पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। दीपावली के पश्चात् आने वाली इस एकादशी को देव उठनी या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस बार यह 23 नवंबर 2022,शुक्रवार को स्मार्तजनों की होगी एवं दिनांक 24 नवंबर 2022,शनिवार को वैष्णव संप्रदाय की होगी। दिनांक 24 नवंबर 2022,शनिवार को तुलसी विवाह संपन्न किया जाएगा। एकादशी व्रती स्मार्तजन प्रबोधिनी एकादशी व्रत का पारण 12:19 बजे के बाद हरिवासर योग को छोड़कर ही तुलसी एवं गंगाजल से कर सकेंगे। चार माह पूर्व आषाढ़ शुक्ल देव शयनी एकादशी के दिन शयनस्थ हुये देवी-देवताओं मुख्यत: भगवान श्री विष्णु का इस एकादशी को जाग्रत होना माना जाता है। विष्णु के शयनकाल के इन चार मासों में विवाह आदि मांगलिक शुभ कार्यों का आयोजन निषेध माना जाता है। हरि के जागने के बाद ही इस एकादशी से सभी शुभ एवं मांगलिक कार्य शुरू किये जाते हैं। इस दिन स्वयं सिद्ध अबूज मुहुर्त है।

तुलसी विवाह अखण्ड सौभाग्य देता है

इस दिन तुलसी पूजन का उत्सव, तुलसी से शालिग्राम के विवाह का आयोजन धूम-धाम से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जिन दम्पत्तियों के कन्या नहीं होती है, वह जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्या दान का पुण्य अवश्य प्राप्त करें। देवोत्थान एकादशी के दिन मनाया जाने वाला तुलसी विवाह विशुद्ध मांगलिक और आध्यात्मिक प्रसंग है देवता जब जागते है तो सबसे प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं। इस लिए तुलसी विवाह को देव जागरण के पवित्र मुहुर्त के स्वागत का आयोजन माना जाता है। तुलसी विवाह के लिए कार्तिक, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि ठीक है परन्तु कुछ लोग एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी पूजन कर पांचवे दिन तुलसीन है, यह विवाह अखण्ड सौभाग्य देने वाला होता है। यह विवाह कार्तिक शुक्ल एकादशी को आयोजित किया जाता है।

तुलसी विवाह सामूहिक रूप से होता

तुलसी एक पूज्य वृक्ष है, इसका एक-एक पत्र वैष्णवों के लिए द्वादशाक्षर मंत्र ऊँ नमो: भगवते वासुदेवाय की भांति प्रभाव करने वाला होता है। वृहद धर्म पुराण के अनुसार हिन्दुओं के धार्मिक कार्य तथा संस्कार बिना तुलसी के अधूरे रहते हैं। कार्तिक मास में तुलसी पूजन महत्वपूर्ण है, भगवान विष्णु ने परमसती तुलसी की महत्ता स्वीकार की थी। तुलसी विवाह सामूहिक रूप से होता है, ऐसे माता पिता जिनके पुत्र अथवा पुत्री के विवाह में विलम्ब हो रहा है उनको श्रद्धापूर्वक तुलसी विवाह सम्पन्न कराना चाहिए, इसका फल तत्काल मिलता है। विशेष रूप से कार्तिक मास में तुलसी विवाह का आयोजन कन्या दान के रूप में करते हैं।

विवाह नक्षत्र काल मे करने का विधान

तुलसी विवाह तुलसी विवाह कार्तिक शुक्ल एकादशी व्रत के पारण वाले दिन (प्रबोधोत्सव) रात्रि के प्रथम भाग (प्रदोष काल) में करने का शास्त्र निर्देश है।यह पर्व कार्तिक शुक्ल एकादशी,द्वादशी के अतिरिक्त पूर्णिमा तक किसी भी तिथि में विवाह नक्षत्र काल मे करने का विधान है।इस वर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन रविवार तथा भद्रा व्याप्ति के कारण तुलसी विवाह निषेध रहेगा। तुलसी विवाह प्रबोधोत्सव के साथ एकादशी व्रत पारण वाले दिन प्रदोषकाल में अर्द्ध रात्रि से पहले ही करने की परम्परा है, अतः इस वर्ष एकादशी पारणा (प्रबोधोत्सव) वाले दिन दिनांक 5 नवंबर 2022,शनिवार को प्रदोषकाल में उ.भाद्र एवं रेवती नक्षत्र का संयोग होगा अतः इस दिन शास्त्रसम्मत तुलसी विवाह सम्पन करना चाहिए।