RANCHI : रिम्स कैंपस में सप्लाई वाटर के कनेक्शन के अलावा दर्जनों डीप बोरिंग हैं। इनसे हर दिन लाखों लीटर पानी हॉस्पिटल में भेजा जाता है। लेकिन डेंटल कॉलेज बिल्डिंग में पीने के पानी के लिए हाहाकर मचा हुआ है। यूं कहें तो इस बिल्डिंग में पीने के पानी का अकाल है। ऐसे में अधिकारी व डॉक्टर तो अपने लिए पानी का इंतजाम कर लेते हैं। स्टूडेंट्स भी खुद से पानी खरीदकर लाते हैं। लेकिन मरीजों और उनके परिजनों को अपनी प्यास बुझाने के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है। हॉस्पिटल में मशीनें खरीदने के लिए प्रबंधन के पास करोड़ों रुपए तो हैं लेकिन पीने के पानी के लिए फंड ही नहीं है।

लगाये गए प्यूरीफायर का पता नहीं

डेंटल कॉलेज कैंपस में पीने के लिए एक बूंद पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में कुछ लोग तो पानी खरीदकर प्यास बुझा लेते हैं। आर्थिक रूप से कमजोर को तो पानी खरीदने के लिए भी सोचना पड़ता है। यह हाल तब है जबकि मेन बिल्डिंग में पानी के लिए हर फ्लोर पर वाटर प्यूरीफायर लगाए गए थे। कई संस्थाओं ने भी रिम्स को वाटर प्यूरीफायर उपलब्ध कराया था ताकि मरीजों को पीने के लिए पानी मिल सके। लेकिन मरीजों के लिए दिए गए ये प्यूरीफायर कहां गए कोई नहीं जानता।

कैंटीन भी करा दिया गया बंद

बिल्डिंग में कैंटीन की शुरुआत की गई थी। जिससे कि इलाज के लिए आने वाले मरीजों के अलावा डॉक्टर भी वहां पहुंचते थे। खाने-पीने से लेकर चाय-पानी की भी व्यवस्था थी। लेकिन प्रबंधन ने अचानक से इस कैंटीन को बंद करा दिया। इससे लोगों की परेशानी और बढ़ गई। अब लोगों को कुछ खरीदने के लिए एक किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ती है।

लोगों ने बताई परेशानी

इतना बड़ा हॉस्पिटल है और पानी के लिए कहीं नल तक नहीं है। कैंपस में चापाकल भी नहीं है जहां से हमलोग पीने के लिए पानी भर सकें।

सुधीर

आसपास में कहीं भी कैंटीन तक नहीं है। पीने के पानी के लिए रोड पर जाना होगा। दुकानें भी काफी दूर हैं। प्रबंधन को इंतजाम करना चाहिए।

विमल