नई दिल्ली (आईएएनएस)। गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष और परोपकारी रतन टाटा को देश के लिए उनकी सेवा के लिए सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। याचिका मुख्य जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली और जस्टिस नवीन चावला की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने आई। बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील को इसे वापस लेने के लिए कहा और कहा कि इस मामले में अदालत का इंटरफेयर नहीं है।
टाटा समूह की 30 कंपनियों का रिवेन्यू था 106 बिलियन डॉलर
बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर वह चाहे तो सरकार से संपर्क करे। साथ ही कहा कि क्या यह हमें तय करना है कि भारत रत्न किसे दिया जाना चाहिए? आप या तो वापस ले लें या हम इस पर जुर्माना लगाएंगे। याचिकाकर्ता राकेश ने टाटा और उनकी कंपनी के परोपकार वाले कार्यों की बात करते हुए याचिका में कहा कि"रतन टाटा एक महान व्यवसायी हैं और उनके नेतृत्व में, व्यवसाय पूरी दुनिया में हैं । 2012 में टाटा संस के अध्यक्ष से रिटायर होने के बाद, रतन टाटा व्यक्तिगत रूप से इन्वेस्टिंग करने में सक्रिय रहे हैं। साथ ही यंग एंटरप्रेन्योर को इनकरेज किया। यह भी कहा कि मार्च 2020 में, रतन टाटा ने कोविड -19 से लड़ने के लिए टाटा ट्रस्ट्स से 500 करोड़ रुपये देने का वादा किया था। फाइनेंशियल ईयर 2015 में टाटा समूह की 30 कंपनियों का रिवेन्यू 106 बिलियन डॉलर था।

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