'हाईस्पीड' से सिंघल का 'एक्सीडेंड'

- विवादों से भरा रहा दीपक सिंघल का दो महीने का कार्यकाल

- अधिकारियों को बेइज्जत करना और इंतजार कराने के लिए मशहूर हो गये थे चीफ सेक्रेटरी

- अमर सिंह की पार्टी में बने थे मेहमान

LUCKNOW : दीपक सिंघल का प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम की ही तरह चीफ सेक्रेटरी के पर कार्यकाल ज्यादा दिन का नहीं रहा। सात जुलाई को चीफ सेक्रेटरी का पद ग्रहण करने वाले दीपक सिंघल की 13 सितंबर को ही विदाई हो गयी। सूत्रों की मानें तो दिल्ली के एक होटल में समाजवादी पार्टी के एक बड़े नेता की ओर से आयोजित पार्टी में शरीक होना भी विदाई की वजह माना जा रहा है। दरअसल इस डिनर पार्टी में मीडिया घराने के चुनिंदा लोगों के साथ समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह और शिवपाल सिंह यादव व उत्तर प्रदेश के चुनिंदा अफसरों को इंवाइट किया गया था। इस पार्टी में दीपक सिंघल ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था।

ना ब्यूरोक्रेट्स की पसंद और ना नेताओं की

जुगाड़ से चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी तक पहुंचने वाले दीपक सिंघल की रफ्तार कुछ ज्यादा ही तेज थी। उनकी कार्यशैली ना सिर्फ ब्यूरोक्रेसी में बल्कि राजनैतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन रही थी। ब्यूरोक्रेसी में कई अधिकारी ऐसे थे जो मुख्य सचिव के तौर पर उन्हें एक्सेप्ट भी नहीं कर रहे थे। अधिकारियों को जेल भेजने की धमकी देना और भरी मीटिंग में अफसरों पर हमला करना भी सिंघल का शगल बन गया था। बड़े-बड़े अधिकारियों को घंटों वेट कराना और फिर बिना मिले ऑफिस से निकल जाना भी आदत थी। सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री के खास प्रोजेक्ट के अधिकारियों से चीफ सेक्रेटरी को कुछ ज्यादा ही चिढ़ थी। लखनऊ मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के एमडी कुमार केशव जैसे अफसरों को भी एक बार नहीं बल्कि कई बार दो से साढ़े तीन घंटे तक वेट कराते थे।

बयानों से भी चर्चा में रहे

दीपक सिंघल अपने बयानों से भी चर्चा में रहे। अधिकारियों के साथ एक मीटिंग में उन्होंने साफ कह दिया था कि साढ़े चार साल में कोई काम नहीं हुआ सिर्फ दिखावा किया गया। नोएडा में कहा कि जो अधिकारी काम नहीं करेंगे उन्हें जेल भेज दूंगा। नोएडा पहुंचे दीपक सिंघल ने अथॉरिटी के इंजीनियरों की मीटिंग बुला ली और उन्हें टाइट करना शुरू कर दिया। इसकी शिकायत संजय अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से की थी। इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में एक कार्यक्रम के दौरान दीपक सिंघल बोल दे रहे थे और मुख्यमंत्री और मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन आपस में बात कर रहे थे, इसी दौरान दीपक सिंघल ने स्पीच रोक कर कहा कि सलाहकर जी आप सलाह बाद में दे दीजिएगा पहले मुख्यमंत्री को मेरी बात सुनने दीजिए।

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जिम्मेदारी पर खरा उतरने की होगी कोशिश

1983 बैच के आईएएस और नये नये चीफ सेक्रेटरी बनाये गये राहुल प्रसाद भटनागर ने कहा कि जो जिम्मेदारी दी गयी उसे इमानदारी के साथ पूरा करने की पूरी कोशिश करूंगा। सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को गति दी जाएगी। अच्छे काम करने वाले अधिकारियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। राहुल भटनागर मौजूदा सरकार में चौथे चीफ सेक्रेटरी हैं। सरकार बनने के बाद जावेद उस्मानी को चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था। उनके बाद आलोक रंजन चीफ सेक्रेटरी बने। आलोक रंजन को सरकार ने तीन महीने का एक्सटेंशन भी दिया। आलोक रंजन रिटायर हुए तो चार्ज प्रवीण कुमार के हाथ में आया लेकिन एक हफ्ते बाद दीपक सिंघल को बतौर मुख्य सचिव पोस्ट कर दिया गया था। बता दें कि राहुल भटनागर मुख्यमंत्री के खास अफसरों में माने जाते हैं। अभी तक वह प्रमुख सचिव वित्त के साथ कई अन्य विभागों का काम देख रहे थे।