बरेली (आईएएनएस)। बरेली में एक दरगाह में मुस्लिम धर्मगुरु सैनेटाइजर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना चाह रहे हैं। उनका कहना है कि, सैनेटाइजर में एल्कोहल मिला होता है और इसका मसजिद के अंदर उपयोग किया गया तो यह नापाक हो जाएगी। सुन्नी मरकज़ दारुल इफ्ता के दरगाह आला हज़रत के मुफ्ती नश्तर फारूकी ने बुधवार को कहा कि, "इस्लाम में शराब पर प्रतिबंध है। मुसलमानों को शराब-आधारित सैनिटाइज़र का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर शराब पर आधारित सेनिटाइज़र का इस्तेमाल सफाई के लिए किया जाता है तो मस्जिद नापाक हो जाएगी। हम अल्लाह के घर को अशुद्ध नहीं बना सकते। नमाज़ अशुद्ध जगह पर नहीं दी जा सकती। यदि मस्जिद को जानबूझकर अशुद्ध बनाया जाता है, तो यह पाप होगा। मैंने मस्जिदों और मस्जिदों की समितियों के इमामों से शराब आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करने से परहेज करने की अपील की है।

मथुरा के मंदिरों में भी पुजारियों ने सैनेटाइजर का किया विरोध
मुफ्ती ने अल्कोहल-आधारित सैनिटाइजर का एक विकल्प भी दिया। उन्होंने कहा," अल्कोहल-आधारित सैनिटाइज़र का उपयोग करने के बजाय, मुसलमानों को अपने हाथों और मस्जिद परिसर को साबुन, डिटर्जेंट पाउडर और शैम्पू से ठीक से धोना चाहिए। " वैसे धार्मिक स्थलों में सैनेटाइजर के विरोध का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले मथुरा में कुछ प्रमुख मंदिरों के पुजारियों ने एल्कोहल बेस्ड सैनेटाइजर का उपयोग करने से इनकार कर दिया था। मथुरा और वृंदावन में इस्कॉन, बांके बिहारी, मुकुट मुखविंद और श्री रंग नाथ जी सहित कुछ प्रमुख मंदिरों ने सोमवार से जनता के लिए अपने दरवाजे नहीं खोलने का फैसला किया था। और उनके फैसले के पीछे का एक कारण परिसर में शराब आधारित सैनेटाइजर के अनिवार्य उपयोग के लिए सरकार के निर्देश थे।

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