दिल्ली में बन सकती है अल्पमत सरकार
दिल्ली में सरकार गठन की प्रक्रिया में चल रहे राजनैतिक संघर्ष के बाद अल्पमत की सरकार बनने का रास्ता साफ होता दिख रहा है. इस मामले में महाराष्ट्र में बीजेपी की अल्पमत सरकार का गठन होना एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली उप राज्यपाल नजीब जंग को सरकार गठन की संभावनाओं को तलाशने के लिए 11 नवंबर तक का समय दिया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट आम आदमी पार्टी की याचिका पर सुनवाई करेगी. गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में फिर से चुनाव कराने की मांग कर रही है. इस याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ सुनवाई कर रही है. 

कोर्ट ने जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले दिल्ली उप राज्यपाल को सरकार गठन में ढिलाई बरतने के लिए नाराजगी जताई थी.  गुरुवार को हुई सुनवाई के मामले में आम आदमी पार्टी के वकील प्रशांत भूषण ने सरकार गठन के मुद्दे से जुड़े प्रावधानों पर संविधान सभा में हुई बहस का हवाला दिया. लेकिन कोर्ट ने कहा कि खबरों के अनुसार उप राज्यपाल सरकार बनाने के लिए सभी दलों के साथ मीटिंग करने की बात कर रहे हैं. यह उप राज्यपाल के सकारात्मक प्रयासों के बारे में बताता है. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि क्यों ना उप राज्यपाल को कुछ समय देकर देखा जाए कि क्या होता है.  इसके जवाब में प्रशांत भूषण ने कहा कि उपराज्यपाल द्वारा पॉसिबिलिटीज को ढूढ़ने में उन्हें कोई ऐतराज नही है और वह लास्ट मूमेंट तक सरकार बनाने के लिए प्रयास कर सकते हैं. इसके साथ प्रशांत भूषण ने कहा कि दिल्ली में सरकार बनने की संभावना नहीं है क्योंकि किसी दल के पास बहुमत नहीं है. 

कोर्ट ने कहा कि रहना चाहिए आशान्वित
प्रशांत भूषण की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि हमेशा आशान्वित रहना चाहिए. यह हो सकता है कि बाहर से समर्थन पर अल्पमत की सरकार बन जाए. अगर उपराज्यपाल को सरकार गठन की संभावना दिखेगी तो ठीक है अन्यथा वे राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजेंगे और राष्ट्रपति उस पर निर्णय लेंगे. भूषण ने कहा कि उन्हें इसमें आपत्ति नहीं है लेकिन इसके लिए समयसीमा तय होनी चाहिए. सरकार सोमवार या मंगलवार तक इस बाबत कोर्ट को बता दे क्योंकि पिछले पांच महीने से ऐसा चल रहा है. पीठ ने उनसे सहमति जताते हुए कहा कि वे मामले की सुनवाई 11 नवंबर तक टाल रहे हैं. अगर तब तक कोई हल नहीं निकला तो वे याचिका की मेरिट पर आगे सुनवाई करेंगे. 

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