-प्रशासन तैयार करा रहा एप, स्किल्ड वर्कर्स का होगा डाटा

-करीब 10 हजार वर्कर्स की हो चुकी है स्किल्ड मैपिंग

बरेली-कोरोना काल में हजारों लोगों का रोजगार छिन गया है। लोग शहरों से अपने घर को पलायन कर चुके हैं। ऐसे लोगों को रोजगार देना बड़ा काम है। सीएम के निर्देश पर सभी माइग्रेंट वर्कर्स की स्किल मैपिंग की जा रही है। जिसके तहत घर-घर जाकर सर्वे भी किया जा रहा है। बरेली में फ‌र्स्ट फेज में 10 हजार वर्कर्स की स्किल मैपिंग की जा चुकी है। स्किल्ड वर्कर्स का डाटा एक क्लिप पर मिल जाएगा। इसके लिए प्रशासन एप तैयार करा रहा है। रिकार्ड के तहत वर्कर्स को डिस्ट्रिक्ट की ही फैक्ट्री, ऑफिस या अन्य संस्थान में काम दिलाया जाएगा। इसके अलावा अन स्किल्ड वर्कर्स को नरेगा के तहत काम दिया जाएगा।

दूसरे शहर में नहीं जाना चाहते

कोरोना काल में मुसीबत झेल चुके अधिकांश वर्कर्स अब दूसरे शहरों में नहीं जाना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्हें उनकी स्किल के आधार पर जिले में ही काम देने की तैयारी की जा रही है। यही नहीं बरेली में करीब 7 हजार इंडस्ट्री व कारखाने हैं। परसाखेड़ा, भोजीपुरा और फरीदपुर इंडस्ट्रियल एरिया हैं। इसके अलावा करीब 7 जहां प्लाईवुड, खाद्य, तेज, पैकेजिंग, सहित अन्य इंडस्ट्री हैं। इन फैक्ट्रियों में भी दूसरे जिलों व बिहार के वर्कर्स काम करते थे जो कोरोना की वजह से अपने घर लौट चुके हैं और उनके वापस आने की कम ही संभावना है।

फ्री में मिलेगा डाटा

स्किल्ड वर्कर्स का डाटा वर्कर्स की स्किल के आधार पर ही तैयार किया जा रहा है। जैसे वह फैक्ट्री में किस तरह का काम करता था। उसने कितनी पढ़ाई की है या फिर कोई डिप्लोमा किया है। उसके पास कोई सर्टिफिकेट है या नहीं, इन सबका रिकार्ड तैयार किया जा रहा है। फैक्ट्रियों से भी उनके यहां कितने और किस तरह के वर्कर्स हैं, इसकी जानकारी भी जुटाई जा रही है। यह रिकार्ड एप में होगा। इसके तहत फैक्ट्री संचालक प्रशासन से अपनी जरुरत के आधार पर वर्कर्स की डिमांड कर सकते हैं। फैक्ट्री संचालक की डिमांड के आधार पर जैसे उसे ड्राइवर, प्लंबर, व अन्य का रिकार्ड चाहिए होगा तो उसे एप से डाटा निकालकर फ्री में प्रोवाइड करा दिया जाएगा। उसके बाद वह वर्कर्स का इंटरव्यू लेकर उसे जॉब दे सकेंगे।

राहत पोर्टल पर रिकार्ड

माइग्रेंट वर्कर्स को काम देने के लिए उनका रिकार्ड तैयार किया जा रहा है। हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ-साथ प्रशासन की टीमें भी शेल्टर होम के अलावा घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं। लेकिन दोनों के आंकड़ों में कुछ अंतर आ रहा है। यही वजह है कि अब राहत पोर्टल पर वर्कर्स का डाटा तैयार किया जा रहा है। सभी तहसीलों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं। पोर्टल पर उनका नाम, पता और उनकी स्किल की भी डिटेल फिल की जा रही 8ै। इसी डाटा के आधार पर उन्हें रोजगार दिलाया जाएगा। कलेक्ट्रेट में तैयार हो रहे कंट्रोल रूम में भी वर्कर्स का रिकार्ड रखा जाएगा, ताकि भविष्य में एक क्लिक पर वर्कर्स की डिटेल मिल जाएगी।

64 हजार को नरेगा के तहत काम

स्किल्ड वर्कर्स के अलावा अदर वर्कर्स को मनरेगा के तहत काम दिया जा रहा है। किसी को तालाब खोदने तो किसी को चकरोड डालने के काम में लगाया जा रहा है। बरेली में मौजूदा समय में 64 हजार वर्कर्स मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। फ‌र्स्ट फेज में दूसरे राज्यों से आने वाले नान स्किल्ड वर्कर्स को मनरेगा के तहत काम पर लगा दिया गया है। कुछ दिनों पहले आए वर्कर्स को होम क्वारंटीन किया गया है। क्वारंटीन पीरियड पूरा होने के बाद उन्हें भी काम पर लगा दिया जाएगा।

फोन करके ले रहे जानकारी

जिला उद्योग विभाग के द्वारा वर्कर्स की डिटेल जुटाई जा रही है। प्रशासन की ओर से पहले 2 हजार वर्कर्स की लिस्ट सौंपी गई है। इनमें स्किल्ड और अन स्किल्ड वर्कर्स भी हैं। लिस्ट में वर्कर्स के आगे स्किल्ड व अन स्किल्ड तो लिखा है लेकिन वह किस ट्रेड में स्किल्ड है, इसको लेकर कोई डिटेल नहीं है। ऐसे में उद्योग विभाग की ओर से सभी को फोन किया जा रहा है। अभी तक करीब 400 वर्कर्स को फोन किया जा चुका है। जिसमें 70 वर्कर्स स्किल्ड मिले हैं।

संवासिनी तैयार करेंगी ड्रेस

एक तरफ वर्कर्स को रोजगार दिया जा रहा है तो दूसरी ओर नारी निकेतन में रह रही करीब 50 संवासिनियों को भी रोजगार देने की तैयारी कर ली गई है। नारी निकतेन की संवासिनी स्कूल ड्रेस तैयार करेंगी। जिला उद्योग केंद्र की ओर से इन संवासिनियों को स्कूल ड्रेस तैयार करने की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसको लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जल्द ही ट्रेनिंग शुरू कर दी जाएगी।

वर्कर्स को रोजगार देने के लिए डाटा तैयार किया जा रहा है। करीब 10 हजार वर्कर्स की स्किल मैपिंग की जा रही है। सभी को इंडस्ट्री या अन्य जगह पर रोजगार दिलाया जाएगा।

नितीश कुमार, डीएम बरेली

स्किल्ड वर्कर्स का डाटा कलेक्शन के लिए एप तैयार किया जा रहा है। एप में तैयार डाटा इंडस्ट्रलिस्ट को दिया जाएगा, ताकि वह आसानी से अपनी जरुरत के हिसाब से वर्कर्स को जॉब पर रख सकें। नारी निकेतन की संवासिनियों को भी ट्रेनिंग दी जा रही है।

ऋषि रंजन , ज्वाइंट कमिश्नर, उद्योग

फीगर

7 हजार के करीब हैं उद्योग

5 सौ बड़े उद्योग

10 हजार वर्कर्स की स्किल मैपिंग

64 हजार को नरेगा के तहत काम