टैक्स का बोझ लादे जाने पर भड़के टिम्बर व्यवसायी

ALLAHABAD: केंद्र सरकार ने एक देश एक कर बताकर जीएसटी लागू किया था। इसे लागू कर दिया गया तो टिम्बर व्यापारियों से 7.5 प्रतिशत मंडी समिति व ट्रांजिट शुल्क का बोझ क्यों? टिम्बर व्यापार पर जीएसटी से साढ़े तीन प्रतिशत बोझ पहले ही बढ़ाया जा चुका है। इसी को लेकर टिम्बर व्यापारियों ने बुधवार को काम ठप रखकर प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा।

बंद रखा कारोबार

इलाहाबाद टिम्बर एसोसिएशन के अध्यक्ष शौकत अली के नेतृत्व में टिम्बर, प्लाई, बांस-बल्ली व फर्नीचर का व्यापार करने वाले व्यापारियों ने बुधवार को अपने व्यापार को पूरी तरह से बंद रखा.व्यापारी नेता संतोष पनामा, सतीश चंद्र केसरवानी, गया प्रसाद केसरवानी के नेतृत्व में जुलूस लेकर व्यापारी कलेक्ट्रेट पहुंचे और सरकारी नीति पर विरोध दर्ज कराया। खुशहाल मिश्रा, मुजफ्फर अली, कृपाशंकर पाठक, इरशाद उल्ला, हिमांशु खरबंदा, बाबू भाई, गुड्डा कुरैशी, अमित जैन, प्रदीप भगत, मकसूद अहमद, मजहर अली, जितेंद्र गोस्वामी, अनवर अली, कलीम मौलाना मौजूद रहे।

जीएसटी लागू करते वक्त एक देश एक कर की बात कही गई थी। हम जीएसटी में आलरेडी साढ़े तीन फीसदी टैक्स पे कर चुके हैं। अब हमसे मंडी समिति व ट्रांजिट शुल्क के नाम पर साढ़े सात फीसदी की मांग क्यों। यही बात ज्ञापन में भी लिखी गई है।

शौकत अली

अध्यक्ष, इलाहाबाद टिम्बर एसोसिएशन

टिम्बर व्यापार पर जीएसटी लागू होने के पहले 14.5 प्रतिशत टैक्स लगता था। जिसे जीएसटी में 18 प्रतिशत कर दिया गया है। एक तरफ जहां टैक्स बढ़ाया गया है, वहीं दूसरी तरफ 7.5 प्रतिशत मंडी समिति व ट्रांजिट शुल्क का बोझ डालना गलत है।

संतोष पनामा

व्यापारी नेता