- मेहनत कर बेटियों को अच्छी एजुकेशन दे रहे पेरेंट्स

-बेटियां घर की रोशनी, बेटे की नहीं कोई चाह

Meerut । आज के दौर में बेटियां बेटों से आगे निकल रही हैं। बेटे और बेटियों में कोई फर्क नहीं रह गया है। ऐसे में बेटों की चाह रूढि़वादी सोच का ही एक हिस्सा है। हम गरीब जरूर हैं, लेकिन इसका कोई अफसोस नहीं। दिन-रात मेहनत कर बेटियों को अफसर बनाएंगे। ये बात एक दो बेटियों की एक गरीब मां ने कही।

पिता हैं मजदूर

सुभाषनगर स्थित गली नंबर-3 निवासी आनंद कुमार लालकुर्ती स्थित एक साड़ी पैलेस में मजदूरी करते हैं। जबकि पत्नी शालू भी मोहल्ले में सिलाई आदि छोटे-मोटे काम कर पति का हाथ बंटाती है। परिवार में पति- पत्नी के अलावा दो बेटियां गुनगुन (8) व रिया (5) हैं। अभी गुनगुन छठी क्लास और रिया सेकेंड क्लास की स्टूडेंट हैं। इनके माता पिता दोनों बेटियों को खूब पढ़ा लिखाकर अफसर बनाना चाहते हैं।

बेटे की चाह रूढि़वाद

शालू बताती हैं कि बेटे की चाह पुरानी व रूढि़वादी सोच का हिस्सा है। आज बेटियां हर क्षेत्र में बेटों को मीलों पीछे छोड़ चुकी हैं। शालू बताती हैं कि उन्हे भगवान ने दो अनमोल बेटियां दी हैं, जिनके सामने बेटे की कभी चाह ही नहीं हुई। गुरबत में दिन काट रही शालू का लक्ष्य मेहनत मजदूरी कर किसी तरह बेटियों को खूब पढ़ाना है।