नई दिल्ली (पीटीआई)। दिल्ली में कोरोना वायरस के प्रसार से बिगड़ते हालात के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे उनका घर में ही इलाज किया जा रहा है।

दिल्ली में ऐसे हैं हालात

केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में कुल मरीजों को देखते हुए गंभीर और मरने वालों की संख्या बहुत कम है। 6,923 COVID-19 रोगियों में से, केवल 1,476 अस्पतालों में भर्ती हैं। बाकी अपने घरों और COVID-19 केंद्रों में इलाज करवा रहे हैं। रिपोर्टस के अनुसार दिल्ली में अब तक 2069 मरीज ठीक होकर वापस जा चुके हैं,4781 लोगों का इलाज चल रहा है और 73 की मौत हो चुकी है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों में 51 आईसीयू में और 27 वेंटीलेटर पर हैं।पता चला है कि मृतकों में 82 प्रतिशत के करीब 50 वर्ष से ऊपर के थे। मुख्यमंत्री दिल्ली ने ये भी बताया कि दिल्ली में, 75 प्रतिशत COVID-19 के मामले या तो कम लक्षण या बिना लक्षण वाले हैं। ऐसे मरीजों में जिनके घरों में अलग कमरे हैं और व्यवस्था हो सकती है उनको घरों में ही आइसोलेट किया जा रहा है, और जिनके पास ऐसी सुविधा नहीं है उनके लिए कोविड सेंटर बनाए गए हैं।

निजी एम्बुलेंस की आवश्यकता के लिए आदेश जारी

केजरीवाल ने ये भी बताया कि अब तक एंबुलेंस सेवाओं में कुछ परेशानी थी जिसके चलते कई निजी अस्पतालों के एंबुलेंस को भी सरकारी सेवाओं में शामिल कर लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि इससे एंबुलेंस की समस्या खत्म हो जाएगी।

कोरोना वॉरियर्स पर की बात

कुछ अर्सा पहले कोरोना वॉरियर्स के लिए स्पेशल अरेंजमेंट के चलते विपक्ष के निशाने पर आये मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वॉरियर्स के लिए जो भी संभव है वह हम कर रहे हैं। उनके लिए राजीव गांधी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के साथ कुछ होटलों को भी अटैच करने की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा इससे विपक्ष को क्या परेशानी है, यह समय राजनीति करने का नहीं है।

मजदूरों को बंधाया धीरज

पलायन कर रहे मजदूरों को धैर्य बंधाते हुए उन्होंने अपील की, कि वे दिल्ली छोड़कर न जाएं, थोड़ा इंतजार करें, उन्होंने जिम्मेदारी उठाने और केंद्र सरकार सहित अन्य राज्यों की सरकारों से बात कर करके उनके लिए व्यवस्था करने का वादा किया है। कुछ दिन पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अब हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए, जब तक इसकी दवा नहीं आती है। उन्होंने कहा था कि लॉकडाउन से कोरोना खत्म नहीं होने वाला है। कोई यह ना सोचे कि जिले कोरोनामुक्त हो जायेंगे। कोरोना के साथ हमें जीने की आदत डालनी होगी।

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