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Gorakhpur : देवरिया बालगृह बालिका कांड में हर दिन नई बात सामने आ रही है। घटना की एक गवाह लड़की के पिता ने पुलिस के सामने आकर बेटी की मानसिक स्थिति ठीक न होने का दावा किया है। इससे पुलिस नए सिरे से फिर से जांच करने में जुट गई है। एसपी रोहन पी कनय का कहना है कि इस बात की जांच कराई जा रही है कि लड़की कहां से बालगृह में दाखिल हुई थी। पांच अगस्त की रात पुलिस ने बालगृह बालिका से सेक्स रैकेट संचालित होने का पर्दाफाश बिहार की एक 10 साल की लड़की के बयान पर किया था। अगले ही दिन मुक्त कराई गई गोरखपुर की एक किशोरी ने पुलिस के लिए सह गवाह बनते हुए बताया था कि हर दिन लग्जरी गाडिय़ां शाम को बालगृह आती थीं और उनसे 15 से 18 वर्ष की लड़कियों को बाहर भेजा जाता था। किशोरी के इस दावे के बाद पुलिस की कहानी और मजबूत हो गई लेकिन, सीबीआइ जांच शुरू होने के पहले ही उसके पिता रविवार को एसपी आवास पर पहुंच गए। उनका दावा है कि सह गवाह उसकी बेटी है। वह लखनऊ में मेट्रो में काम करते हैं। उनकी इकलौती बेटी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और उसका इलाज गोरखपुर के एक डॉक्टर के यहां चल रहा है। दो माह पहले वह घर से गायब हो गई थी।

एसआईटी ने तीन घंटे तक लिया बयान
एसआइटी की विवेचना अब जोर पकडऩे लगी है। रविवार को टीम ने डाक बंगला में दो महिला इंस्पेक्टर के साथ ही महिला पुलिसकर्मियों को तलब किया और उनका बयान दर्ज किया। करीब तीन घंटे तक इनसे पूछताछ हुई। साथ ही बाल विकास समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य भी अभिलेख के साथ पहुंचे और उनसे सवाल-जवाब हुआ। कुछ कागजात में कमी मिलने की बात कही जा रही है। तीन दिन से साक्ष्य जुटा रही एसटीएफ भी पहुंची और प्रभारी सत्य प्रकाश सिंह कागजात के साथ टीम के सामने पेश हुए। एसआइटी एक-एक शब्द को विवेचना में शामिल कर रही है। जांच का यह सिलसिला करीब चार घंटे तक चलता रहा।

लड़कियों की जानी हालत
एडीजी अपराध संजय सिंह के लखनऊ लौटने के बाद इसकी विवेचना पीटीएस मेरठ की एसपी पूनम व विजिलेंस एसपी मेरठ भारती सिंह की देखरेख में हो रही है। रविवार सुबह सवा दस बजे दोनों ने एसपी डाक बंगला में मामले की तहकीकात शुरू की। सादे वर्दी में महिला इंस्पेक्टर सरोज शर्मा और शोभा सिंह सोलंकी को तलब किया। पूछताछ में इन दोनों महिला इंस्पेक्टर से संस्था में रहने वाली लड़कियों के आरोपों और पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी ली गई।

बंद लिफाफे में है अहम सुबूत
एक अहम सुबूत अदालत में बंद लिफाफे में पड़ा है, जो इस कांड की दिशा तय करेगा। सोमवार को एसआइटी अदालत में कलमबंद बयान को देखने के लिए अर्जी देगी और शाम तक अहम सुबूत उसके हाथ लग सकता है। अब सभी की निगाहें अदालत में मौजूद बंद लिफाफे के कागजातों पर टिकी हैं। बालगृह बालिका से सेक्स रैकेट संचालित होने का पर्दाफाश करने के साथ पुलिस ने 23 महिलाओं और बच्चों को मुक्त कराया था। इसमें से दो किशोर समेत 22 का अदालत में कलम बंद बयान हुआ, जो इस समय बंद लिफाफे में है। उम्मीद है कि लड़कियों के दर्ज बयान में कुछ मजबूत सुबूत हाथ लग सकता है।

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