दिन में बढ़ गई डेड बॉडीज की क्यू

आजकल दोपहर के वक्त अपने शहर का टेम्प्रेचर कभी 16 से 18 डिग्री के बीच खेल रहा है लेकिन रात में चार पांच या इससे भी कम डिग्री सेल्सियस हो जा रहा है। इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी एक इलाका ऐसा है जहां धंधे का तापमान दोपहर में जबर्दस्त गर्म रहता है लेकिन रात होते होते सर्द मौसम के साथ मिल कर कठुआ जाता है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन सा इलाका है जहां ठंड भरी दोपहर में भी गर्मी का एहसास मिल रहा है। वो प्लेस है महाश्मशान यानि मणिकर्णिका घाट। जी हां, ठंड के तेवर ज्यों ज्यों कड़े हो रहे हैं त्यों त्यों महाश्मशान रात की जगह दिन में तप रहा है। तपिश भी ऐसी कि ठंड भरे माहौल के बावजूद लोग यहां ज्यादा गर्मी के चलते खड़े नहीं हो पा रहे हैं। रात में ठंड ज्यादा होने के कारण चिताओं के जलने का सिलसिला भी थम सा जा रहा है।

दिन में लग रहा है मेला

दोनों श्मशान घाटों पर इन दिनों दोपहर के वक्त जबरदस्त भीड़ देखने को मिल रही है। वजह है ठंड के बढ़े तेवर। दरअसल पिछले एक सप्ताह से ठंड रात में तो सता ही रही है लेकिन दिन में भी लोगों को घरों में कैद रहने पर मजबूर कर दे रही है। इसके चलते मौतों का सिलसिला बढ़ा है। लोग अपनों का दाह संस्कार करने के लिए मणिकर्णिका और हरिश्चन्द्र घाट पर पहुंच रहे हैं। रात में ठंड ज्यादा होने पर लोग डेड बॉडी लेकर घाट पर पहुंचने से कतरा रहे हैं। इससे पूरे दिन दोनों घाटों पर लाश जलाने की जगह ही नहीं मिल पा रही है।

मणिकर्णिका पर है ज्यादा भीड़

हरिश्चन्द्र की अपेक्षा मणिकर्णिका घाट पर ज्यादा प्लेस होने से लोगों की ज्यादा भीड़ जुट रही है। अगर संडे की ही बात की जाये तो दोपहर में चार बजे तक 170 से ज्यादा लाशें घाट पर पहुंच चुकी थीं। हालत ये है कि श्मशान घाट पर बनी सीढिय़ां वेटिंग प्लेस का काम कर रही हैं और अपनों को मुक्ति की चाह में मणिकर्णिका पर दाह संस्कार करने आने वाले लोगों को चिता लगवाने के लिए ज्यादा रुपये देकर जगह हासिल करनी पड़ रही है।

जगह की है मारामारी

मणिकर्णिका घाट पर चिताओं को जलाने के लिए चार प्लेटफॉर्म हैं। एक ऊपर और तीन नीचे। लेकिन इन सभी प्लेसेज पर ठंड की दोपहर में तिल रखने की भी जगह नहीं मिल रही है। घाट पर लाशों को जलाने के लिए बनाये गए एक प्लेटफॉर्म पर एक बार में तीन से चार लाशों को जलाया जा सकता है। जबकि इन दिनों दोपहर के वक्त ज्यादा लाशों के आने के चलते इन प्लेटफॉम्र्स पर एक बार में पांच से छह लाशों को जलाया जा रहा है। घाट के एक चौधरी ने बताया कि निगम की ओर से यहां की हालत को सुधारने का काम नहीं किया जा रहा है। इसके चलते यहां ज्यादा ठंड और ज्यादा गर्मी में आने वाली लाशों को जलाने में दिक्कत होती है।

रात में मिल रहा है डिस्काउंट

अभी तक तो इंसान को जीते जी कोई सामान खरीदने पर डिस्काउंट मिल रहा था लेकिन अब मरने के बाद भी ये डिस्काउंट पीछा नहीं छोड़ रहा है। दरअसल मणिकर्णिका घाट पर दोपहर के वक्त लाशें ज्यादा पहुंच रही हैैं जबकि शाम होते ही लाशों को लाने की तादाद बेहद कम हो जा रही है। इस वजह से घाट पर मौजूद लकड़ी और दाहसंस्कार सामग्री बेचने वाले लोगों को ठंड की रात कस्टमर्स को तलाशने में ही बितानी पड़ रही है। लकड़ी कारोबारी पिन्टू यादव बताते हैं कि सुबह जहां 200 से 250 लाशें आ रही हैं। वहीं रात में ये संख्या घटकर 10 से 15 हो जा रही है। इस वजह से जब रात में डेड बॉडीज लायी जा रही हैं तो लाने वालों को हर कोई अपने यहां खींचने में लग जा रहा है। इसके चलते रात में लकड़ी के रेट में 10 से 20 रुपये मन की छूट देकर हर कोई रात में आए कस्टमर्स को अपनी दुकान तक लाने में जुटा रहता है।

छोटे दुकानदारों की हो गई है चांदी

रात में ठंड की मार से बचने के लिए भले ही दोपहर में श्मशान पर भीड़ बढ़ गई हो और इससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हो लेकिन इसमें सबसे ज्यादा फायदा घाट पर छोटी मोटी दुकानें लगाने वालों का हो रहा है। चाय, पान से लेकर खाने पीने की दुकानों और ठेला खोमचा लगाने वालों के लिए दोपहर का वक्त मणिकर्णिका घाट पर बड़े ही फायदे के साथ बीत रहा है। इस बारे में घाट पर लकड़ी की दुकान लगाने वाले अज्जू गुप्ता का कहना है कि दोपहर में ज्यादा भीड़ होने से यहां पूरा दिन मेले सा माहौल रह रहा है। इससे कितनों को रोजगार भी मिल रहा है।

बाहर से आ रही है ज्यादा भीड़

श्मशान घाटों पर ज्यादा भीड़ होने की वजह है दूसरे जिलों से ज्यादा लाशों का आना। इन दोनों घाटों पर आउटर इलाकों से लाशें दाहसंस्कार को आती हैं। दूसरे जिले चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, जौनपुर समेत बिहार और झारखंड से भी लाशें लायी जाती हैं। इस वजह से मैदागिन हरिश्चन्द्र कॉलेज के बाहर लाशों को लेकर आने वाली गाडिय़ों के लिए बनाये गए वाहन स्टैंड की हालत भी पतली हो गई है और दोपहर में पूरा इलाका ज्यादा गाडिय़ों के आ जाने के चलते जाम की चपेट में रह रहा है।

- ठंड के चलते अब तक मरे हैं लगभग आधा दर्जन लोग।

- एक दिन में मणिकर्णिका पर लायी जा रही हैं लगभग 250 लाशें।

- दोपहर के वक्त लायी जाने वाली लाशों की संख्या है 180 से 200.

- जबकि रात में 10 से 20 लाशों का ही हो रहा है दाहसंस्कार।