Capital punishment only


Delhi gangrape 

Allahabad: रेयर ऑफ द रेयरेस्ट केस है। जुर्म साबित हो चुका है तो सजा का प्रावधान भी कुछ इस तरह का हो जो नजीर बन जाए। कुछ ऐसी सजा तय हो जिससे ऐसे अपराधों की पुनरावृत्ति न हो। फैसला दिल्ली की साकेत कोर्ट को बहस के बाद लेना है लेकिन इलाहाबादी यूथ तो यही चाहता है। फांसी से नीचे उसे कुछ भी मंजूर नहीं है.

Gulf cuntries जैसा प्रावधान क्यों नहीं
16 दिसंबर 12 को दिल्ली में हुई छात्रा के साथ दिल दहला देने वाली घटना के आरोपियों पर जुर्म साबित होने के बाद आई नेक्स्ट ने स्टूडेंट्स के बीच सजा पर डिबेट ऑर्गनाइज की। स्टूडेंट बृजेश का कहना था कि गल्फ कंट्रीज में गैंगरेप जैसी घटनाएं नहीं होती, क्योंकि वहां कानून इतना कड़ा है। हमारे देश में भी ऐसी ही सजा का प्रावधान होना चाहिए। चारों को सार्वजनिक तौर पर फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए.
 
कड़े फैसले लेने का समय है
बृजेश का समर्थन करते हुए शोभित ने कहा कि जघन्य अपराधों की टेंडेसी बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए कड़े फैसले लेने का समय आ गया है। कैपिटल पनिशमेंट ही इसका एकमात्र रास्ता है। बात को आगे बढ़ाते हुए आदित्य ने कहा कि समाज महिलाओं को हेयदृष्टि से देखता है। पुरुष प्रधान समाज ने महिलाओं को एक वस्तु से अधिक नहीं समझा। महिलाओं की रेस्पेक्ट न करने वाले, मोरल वैल्यूज को ठेंगा दिखाने वालों के लिए डेथ सेंटेंस ही सजा है. 

मौत की सजा देकर जिम्मेदारी से नहीं बच सकते
डिबेट के दौरान 80 परसेंट स्टूडेंट कैपिटल पनिशमेंट के पक्ष में थे तो 20 परसेंट का कहना था कि सरकार दोषियों को फांसी की सजा देकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। ज्योति ने कहा कि ऐसे अपराधी कुछ सेकंडों में फांसी पर लटककर दम तोड़ देंगे। इसे सोसायटी कुछ दिनों में भूल जाएगी, अपराधियों को पछताने का मौका भी नहीं मिलेगा। इसलिए उन्हें सजा के तौर पर ऐसी सोशल सर्विस कराई जिससे उन्हें अपनी करनी का बोध हो। उनसे महिलाओं के सोशल वेलफेयर के काम कराए जाने चाहिए। सिद्धार्थ ने उनका सपोर्ट करते हुए कहा कि अमेरिका ने गैंगरेप के बढ़ते मामलों पर सर्वे कराया था। इस नतीजा निकला कि उन्हें डेथ सेंटेंस न देकर ऐसे काम कराए गए जिससे उन्हें अपने अपराध से घृणा होने लगी। कई अपराधियों से 25 साल तक टायलेट साफ कराया गया। इससे पब्लिक के भीतर भी डर पैदा हुआ और अपराधियों की फैमिली को इसका अंजाम भुगतने पर मजबूर होना पड़ा. 

यह मामला भी फास्ट ट्रैक में जाए
स्टूडेंट्स ने कहा कि सिरफिरे आशिक द्वारा बीटेक स्टूडेंट को पेट्रोल डालकर आग लगाने का मामला भी ऐसे अपराधों की श्रेणी में आता है। इस मामले को भी फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाया जाए ताकि, पीडि़त स्टूडेंट को जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके। ऐसे मामलों में जितना जल्दी फैसला आएगा, कानून का डर उतना ही ज्यादा अपराधियों में भरेगा.

कौन-कौन से तर्क दिए

-रेप की सजा सिर्फ मौत होनी चाहिए।   
-कोलकाता में नाबालिग के साथ रेप और हत्या को अंजाम देने वाले धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई लेकिन इसका पब्लिक पर कोई असर नहीं पड़ा। इसलिए इन दोषियों के लिए कैपिटल पनिशमेंट ही सही सजा होनी चाहिए.
-पापी नहीं पाप को खत्म करो। फांसी देने के बजाय उन्हें कड़ी सजा देनी चाहिए ताकि वह जब तक जीवित रहें अपने किए पर पछतावा करते रहें.
-20 साल उम्रकैद काटने के बाद ये बाहर आ जाएंगे। ऐसे लोगों को सोसायटी में खुला नहीं छोड़ा जा सकता.
-नाबालिग को तीन साल सजा देना समझ से परे है। उसे भी कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। उसने सबसे घृणित कार्य किया था.
-सोसायटी को भटकाने वाली मूवीज ए सर्टिफिकेट की आड़ में अश्लीलता परोस रही हैं। सेंसर बोर्ड को इस पर रोक लगानी होगी। टीवी प्रोमोज में दिखाए जाने वाले नंगेपन को रोकना होगा.

