राजनाथ सिंह बोले, देश के मुसलमानों को चिमटे से भी कोई नहीं छू सकता

31 मई 1996 को सदन में अपने भाषण में अटलजी ने किया था चिमटे शब्द का प्रयोग

अटलजी ने कहा था कि ऐसी सत्ता को मैं चिमटे से भी नहीं छूना चाहूंगा

Meerut। नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के समर्थन में आयोजित रैली में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उसी चिमटे शब्द का प्रयोग किया, जिसे कभी अटल बिहारी बाजपेयी ने संसद के पटल पर कहा था। तकरीबन 24 साल बाद सियासी रैली में जनता को लुभाने के लिए चिमटे शब्द को प्रयोग किया गया। इसका मकसद देश के मुसलमानों को भरोसे में लेना था। रैली में अपने भाषण के दौरान राजनाथ सिंह ने जहां शरणार्थियों के दर्द को मंच से बांटा तो वहीं दूसरी ओर मुसलमानों को भी साधने की कोशिश की। दरअसल, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मुस्लिमों को उसी अंदाज में साधते नजर आए, जिस अंदाज में कभी अटल जी ऐतिहासिक भाषण दिया करते थे। शताब्दीनगर में बुधवार को आयोजित रैली में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जो मुसलमान भारत का नागरिक है, उसे चिमटे से भी कोई छू नहीं पाएगा। अपने 27 मिनट के भाषण में राजनाथ सिंह देश के मुसलमानों को आश्स्वत करते नजर आए उन्हें नागरिक संशोधन एक्ट से कोई खतरा नहीं है।

'चिमटे से भी कोई नहीं छू सकेगा'

दरअसल, अपने भाषण के माध्यम से राजनाथ सिंह ने देश के मुसलमानों को भरोसा दिलाया कि उन्हे डरने और बहकावे में आने की कोई जरूरत नहीं है। न तो सीएए से कोई नुकसान है और न ही एनपीआर और एनआरसी से, बस कुछ पार्टियां अपने सियासी लाभ के लिए देश के मुस्लिम भाइयों को बरगला रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमानों को कोई माई का लाल भी चिमटे से भी छू नहीं सकेगा। इस बात का भरोसा मैं दिलाता हूं। इसके बाद उन्होंने कहा कि बीजेपी जाति धर्म और मजहब में विश्वास नहीं करती है। बीजेपी की विचारधारा सदैव सबका विकास और सबका विकास वाली ही रही है।

अटलजी की याद आई

दरअसल, राजनाथ सिंह ने चिमटे का शब्द का प्रयोग अटल जी की याद दिला दी। 31 मई 1996 को अटलजी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। तब उन्होंने खुद सदन में पार्टी के संख्या बल कम होने की बात कही थी और राष्ट्रपति को इस्तीफा सौपा था। इस दौरान अटलजी ने कहा था कि मैं 40 साल से इस सदन का सदस्य हूं। सदस्यों ने मेरा व्यवहार देखा, मेरा आचरण देखा, लेकिन पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आती है तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा। अटलजी का यही भाषण इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया।