140 बसें शहर में

4343 ऑटो राजधानी में

250 टैंपो भी शहर में

05 लाख से अधिक डेली करते हैं सफर

02 लाख महिलाएं रोज करती हैं सफर

- शहर के सार्वजनिक वाहनों में सुरक्षित नहीं है बेटियों का सफर

- महिलाओं की सुरक्षा के लिए तैयार की गई गाइडलाइन का नहीं किया जा रहा पालन

LUCKNOW:

आज तक सिटी बसों में न सीसीटीवी कैमरे लग सके और ना ही कार टैक्सी में जीपीएस लगाने की व्यवस्था की गई। महिलाओं की सुरक्षा के लिए अनिवार्य पैनिक बटन भी सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गए। जी हां, राजधानी में सार्वजनिक वाहनों में महिलाओं की सुरक्षा राम भरोसे है। जबकि बिना इन चीजों के वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट न दिए जाने का नियम है, फिर भी इसकी अनदेखी कर वाहनों को लगातार फिटनेस दी जा रही है।

कई बार हुए हादसे

राजधानी में सार्वजनिक वाहनों में कई बार महिलाओं संग छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आई हैं। कुछ दिन पूर्व ही आलमबाग में छेड़छाड़ से परेशान एक युवती ने चलती ऑटो से कूदकर खुद को बचाया था। वहीं पूर्व में सीतापुर रोड के पास एक ऑटो वाले ने एक युवती की हत्या भी कर दी थी। इस घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लोकल स्तर पर कई प्रयास किए गए। ड्राइवरों की डिटेल आरटीओ ऑफिस में जमा कराने के निर्देश दिए गए, लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ।

सिटी बसों में नियमों की अनदेखी

सिटी बसों में भी नियमों की अनदेखी की जा रही है। इन बसों में महिलाओं को आगे के गेट और पुरुषों को पीछे के गेट से चढ़ना होता है। बस के अंदर एक लाल पट्टी खींचकर महिलाओं को आगे खड़े होने के लिए जगह तय की गई है। वहीं महिलाओं के लिए कुछ सीटें भी रिजर्व हैं। इस किसी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। बस के अगले गेट से भी पुरुष यात्री चढ़ते हैं और महिलाओं के लिए रिजर्व जगह पर वे खड़े भी होते हैं। इन्हें कोई रोकता भी नहीं है। यही नहीं राजधानी में मौजूद 40 इलेक्ट्रिक बसों में पैनिक बटन लगे हैं लेकिन ये डायल 100 से कनेक्ट नहीं हैं।

सार्वजनिक वाहनों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए गए नियमों की जांच होगी। वाहन स्वामियों के साथ बैठक कर उन्हें वाहनों में महिला सुरक्षा के लिए आवश्यक उपकरण लगाने के निर्देश दिए जाएंगे। सार्वजनिक वाहनों में पुलिस के इमरजेंसी नंबर 112 भी लिखवाए जाएंगे।

रामफेर द्विवेदी, आरटीओ