दिल्ली गैंगरेप घटनाक्रम 

-16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के बसंत बिहार इलाके में चलती बस के अंदर छह आरोपियों ने 23 वर्षीय निर्भया के साथ गैंगरेप कर उसे अधमरी हालत में सड़क पर फेंक दिया.
-अमानवीय कृत्य के दौरान बुरी तरह जख्मी निर्भया की हालत लगातार बिगडऩे पर 27 दिसंबर को उसे इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया.
-29 दिसंबर को इलाज के दौरान सिंगापुर के एक हॉस्पिटल में पीडि़ता की मौत.
-11 मार्च को गैंगरेप और हत्या के आरोपी रामसिंह की तिहाड़ जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत.
-प्रासीक्यूशन ने आठ जुलाई 2013 को कम्प्लीट एवीडेंस कोर्ट में पेश किए.
-31 अगस्त को घटना में शामिल नाबालिग को बाल न्यायालय ने तीन साल की सजा सुनाई.
-10 सितंबर 2013 को चारों आरोपियों को हत्या-बलात्कार सहित 11 धाराओं में दिल्ली की फास्ट ट्रेक कोर्ट ने दोषी करार दिया। उनकी सजा का फैसला 11 सितंबर को सुनाया जाएगा. 

इन धाराओं में दोषी करार
376, 302, 307, 377, 120 बी, 394, 395, 396, 365, 412, 201

अपराधियों से टायलेट और रोड साफ कराने जैसे काम कराए जाएं। उनको जिंदा रहते पछतावे के लिए मजबूर किया जाए.
सिद्धार्थ

-रेपिस्ट को सुधरने का मौका देने के लिए फिर से नए कानून बनाए जाएंगे। उनको आश्रय दिया जाएगा। इसका क्या होगा? वही जो पोटा और टाडा जैसे कानून के साथ हुआ। इसलिए कोर्ट को बिना देरी चारों को सरेआम फांसी पर लटका देना चाहिए.
बृजेश

-दिल्ली गैंगरेप के बाद मुंबई गैंगरेप जैसी घटना को झुठलाया नहीं जा सकता है। ऐसे अपराधियों की मनोदशा का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। इस पर रोक लगानी है तो भय का माहौल बनाना होगा और यह कैपिटल पनिशमेंट से ही संभव होगा.
आदित्य
Gulf cuntries जैसा प्रावधान क्यों नहीं

16 दिसंबर 12 को दिल्ली में हुई छात्रा के साथ दिल दहला देने वाली घटना के आरोपियों पर जुर्म साबित होने के बाद आई नेक्स्ट ने स्टूडेंट्स के बीच सजा पर डिबेट ऑर्गनाइज की। स्टूडेंट बृजेश का कहना था कि गल्फ कंट्रीज में गैंगरेप जैसी घटनाएं नहीं होती, क्योंकि वहां कानून इतना कड़ा है। हमारे देश में भी ऐसी ही सजा का प्रावधान होना चाहिए। चारों को सार्वजनिक तौर पर फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए।

 कड़े फैसले लेने का समय है

बृजेश का समर्थन करते हुए शोभित ने कहा कि जघन्य अपराधों की टेंडेसी बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए कड़े फैसले लेने का समय आ गया है। कैपिटल पनिशमेंट ही इसका एकमात्र रास्ता है। बात को आगे बढ़ाते हुए आदित्य ने कहा कि समाज महिलाओं को हेयदृष्टि से देखता है। पुरुष प्रधान समाज ने महिलाओं को एक वस्तु से अधिक नहीं समझा। महिलाओं की रेस्पेक्ट न करने वाले, मोरल वैल्यूज को ठेंगा दिखाने वालों के लिए डेथ सेंटेंस ही सजा है. 

मौत की सजा देकर जिम्मेदारी से नहीं बच सकते

डिबेट के दौरान 80 परसेंट स्टूडेंट कैपिटल पनिशमेंट के पक्ष में थे तो 20 परसेंट का कहना था कि सरकार दोषियों को फांसी की सजा देकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती। ज्योति ने कहा कि ऐसे अपराधी कुछ सेकंडों में फांसी पर लटककर दम तोड़ देंगे। इसे सोसायटी कुछ दिनों में भूल जाएगी, अपराधियों को पछताने का मौका भी नहीं मिलेगा। इसलिए उन्हें सजा के तौर पर ऐसी सोशल सर्विस कराई जिससे उन्हें अपनी करनी का बोध हो। उनसे महिलाओं के सोशल वेलफेयर के काम कराए जाने चाहिए। सिद्धार्थ ने उनका सपोर्ट करते हुए कहा कि अमेरिका ने गैंगरेप के बढ़ते मामलों पर सर्वे कराया था। इस नतीजा निकला कि उन्हें डेथ सेंटेंस न देकर ऐसे काम कराए गए जिससे उन्हें अपने अपराध से घृणा होने लगी। कई अपराधियों से 25 साल तक टायलेट साफ कराया गया। इससे पब्लिक के भीतर भी डर पैदा हुआ और अपराधियों की फैमिली को इसका अंजाम भुगतने पर मजबूर होना पड़ा. 

