कौन हैं वो लोग जिनपर हमारी सेफ्टी की जिम्मेदारी है। जो मोटी पगार लेकर सिर्फ कुर्सी पर बैठे हुए हैं और सडक़ पर पड़े इस मौत के इंतजाम को देखकर आंखें मूंद लेते हैं। आई नेक्स्ट आज शहर के कुछ डेथ स्पॉट्स की खबर ले रहा है। खबर उन अफसरों की भी ली जा रही है जो इसके लिए जिम्मेदार हैं.

एक्सीडेंट्स की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ज्यादातर एक्सीडेंट सडक़ में गढ्ढों से और डिवाइडर से टकराकर हो रहे हैं। इसके अलावा कई चौराहों पर ट्रैफिक को कंट्रोल करने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसा नहीं है कि सडक़ में गढ्ढे पिछले एक-दो दिन में हो गए हो। ये कहानी तो काफी पुरानी है। यही डिवाइडर और गड्ढे मौत का सामाना बन जाते हैं। लेकिन इनका पुरसा हाल लेने वाला कोई नहीं। लोग मर रहे हैं तो मरने दो। जिम्मेदार अधिकारियों के रिकॉर्ड के हिसाब से सडक़ एकदम दुरुस्त है। शहर में कई ऐसे डेथ स्पॉट हैं जहां पर अक्सर एक्सीडेंट के दौरान इंसानी खून पानी की तरह बह जाता है। यहां के डिवाइडर्स पर प्रॉपर इंडीकेशन नहीं है।

सैकड़ों की जान गई

सिटी में दुर्घटनाओं के आंकड़े बताते हैं कि स्थिति काफी गंभीर है। पिछले पांच सालों में यहां 224 लोगों ने जान गंवाई है। जबकि पांच सौ से ज्यादा लोग घायल हुए हैं सडक़ दुर्घटनाओं में सबसे ज्यादा मौत दिल्ली-रुडक़ी रोड पर बाईपास पर हुई। इसके बाद मवाना और गढ़ रोड का नंबर आता है। शहर के डेंजर स्पॉट माने जाने वाले एरिया में जेलचुंगी चौराहा, तेजगढ़ी चौराहा, बिजली बंबा बाईपास, दिल्ली-देहरादून बाईपास, बागपत चौराहा, कंकरखेड़ा, सरधना चौराहा, भगत लाइन है। इन जगहों पर कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

डिवाइडर से टकराए

26 अक्टूबर दीपावली का दिन, एल ब्लाक शास्त्री नगर के रहने वाले शुभम शर्मा पुत्र लोकेश शर्मा और सौरभ शर्मा पुत्र संजय शर्मा घर से बाजार को निकले थे। रात के करीब पौने दो बजे बाइक तेज चलाते समय ये लोग गंगा प्लाजा के सामने डिवाइडर से जा टकराए। जहां शुभम की दर्दनाक मौत हो गई। इसमें सौरभ गंभीर रूप से घायल हो गया। इस डिवाइडर के सामने कोई चिन्ह या संकेत नहीं लगा था। यह जिम्मेदारी सडक़ बनाने वालों की और सडक़ पर डिवाइडर बनाने वालों की है। उन्होंने यहां कोई साइन नहीं लगाया।

कमिश्नर आवास के सामने डिवाइडर

26 अक्टूबर दीपावली का दिन, हापुड़ के रहने वाले अतुल पुत्र बाबूलाल, सचिन पुत्र देवराज और भीम सिंह पुत्र गुल्लू बाइक यूपी 15बीबी 1353 पर सवार थे। ये तीनों बाइक पर गंगानगर से अपने घर के लिए निकले थे। कमिश्नरी चौराहे पर अचानक इनकी बाइक डिवाइडर से टकरा गई। जिसमें तीनों युवक घायल हो गए। इनमें से भीम की अस्पताल पहुंचने पर मौत हो गई।

रुडक़ी रोड डिवाइडर

22 जनवरी को कंकरखेड़ा क्षेत्र में कासना रोड पर बाइक सवार दो भाई डिवाइडर से टकराए थे। डिवाइडर से टकराने के बाद इनकी मौत हो गई। यह डिवाइडर रात में दिखाई नहीं दिया और ये लोग उससे जा टकराए। इस डिवाइडर पर कोई साइन नहीं लगा था। जो रात या दिन में दिखाई देता। इसका जिम्मेदार कौन है।

मेडिकल कॉलेज डिवाइडर

मेडिकल कॉलेज के सामने बने डिवाइडर की हालत तो बहुत खराब है। यहां डिवाइडर लगभग गायब हो चुका है। सिटी बसों ने इसे सडक़ में मिला दिया है। बाइक सवार टकराकर चोटिल हो जाते हैं। कई तो मौत के मुंह में भी चले गए। कई बार इस डिवाइडर पर कार और एंबूलेंस तक चढ़ गई। जिनमें सवार लोग मौत के मुंह में जाते-जाते बच गए।