10 से 20 मरीज जिला अस्पताल की मानसिक ओपीडी में अल्जाइमर और डिमेंशिया के करीब हफ्ते भर में पहुंचते हैं।
40 से 70 मरीज मेडिकल कॉलेज की मानसिक ओपीडी में हफ्ते भर में पहुंचते हैं।
50 साल की उम्र पार चुके मरीजों में डिमेंशिया के मिलने लगे लक्षण
60 से 85 वर्ग के बुजुर्ग इससे सबसे ज्यादा पीडि़त होते हैं।
23 सितंबर तक डिमेंशिया वीक का होगा आयोजन
अगर फैमिली हिस्ट्री हो तो डिमेंशिया होने का खतरा रहता है।
स्लीपिंग डिसॉर्डर होने पर ये बीमारी हो सकती है।
Meerut। आमतौर पर 65 की उम्र के बाद की बीमारी माने जाना वाला डिमेंशिया अब 50 की उम्र में ही लोगों को अपना शिकार बना रहा है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक लाइफस्टाइल में हुआ बदलाव इसका सबसे बड़ा कारण है। मेंटल हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से 23 सितंबर तक डिमेंशिया वीक का आयोजन होगा।
ये है डिमेंशिया
दिमाग में बीटा एमेलॉड नाम के प्रोटीन के जमा होने के कारण यह बीमारी होती है। दरअसल इसके कारण दिमाग के न्यूरांस नष्ट होने लगते हैं। मेमोरी लॉस होने लगती है और याद रखने की ताकत कम हो जाती है। अल्जाइमर इसका ही छोटा रूप है।
इनसे करे परहेज
ज्यादा शराब, तंबाकू, गुटका आदि का सेवन करना।
स्ट्रेस और एनजाइटी
इंटरनेट पर निर्भरता
एक साथ कई काम करना
डिमेंशिया के मरीज तेजी से सामने आ रहे हैं। इसका बहुत ज्यादा इलाज संभव नहीं हैं। दवाइयों से इसे एक हद तक मैनेज किया जा सकता है। इस बीमारी में व्यक्ति को सबसे ज्यादा प्यार और केयर की जरूरत होती है।
डॉ। विभा नागर, क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट, जिला अस्पताल
इस बीमारी में मरीज की मेमोरी खत्म होने लगती है। उसे कुछ भी याद नहीं रहता है। अब कम उम्र में भी लोगों में डिमेंशिया के लक्षण दिखने लगे हैं। ये एक गंभीर समस्या है।
डॉ। रवि राणा, मनोरोग विशेषज्ञ