीं दून सिटी में तीन स्कूल तो किराए की बिल्डिंग में चल रहे हैं, जिनकी कोई सुध नहीं ले रहे हैं।

सरकार को संस्थाओं का सहारा

स्टेट में डेमेज हो चुके स्कूलों की हालात सुधारने के लिए सरकार ने शीड्स संस्था के साथ एक नए प्लान पर काम करना शुरू कर दिया है। सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना अधिकारी डॉ। मुकुल सती ने बताया कि पहले फेज में स्टेट में 10 स्कूलों को ठीक कराया जा रहा है। पूरे स्टेट में 573 स्कूल डेमेज हो चुके हैं इनको मेजर मेंटेनेंस की जरूरत है, इसके साथ ही स्टेट में बैंम्बो स्कूल भी बनाए जाएंगे। वर्तमान में स्टेट में 16 हजार 481 स्कूल हैं।

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ऋषिकेश में हुए हादसे को लेकर विभाग अपने स्तर से जांच कर रहा है, स्कूल की जर्जर हालात देखकर पहले ही बजट और प्रस्ताव तैयार किया जा चुका था, इसी बीच हादसा हो गया। सभी अधिकारियों को जर्जर स्कूलों को लेकर अलर्ट किया गया है।

आशारानी पैन्यूली, सीईओ

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देहरादून में डेमेज स्कूल चिह्नित -55

दून में हाईस्कूल और इंटर कॉलेज- 189

बेसिक-12 सौ से ज्यादा

पूरे स्टेट में डेमेज स्कूल- 573

स्टेट में स्कूल -16 481