- दो दिनों में अभी तक करीब एक दर्जन से अधिक मौतें

- दूसरे दिन भी सभी हॉस्पिटल से करीब 50 हजार मरीज निराश लौटे

LUCKNOW : राजधानी के सभी गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स की ओपीडी में आए मरीजों को फार्मासिस्ट व लैब टेक्नीशियंस की हड़ताल का दंश दूसरे दिन भी झेलना पड़ा। बुधवार को हड़ताल के दूसरे दिन ओपीडी में डॉक्टरों को दिखाने के बाद मरीजों को बिना दवा लिये मायूस होकर वापस लौटना पड़ा। बिना दवा लिये लौटने वाले मरीजों की संख्या 50 हजार के करीब बताई जा रही है जबकि, करीब 15 हजार से अधिक जांचें भी नहीं हो सकी। हालांकि नर्सो की हड़ताल खत्म होने से ऑपरेशन व भर्ती मरीजों की देखरेख और उपचार सुचारु रूप से हो सका। बुधवार को दोपहर करीब एक बजे तक चली हड़ताल में आधा दर्जन मरीजों की मौत हो गई। दो दिनों की हड़ताल में कुल मिलाकर करीब एक दर्जन मरीजों की मौत की सूचना है। हालांकि मंत्री के आश्वासन के बाद दोपहर बाद हड़ताल वापहो गई।

दूसरे दिन भी हंगामा

हजरतगंज स्थित डॉ। श्यामा प्रसाद मुखर्जी हॉस्पिटल में बुधवार की दोपहर मरीजों के सब्र का बांध टूट पड़ा। हॉस्पिटल के सभी दवा काउंटर बंद होने से इलाज कराने आए मरीजों का पारा चढ़ गया। जिसके बाद उन्होंने हॉस्पिटल परिसर में जमकर हंगामा हुआ। बड़ी संख्या में मरीजों व तीमारदारों ने निदेशक ऑफिस का घेराव कर हंगामा शुरू कर दिया। मरीजों की इस रवैये को देख कार्यालय के अधिकारियों ने पुलिस को बुला लिया। हालात इस कदर बेकाबू हो गए कि नाराज तीमारदारों व मरीजों ने काउंटर नंबर 1 की जाली तोड़ डाली और दवा लूटने लगे। उन्हें रोकने पहुंचे सुरक्षाकर्मियों को नाराज लोगों ने खदेड़ दिया। हालांकि, मौके पर पहुंची पुलिस ने हालात काबू में किये।

नहीं हो सकी मरीजों की जांच

सबसे बुरा हाल बलरामपुर अस्पताल में रहा। यहां के जांच केन्द्र पर खून के नमूने लेने का काम ठप रहा। इस वजह से जांच कराने के लिए आए करीब दो हजार मरीजों की जांचें नहीं हो सकीं और उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। वहीं, विभिन्न ओपीडी में मौजूद दवा काउंटरों पर भी दवाओं का वितरण बंद रहा। नतीजतन, आठ हजार मरीज बिना दवाओं के वापस लौट गए। उधर, लोहिया हॉस्पिटल में लैब टेक्नीशियन की जगह लैब असिस्टेंट को खून के नमूना लेने के लिए ड्यूटी पर लगाया गया था। जबकि, दवा काउंटर को डॉक्टर्स ने संभाला और मरीजों को दवा वितरित की। पर, जांच के मामले में मरीजों को यहां से भी निराशा लौटना पड़ा। वीरांगना अवंतीबाई, झलकारीबाई समेत भाऊराव देवरस, लोकबंधु आदि हॉस्पिटल्स में भी दवा व जांच के बिना ही मरीज वापस लौटने को मजबूर हुए।

दो दिन में एक दर्जन मौतें

हड़ताल के दौरान राजधानी के सरकारी हॉस्पिटलों में दो दिनों में करीब एक दर्जन मरीजों की मौत हो गई। जिसमें बुधवार को ही केवल आधा दर्जन मौते है। मरने वालों में कई गर्भवती व बुखार से पीडि़त मरीज शामिल थे। परिजनों की मानें तो मरीज को समय पर उचित इलाज न मिल पाने से उनकी मौत हुई है। सबसे अधिक मौतें बलरामपुर हॉस्पिटल में हुई है। हॉस्पिटल के निदेशक डॉ। ईयू सिद्दीकी ने बताया कि उनके यहां दो दिनों में आधा दर्जन मरीजों की जान गई। लोहिया अस्पताल के सीएमएस डॉ। ओंकार यादव ने जानकारी दी कि उनके यहां दो दिन में करीब तीन मौते हुए है। जबकि सिविल हॉस्पिटल में मौत का आंकड़ा चार बताया जा रहा है।

डेंगू से एक और मरीज की मौत

डेंगू से हो रही मौतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। मंगलवार रात डेंगू से पीडि़त शाहजहांपुर निवासी विपिन कुमार वर्मा ने केजीएमयू में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। विपिन कोऑपरेटिव बैंक में कार्यरत थे। इसके साथ ही राजधानी में डेंगू से मरने वालों की संख्या 100 पहुंच गई है।

मरीजों को परेशानी हुई लेकिन एक बजे के बाद दवाओं का वितरण शुरू हो गया, जो मरीज थे। उन सभी को दवाएं वितरित की गई, जांचें भी हुई।

- डॉ। एचएस दानू, निदेशक, सिविल हॉस्पिटल