यह मामला भी फास्ट ट्रैक में जाए

स्टूडेंट्स ने कहा कि सिरफिरे आशिक द्वारा बीटेक स्टूडेंट को पेट्रोल डालकर आग लगाने का मामला भी ऐसे अपराधों की श्रेणी में आता है। इस मामले को भी फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाया जाए ताकि, पीडि़त स्टूडेंट को जल्द से जल्द इंसाफ मिल सके। ऐसे मामलों में जितना जल्दी फैसला आएगा, कानून का डर उतना ही ज्यादा अपराधियों में भरेगा।

कौन-कौन से तर्क दिए

-रेप की सजा सिर्फ मौत होनी चाहिए।   

-कोलकाता में नाबालिग के साथ रेप और हत्या को अंजाम देने वाले धनंजय चटर्जी को फांसी दी गई लेकिन इसका पब्लिक पर कोई असर नहीं पड़ा। इसलिए इन दोषियों के लिए कैपिटल पनिशमेंट ही सही सजा होनी चाहिए।

-पापी नहीं पाप को खत्म करो। फांसी देने के बजाय उन्हें कड़ी सजा देनी चाहिए ताकि वह जब तक जीवित रहें अपने किए पर पछतावा करते रहें।

-20 साल उम्रकैद काटने के बाद ये बाहर आ जाएंगे। ऐसे लोगों को सोसायटी में खुला नहीं छोड़ा जा सकता।

-नाबालिग को तीन साल सजा देना समझ से परे है। उसे भी कड़ी से कड़ी सजा देनी चाहिए। उसने सबसे घृणित कार्य किया था।

-सोसायटी को भटकाने वाली मूवीज ए सर्टिफिकेट की आड़ में अश्लीलता परोस रही हैं। सेंसर बोर्ड को इस पर रोक लगानी होगी। टीवी प्रोमोज में दिखाए जाने वाले नंगेपन को रोकना होगा।

दिल्ली गैंगरेप घटनाक्रम 

-16 दिसंबर 2012 को दिल्ली के बसंत बिहार इलाके में चलती बस के अंदर छह आरोपियों ने 23 वर्षीय निर्भया के साथ गैंगरेप कर उसे अधमरी हालत में सड़क पर फेंक दिया।

-अमानवीय कृत्य के दौरान बुरी तरह जख्मी निर्भया की हालत लगातार बिगडऩे पर 27 दिसंबर को उसे इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया।

-29 दिसंबर को इलाज के दौरान सिंगापुर के एक हॉस्पिटल में पीडि़ता की मौत।

-11 मार्च को गैंगरेप और हत्या के आरोपी रामसिंह की तिहाड़ जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत।

-प्रासीक्यूशन ने आठ जुलाई 2013 को कम्प्लीट एवीडेंस कोर्ट में पेश किए।

-31 अगस्त को घटना में शामिल नाबालिग को बाल न्यायालय ने तीन साल की सजा सुनाई।

-10 सितंबर 2013 को चारों आरोपियों को हत्या-बलात्कार सहित 11 धाराओं में दिल्ली की फास्ट ट्रेक कोर्ट ने दोषी करार दिया। उनकी सजा का फैसला 11 सितंबर को सुनाया जाएगा. 

इन धाराओं में दोषी करार

376, 302, 307, 377, 120 बी, 394, 395, 396, 365, 412, 201

अपराधियों से टायलेट और रोड साफ कराने जैसे काम कराए जाएं। उनको जिंदा रहते पछतावे के लिए मजबूर किया जाए।

सिद्धार्थ

-रेपिस्ट को सुधरने का मौका देने के लिए फिर से नए कानून बनाए जाएंगे। उनको आश्रय दिया जाएगा। इसका क्या होगा? वही जो पोटा और टाडा जैसे कानून के साथ हुआ। इसलिए कोर्ट को बिना देरी चारों को सरेआम फांसी पर लटका देना चाहिए।

बृजेश

-दिल्ली गैंगरेप के बाद मुंबई गैंगरेप जैसी घटना को झुठलाया नहीं जा सकता है। ऐसे अपराधियों की मनोदशा का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है। इस पर रोक लगानी है तो भय का माहौल बनाना होगा और यह कैपिटल पनिशमेंट से ही संभव होगा।

आदित्य