-डेंगू पीडि़तों की संख्या 2250 के पार, पीएमसीएच में 1642 मरीजों में डेंगू की पुष्टि

-चिकनगुनिया के 56 एवं जेई के 52 मरीजों की हुई अबतक पहचान

PATNA: डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या दिनों दिन अधिक और व्यवस्था कम पड़ती जा रही है। गुरुवार को डेंगू के 90 एवं चिकनगुनिया के 29 नए मरीज मिलने हड़कंप मचा रहा। एनएमसीएच के मेडिसिन विभाग के वार्ड में भर्ती 14 डेंगू पीडि़त महिला-पुरुष का इलाज जारी है। यहां की इमरजेंसी में डेंगू लक्षण वाले दस मरीज बुरी हालत में भर्ती हैं। इनके लिए बेड उपल?ध नहीं हो पा रहा है। कई मरीजों को फर्श पर लिटा कर इलाज किया जा रहा है। हालांकि एनएमसीएच के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ। उमा शंकर प्रसाद, डॉ। अजय कुमार सिन्हा समेत अन्य चिकित्सक तथा उपाधीक्षक डॉ। गोपाल कृष्ण डेंगू वार्ड में सक्रिय रहे। भर्ती मरीजों की हालत पर डॉक्टर नजर बनाए रहे। उन्होंने बताया कि सभी मरीजों को मच्छरदानी के अंदर रखा गया है। इन्हें आवश्यक सुविधाएं उपल?ध कराई जा रही है।

परिवार में डेंगू से दो प्रभावित

पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट राजीव लोचन की डेंगू से मौत के बाद उनके परिवार के दो और सदस्य डेंगू से प्रभावित हो गए हैं। जानकारी के अनुसार उनका उपचार प्राइवेट क्लीनिक में किया जा रहा है। परिवार में शोक की लहर के बाद ऐसे मामले सामने आने से सभी परेशान हैं।

आयुर्वेदिक कॉलेज में भी होगा जांच

अब तक पीएमसीएच, एनएमसीएच और आरएमआरआई में डेंगू जांच की सरकारी व्यवस्था है। इसके अलावा शहर के 22 अर्बन पीएचसी में भी जांच हो रहा है। वहीं, राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एंव हॉस्पिटल के प्रिंसिपल डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि 24 अक्टूबर से डेंगू जांच की व्यवस्था होगी। इसके लिए किट मंगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर दिन यहां डेंगू के पेशेंट उपचार के लिए आ रहे हैं।

मच्छरदानी की बढ़ी डिमांड

शहर में बीते दो हफ्ते में डेंगू के नए केसेज मिलने के साथ ही डेंगू से उपचार एवं बचाव संबंधी दवाओं की डिमांड बढ़ गई है। मच्छरदानी, मॉस्कीटो क्वायल, बॉडी रेपलेंट और अन्य संबंधित प्रोडक्ट की डिमांड बढ़ गई है। चूंकि डेंगू जहां हो रहा है, साथ में रह रहे लोगों को भी प्रभावित करने की संभावना होती है इसलिए लोग विशेष सावधानी बरत रहे हैं। इन दिनों मच्छरदानी की सामान्य बिक्री में पांच गुना तक इजाफा हुआ है। वहीं, डेंगू के लिए बुखार की दवा और आयुर्वेदिक दवाओं का बाजार गर्म हो गया है। खौफ का आलम यह है कि यदि प्लेटलेट एक लाख के करीब है फिर भी लोग पारासिटामोल या अन्य आयुर्वेदिक दवाओं का प्रयोग कर रहे हैं। निगम के द्वारा अभी भी कई इलाके ?लीचिंग और फागिंग से अछूते हैं।

केन्द्रीय टीम ने जतायी आपत्ति

डेंगू व चिनकगुनिया के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए गुरुवार को पांच सदस्यीय केन्द्रीय टीम नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची। यहां के मेडिसिन विभाग की चिकित्सा व्यवस्था को देखा। वार्ड में सामान्य मरीजों के साथ डेंगू के मरीजों को भर्ती कर इलाज किए जाने पर आपत्ति जतायी। टीम में शामिल कोलकाता व दिल्ली स्थित मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने डेंगू मरीज के लिए अलग से आइसोलेटेड वार्ड बनाने का सुझाव दिया। महिला-पुरुष मरीज को अलग रख कर इलाज करने तथा फीवर क्लिनिक स्थापित किए जाने की बात कही.टीम सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थित माइक्रो बायोलॉजी विभाग पहुंची। व्यवस्था को देखा।