हर पांच वर्ष बाद होने वाली पशु गणना से मिली जानकारी

मेरठ में लगातार घट रहा देसी गोवंश

-जिला पशु चिकित्सा विभाग करा रहा पशुगणना, फरवरी तक आएगा रिजल्ट

डिजिटल गणना कर रहे विभागीय, घर-घर जाकर ले रहे है पशुओं का ब्योरा

Meerut । बुलंदशहर में बवाल के बाद गोवंश सुर्खियों में है। हम आपको बता दें कि मेरठ में भी पशु कटान के चलते पिछले 10 वर्षो में देसी गोवंश 65 फीसदी तक घटा है, जबकि मंडल में यह घटोतरी 40 प्रतिशत है। प्रदेश में 20वीं पशु गणना शुरू हो गई है, जो फरवरी 2019 तक चलेगी। 18वीं और 19वीं पशु गणना के आंकड़ों को देखें तो गोवंश की संख्या बढ़ी है किंतु यह क्रॉसब्रीड है, देसी गोवंश की संख्या लगातार घट रही है।

गोवंश बढ़े पर देशी घटे

आंकड़ों पर गौर करें तो गत 10 वर्षो में मेरठ में गौवंश तो बढ़े हैं किंतु देसी गौवंश घटे हैं। 2007 की 18वीं और 2012 की 19वीं पशु गणना से यह अंतर साफ स्पष्ट हो रहा है। दुग्ध उत्पादन के लिए जहां लोग क्रॉसब्रीड को प्राथमिकता दे रहे हैं तो वहीं देशी गाय की संख्या अब कम हो रही है। सर्वाधिक बढ़ोत्तरी मुर्गियों की संख्या में हुई है। जिला पशु चिकित्सा अधिकारी एके सिंह ने बताया कि सरकारी योजनाओं में पोल्ट्री फार्मिग (मुर्गी पालन) को नियमित सब्सिडी देकर बढ़ावा दिया जा रहा है। भैंस की संख्या घटी है मेरठ में बकरी पालन भी बढ़ा है।

18वीं पशु गणना 2007 19वीं पशु गणना 2012 अंतर (प्रतिशत )

कॉसब्रीड गौवंश 54928 129279 135.36

देशी गौवंश 100410 35922 -64.22

कुल गौवंश 155348 165201 6.35

भैंस 666872 648195 -2.80

बकरी 45145 76554 69.57

मुर्गी 146982 160150 8.96

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गत वर्षो में डेयरी और पोल्ट्री फार्मिग में केंद्र एवं राज्य सरकार की कई स्कीमों के चलते गौवंश और मुर्गियों की संख्या में इजाफा हुआ है। डिजिटल पशु गणना 1 दिसंबर से आरंभ कर दी गई है, जो फरवरी माह के अंत तक चलेगी।

-एके सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी, मेरठ

आ रही दिक्कत भी

डिजिटल पशु गणना में कई तरह की समस्याएं भी आ रही हैं। पशु चिकित्सा विभाग के ऐसे कर्मचारी जो उम्रदराज हैं और टेक्निकली अनफिट हैं उन्हें ऑनलाइन डाटा फीडिंग में दिक्कत आ रही है। ऐसे में पशु गणना का कार्य पिछड़ रहा है। सरकार द्वारा फरवरी अंत तक की डेडलाइन के चलते ऐसे कर्मचारियों को गणना में लगाया गया है जो टेक्निकली स्ट्रांग हैं।