-स्टूडेंट्स का कहना कि बिना स्टूडेंट्स को देखे प्रॉक्टर ने दर्ज करा दिया नामजद मुकदमा

-छुट्टी में यूनिवर्सिटी जाकर खुद ही जारी कर दिया नोटिस

GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। स्टूडेंटस और चीफ प्रॉक्टर आमने-सामने आ गए हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से स्टूडेंट्स पर हुई कार्रवाई के मामले में अब सवाल उठने लगे हैं। जहां स्टूडेंट्स प्रॉक्टर की ओर से की गई एफआईआर और उसके बाद निलंबन की बात को इनटेंशन बता रहे हैं। वहीं, प्रॉक्टर इस कार्रवाई को सही ठहराते हुए एक्शन बता रहे हैं। ऐसे में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि अगर प्रॉक्टर ने सही कार्रवाई की है, तो यह यूनिवर्सिटी खुलने के बाद होनी चाहिए थी, मगर प्रॉक्टर ने एग्जाम को देखते हुए कार्रवाई कर दी, ताकि स्टूडेंट्स कैंपस में एंट्री ही न कर सकें।

देखा नहीं तो कैसे करा दी एफआईआर?

गोरखपुर यूनिवर्सिटी में गुरुवार को बिजली कटौती के बाद काफी बवाल हुआ। इस दौरान सड़क पर आए स्टूडेंट्स की प्रॉक्टर से नोंक-झोंक भी हुई। कुछ देर बाद प्रॉक्टर के घर पथराव और फायरिंग की खबर फैल गई। अगले दिन चीफ प्रॉक्टर ने पांच स्टूडेंट्स के खिलाफ नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। वहीं शनिवार को कार्रवाई करते हुए चार स्टूडेंट्स को निलंबित कर दिया। इस मामले में स्टूडेंट्स का कहना है कि जिस दिन घटना हुई, उस दिन काफी घना कोहरा था, 10 मीटर भी साफ नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में प्रॉक्टर ने स्टूडेंट्स के खिलाफ नामजद मुकदमा कैसे दर्ज करा दिया? जबकि वह घर पर भी नहीं थे। जब उन्होंने किसी को देखा ही नहीं, तो नामजद एफआईआर उनके इनटेंशन की ओर इशारा कर रही है।

यह सवाल भी चर्चा में -

-पथराव की सूचना प्रॉक्टर को उनके घर वालों ने दी, ऐसे में प्रॉक्टर को कैसे पता चला कि घटना में वही स्टूडेंट्स शामिल हैं, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है?

-जिस दिन गोली चलने की बात की जा रही है, उस दिन वहां भारी पुलिस बल था। किसी को गोली चलने की आवाज नहीं सुनाई दी। खुद एसपी सिटी ने गोली चलने की घटना से इनकार किया है?

-प्रॉक्टर को यह मालूम था कि एक जनवरी से लॉ स्टूडेंट्स का सेमेस्टर एग्जाम शुरू हो रहा है, इसलिए उन्होंने चारों स्टूडेंट्स के निलंबन का आदेश एक दिन पहले कर दिया, जिससे स्टूडेंट्स परेशान हों?

- प्रॉक्टर ने सारे फैसले खुद ले लिए, इस मामले में कोई भी जांच कमेटी नहीं बनाई गई। आखिर क्यों मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की गई?

प्रॉक्टर प्रो। गोपाल प्रसाद का क्या कहना -

- जिस दिन घटना हुई, उससे कुछ देर पहले ही कुछ छात्रों ने मेरे घर जाने की बात की थी। कुछ देर बाद पथराव और गोली चलने की खबर मिली। जिसकी वजह से एफआईआर में उन स्टूडेंट्स का नाम शामिल किया गया।

- लॉ एंड ऑर्डर को मेनटेन करने के लिए उनके पास 24 घंटे मजिस्ट्रियल पॉवर है, इसलिए उन्होंने यूनिवर्सिटी की व्यवस्था को बेहतर बनाए रखने के लिए तत्काल एक्शन लिया, इस मामले में उन्हें कुलपति प्रो। वीके ने भी सहमति दी।

- जिन स्टूडेंट्स का एग्जाम है, उन स्टूडेंट्स के बारे में ऑन स्पॉट फैसला लिया जाएगा।

-वीसी के आदेश पर आरोपी छात्रों को एग्जाम देने की अनुमति दी गई है।

स्टूडेंट्स ने किया बुिद्ध-शुद्धि यज्ञ

स्टूडेंट्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराए जाने के विरोध में रविवार को स्टूडेंट्स ने यूनिवर्सिटी गेट के सामने बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया। इस दौरान छात्र नेता अनिल दुबे, मयंक राय और शिवशंकर गौड़ के नेतृत्व में स्टूडेंट्स ने प्रॉक्टर को सद्बुद्धि देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। इस दौरान उन्होंने वॉनिंग दी कि अगर स्टूडेंट्स के ऊपर लगे फर्जी मुकदमों को नहीं हटाया गया, तो स्टूडेंट्स बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। इस मौके पर आजाद पांडेय, विशाल सिंह, संदीप पाठक, गोलू सिंह, हरिकेश, नीरज, उत्कर्ष, शशांक, इब्राहीम अली, आरपी मिश्रा आदि मौजूद रहे।