अभियुक्तों का कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं
नई दिल्ली (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट देश के चर्चित निर्भया सामूहिक दुष्कर्म कांड में दोषियों की सजा पर पुनर्विचार याचिका पर आज फैसला सुना दिया है। आज मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर. बनुमाथी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने इस पर अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने फांसी की सजा बरकरार रखी है। इस तरह से अब निर्भया के सभी दोषियों को फांसी की सजा होगी।कोर्ट के फैसलों के बाद देश में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों का कहना है कि निर्भया को न्याय मिला है। हाल ही में इस मामले में चार दोषियों को दिल्ली हाई कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी।

चार अभियुक्तों को मौत की सजा बरकरार

इनमें से अक्षय ठाकुर को छोड़कर विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश सिंह ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। अभियुक्तों के वकील ने अनुरोध किया था कि पुलिस असली अपराधियों को गिरफ्तार करने में विफल रही थी। इसलिए उसने निर्दोष  व्यक्तियों को फंसाया था। इसके साथ ही यह भी तर्क दिया था कि मृत्युदंड समाधान नहीं है क्योंकि यह अहिंसा के सिद्धांत के खिलाफ है। इतना ही नहीं इन अभियुक्तों का कोई आपराधिक इतिहास भी नहीं है। बता दें कि सु्रपीम कोर्ट ने 5 मई, 2017 के फैसले में, चार अभियुक्तों को मौत की सजा को बरकरार रखा था।दिल्ली हाईकोर्ट ने सजा सुनाई थी।

पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इसकी पुष्टि की थी

इन अभियुक्तों को 23 वर्षीय पैरा-मेडिकल स्टूडेंट के साथ दुष्कर्म करने और हमला करने के लिए दोषी पाया गया था। गौरतलब है कि 16 दिसंबर, 2012 को एक चलती बस के अंदर छात्रा से दुष्कर्म हुआ था। वह अपने एक पुरुष मित्र के साथ घर जा रही थी। इस दौरान उसकी 13 दिनों बाद अस्पताल में मौत हो गई थी। डाॅक्टरों ने इस बात की पुष्टि की थी उसके साथ बेहद हैवानियत वाला सुलूक हुआ था।इस मामले में  छह लोग गिरफ्तार हुए थे। इसमें  एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। वहीं एक नाबालिग आरोपी 3 साल की सजा पूरी कर सुधार गृह से रिहा हो चुका है।

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