नई दिल्ली (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को एक पत्र लिखकर कश्मीरी पंडितों को टारगेट करके सुनियोजित हत्याकांड की एक स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) से दोबारा जांच कराने की मांग की है। कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के बाद से लगातार आने वाली सरकारें कश्मीरी पंडितों को न्याय का झांसा देती रहीं लेकिन हुआ कुछ नहीं।

आतंकवादियों को सजा देने में असफल रही सरकार

वकील ने अपने पत्र में कहा कि कश्मीरी पंडितों के नरसंहार से संबंधित करीब 215 एफआईआर रजिस्टर की गई थी। जिन मामलों की जांच जम्मू और कश्मीर पुलिस ने की थी उसमें कोई फायदा नहीं हुआ। संदेह इसलिए भी पैदा होता है कि रजिस्टर की गई एफआईआर की ठीक तरह से जांच नहीं की गई थी। केंद्र सरकार भी पीड़ितों के परिवारों को न्याय दिलाने और नरसंहार में भागीदार यासीन मलिक जैसे आतंकवादियों को सजा देने में सफल नहीं हो पाई, जो उनमें से एक था।

नरसंहार की रजिस्टर्ड एफआईआर पर नहीं हुई जांच

पत्र में आगे कहा गया कि मलिक जैसे कई लोग हैं जो इस हत्याकांड में शामिल थे और उन्हें जेल में होना चाहिए था, लेकिन पुलिस अधिकारियों के व्यवहार और पिछली सरकारों के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के कारण पीड़ितों को अभी तक न्याय नहीं मिला। उनकी दलील थी कि नरसंहार के मामले दर्ज होने के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला। विभिन्न रिपोर्टों में पीड़ितों के आंकड़ों में हेराफेरी किया गया, जिसकी कोई भी पुष्टि कर सकता है।

पंडितों का नरसंहार ही नहीं सामूहिक दुष्कर्म भी

वकील जिंदल ने अपने पत्र में कश्मीरी पंडितों के साथ घटी भयानक घटनाओं का जिक्र किया है। उनका कहना है कि कश्मीरी पंडितों का नरसंहार, सामूहिक बलात्कार, ग्रेनेड से विस्फोट करके उड़ा देना, मुठभेड़ में मार गिराना, बेवजह गिरफ्तारी, अपहरण करके गायब कर देने जैसी विभत्स घटनाओं से पीड़ितों के परिवार आज भी सदमें में हैं। इन घटनाओं को याद कर वे आज भी सहम जाते हैं। यह सब उनके लिए एक बुरे सपने की तरह है, जो उन्हें मानसिक रूप से तोड़ चुके हैं। उन्हें न्याय मिलने में हुई 30 साल की देरी का जिक्र करते हुए पत्र में कहा कि घटना की जांच हो और दोषियों को सजा दी जाए। उन्हें न्याय दिलाने की जिम्मेदारी जम्मू एंड कश्मीर पुलिस और राज्य प्रशासन पर है।

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