-समानांतर संस्था की ओर से नाटक का हुआ मंचन

-नाटक के जरिये युद्ध के खिलाफ एवं विश्व शांति का दिया गया संदेश

ALLAHABAD: क्9ब्भ् में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए हमले के कौन जिम्मेदार था? जिसने परमाणु बम के सिद्धांत की खोज की, वो पाइलट जिसने विमान से बम गिराया था या फिर वो महिला जो नागासाकी तक बम लेकर गई थी। कुछ इन्हीं तरह के सवालों को उठाने वाले बादल सरकार द्वारा तैयार किए गए नाटक 'तीसवीं शताब्दी' का मंगलवार को समानांतर संस्था की ओर से स्वराज विद्यापीठ में मंचन हुआ। जिसमें कलाकारों ने युद्ध के खिलाफ और विश्व शांति का संदेश दिया।

गवाही के लिए बुलाए

इस नाटक में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराये गये परमाणु बम के विनाश का अवलोकन करने के लिए विनाश को अंजाम देने वाले सैनिकों और विनाश के भुक्त भोगियों को गवाही देने के लिये बुलाया जाता है। नाटक का मुख्य पात्र शरत चौधरी तीसवीं शताब्दी के लोगों और विशेष कर हिरोशिमा-नागासाकी परमाणु विस्फोट में शामिल लोगों को कॉल करता है। परमाणु बम के सिद्धांत की खोज करने वाले प्रो। अल्बर्ट आईस्टाइन, मेजर टॉमस फेरेबी- उस विमान के पायलट जिससे हिरोशिमा पर बम गिराया गया था, मिसेज इथरली- मेजर क्लॉड इथरली की पत्नी जो नागासकी तक परमाणु बम लेकर गए थे और बाद में पागल हो गए थे। इन गवाहों की गवाही और उनसे पूछे जाने वाले सवालों से विनाश के पीछे की कहानी परत दर परत खुलती जाती है और तब सामने आता है कि विनाश करने वाले और उसे भोगने वाले दोनों एक जैसे इंसान थे। लेकिन इंसानों को हांकने की प्रवृति और शक्ति के मद ने इस घटना को अंजाम दिया। नाटक का निर्देशन शाम्भवी ने किया।